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ठगनी राजनीति की बानगी है राजस्थान और मध्यप्रदेश की खींचतान!

Political News : इसमें कोई शक नहीं कि राजस्थान और मध्यप्रदेश में बीजेपी को जीत हासिल हुई है। जीत तो छत्तीसगढ़ में भी हुई थी। वहां सरकार बन गई। छत्तीसगढ़ के आदिवासियों ने बीजेपी का साथ दिया। बीजेपी की जीत हुई। वहां साय को मुख्यमंत्री बनाया गया है। लेकिन असली पेंच तो राजस्थान और मध्यप्रदेश में फंस गया है। सप्ताह भर बाद भी इन दोनों राज्यों में बीजेपी के भीतर खींचतान जारी है। कोई किसी से कम नहीं। कोई एक दूसरे को देखना नहीं चाहता। कोई भी किसी से दबना नहीं चहता। लोभ से सब भरे हैं। कोई भी लोभ रहित नहीं है। जो नया है वह भी लोभ से ग्रस्त है और जो पुराने है उसके लोभ तो और भी बढ़ा हुआ है।

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लोभ की यह बानगी देश और दुनिया भी देख रही है। फिर भी बीजेपी वाले कहते है कि वह देश निर्माण का काम कर रहे हैं उनके पास कोई लोभ नहीं है। बीजेपी के लोग भगतराम है। उनको केवल राष्ट्र निर्माण से ही मतलब। है लेकिन यह कोई नहीं कहता कि जब पूरी राजनीति ही झूठ और ठगी पर आधारित है तो फिर बीजेपी वाले इससे कैसे वंचित है? इसका जवाब कभी नहीं मिलेगा और जवाब देगा भी कौन? राजस्थान में सीएम को लेकर आज बैठक होने वाली थी फिर से टल गई। सुना जा रहा है कि यह बैठक मंगलवार को होगी। लेकिन यह कोई नहीं कह रहा है कि सरकार कब बनेगी? और बनेगी भी तो प्रदेश का सीएम कौन होगा? पहली बार बीजेपी राजस्थान में कोई चेहरा न देकर फंस गई है। पहले बीजेपी को लगा था कि चेहरा देने से टकराहट हो सकती है। कुछ लोग नाराज भी हो सकते हैं। यहाँ तक तो बीजेपी ने ठीक ही किया। बीजेपी यह जानती भी है कि हमारे ऊपर से जो भी दावा करें भीतर से बीजेपी का हर नेता खेल करता है और बड़े पदों पर जाने के लिए वह सब कुछ करता है जो शायद नहीं करना चाहिए।

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बीजेपी शुरु से ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ रही है। बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ वसुंधरा की भी नहीं पटती। कह सकते हैं कि मोदी और शाह से वसुंधरा दूर ही रहना चाहती है। सिर्फ राजनीतिक मज़बूरी की वजह से ही वह बात भी करती है या फिर मोदी और शाह को भी बात करनी होती है। सच तो यही है कि कोई किसी को देखना तक पसंद नहीं करता। सबके अपने राजनीतिक दाव जो हित! वसुंधर राजे सीएम बनने को लेकर जिद्द पाले हुए हैं। वे दो बार राज्य की बागडोर संभाल भी चुके हैं। इस बार भी वह सीएम बनने के लिए हर जुगाड़ से आगे बढ़ती जा रही है। आगे क्या कुछ करेंगी कोई नहीं जानता। बीजेपी के भीतर डर का भी माहौल है। जिस तरह के कई विधायकों के बातें आ रहे हैं उससे बीजेपी डरी हुई है। लोग कह रहे हैं कि वसुंधरा नाराज होकर कांग्रेस के साथ भी जा सकती है। पिछले कई दिनों से वसुंधरा से विधायक लोग मिल रहे हैं। अब तक 70 से ज्यादा विधायक वसुंधरा के साथ मिल चुके हैं। हालांकि वसुंधरा के ख़ास रहे 36 विधयक जीतकर भी आये हैं। ये सभी विधायक यही चाहते हैं कि वसुंधरा सीएम बने। और बीजेपी ऐसा नहीं चाहती। बीजेपी ऐसा चाहती तो अभी तक सब निर्णय हो चूका होता। ऐसे में साफ़ है कि बीजेपी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है। और जब ठीक नहीं है तो राजनीति बदल भी सकती है और कोई खेल भी हो।

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इसके साथ भी अब इस बात की सम्भावना ज्यादा बढ़ गई कि जो आधा दर्जन उम्मीदवार सीएम बनने को तैयार हैं उनको भी आगे की परेशानी होगी। जो भी माजूदा समय में सीएम बनेंगे उनकी सरकार आगे भी चलती रहेगी इसकी कोई गारंटी नहीं है। वाइज भी राजनीति किसी की कोई गारंटी नहीं होती। सब वक्त के साथ एक दूसरे से जुड़े होते हैं। वक्त ख़राब या अच्छा हुआ लोगों के मिजाज बदल जाते हैं। राजस्थान की कहानी भ्रमित भी क्र रही है और लुभा भी रही है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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