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राजस्थान में संघ के इशारे पर टिकट का बंटवारा ,वसुंधरा की अनदेखी !

राजस्थान में आगे चलकर और भी क्या कुछ होगा कोई नहीं जनता। बीजेपी ने आगामी चुनाव को देखते हुए राजस्थान की पहली सूची जारी की है। इस लिस्ट में 41 लोगों के नाम हैं। लेकिन मजे की इस लिस्ट में न लोगों के नाम हैं जिनके नाम की पैरवी वसुंधरा राजे ने की थी। उनके बताये एक भी नाम इस सूची में नहीं है। लिस्ट में जीर्णे लोगों के नाम पर सब संघ के इशारे पर तैयार किये गए हैं। अभी तक जितने थे उनमे सर्वे यही बता रहे कि सूबे में बीजेपी की है और आतंरिक सर्वे यह भी कह रहे थे कि तीन दर्जन से ज्यादा उन विधायकों को टिकट दिए गए जो पिछले चुनाव में जीतकर आये थे तो पार्टी की हालत और भी ख़राब होगी। ऐसे में ही संघ को आगे आना पड़ा है।

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लेकिन जब पहली लिस्ट जारी हो गई तब बीजेपी के भीतर बवंडर मच गया। वसुंधरा राजे काफी नाराज हो गई। उन्होंने अभी तक बीजेपी पर कोई अमला तो नहीं किया है लेकिन उनके भीतर अब पार्ट्री और शीर्ष नेताओं के खिलाफ गुस्सा जरूर है। यह गुसा कहाँ जाकर फूटेगा यह कोई नहीं जानता।
दरअसल बीजेपी एमपी वाला दाव राजस्थान में भी खेल रही है। एमपी में भी जो विधायक जीतने के काबिल नहीं हैं उन्हें टिकट से वंचित किया गया है और सांसदों -,मंत्रियों को मैदान में उतारा गया है। यही वजह है कि राजस्थान की पहली लिस्ट में जो 41 नाम हैं उनमे से 21 नए नाम हैं जो पहली दफा मैदान में जा रहे हैं। बीजेपी को लग रहा है कि यही उम्मीदवार कुछ कमाल भी कर सकते हैं बाकी के पुराने लोग कुछ भी करने की हालत में नहीं है। जनता उनसे काफी नाराज है क्योंकि वे कभी जनता के बीच जाते ही नहीं थे। यह भी बता दें की जिन 41 सीटों पर बीजेपी ने उम्मीदवारों की घोषणा की है इनमे से 39 सीटें ऐसी थी जो पिछली बार बीजेपी यव सीटें हार गई थी। इनमे से भी 11 सीटें ऐसी है जो बीजेपी लगातरा तीन बार से हारती आ रही है।

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अभ तो पहली सूची ही जारी हुई है ,कहा जा रहा है कि बाकी की सूची जब जारी होगी तो वसुंधरा की परेशानी और भी बढ़ सकती है। बीजेपी के एक नेता ने तो यहां तक कहा है कि वसुंधरा भले ही पार्टी की नेता हैं लेकिन अब बीजेपी उनके नाम पर चुनाव नहीं लड़ सकती। जो माहौल है उसमे अब सकती। ऐसे में बसुंधरा आगे जो भी करेगी उस पर बीजेपी की निगाह जरूर होगी।
बता दें कि इस बार बीजेपी राजस्थान में किसी के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ना चाहती है। बीजेपी कमल निशगान और पीएम मोदी के फेस पर चुनाव लड़ेगी। चुनाव परिणाम आने के बाद पार्टी के भीतर चेहरे पर फैसला किया जाएगा। लेकिन एक बात तय कि वसुंधरा इस पुरे खेल से अलग है। वे नाराज भले ही हो सकती है लेकिन पार्टी ने साफ़ कर कि वह उनके सहारे मैदान में नहीं जा सकती। वसुंधरा आगे क्या कुछ करती है इसे देखना होगा।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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