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Navratri Day 9th Day: महानवमी कल, नवरात्रि के 9वें दिन करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, मंदिरों में उमड़ेगी श्रद्धालुओं की भारी भीड़  

नई दिल्ली: मां दुर्गा का अंतिम और नौवां (Navratri Day 9th Day) स्वरूप सिद्धीदात्री है महानवमी या दुर्गा नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है मान्यताओं के अनुसार, मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों की सभी तकलीफें दूर हो जाती हैं और वह रोग मुक्त हो जाते हैं इतना ही नहीं मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से यश, बल और धन की प्राप्ति होती है और जो भी भक्त मां सिद्धिदात्री (Navratri Day 9th Day) की पूजा करता है वह सभी सिद्धियों में निपुण हो जाता है मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी कहा जाता है और मां अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं साथ ही हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करने की शक्ति प्रदान करती हैं तो आइए जानते है मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, कथा और भोग के बारे में।

पूजा विधि

नवरात्रि की नवमी (Navratri Day 9th Day) तिथि को माता सिद्धिदात्री को प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए. सर्वप्रथम कलश की पूजा और उसमें स्थपित सभी देवी-देवताओं का ध्यान करना चाहिए. इसके बाद माता के मंत्रो का जाप कर उनकी पूजा करनी चाहिए. इस दिन भक्तों को अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र की ओर लगाना चाहिए. यह चक्र हमारे कपाल के मध्य में स्थित होता है. ऐसा करने से भक्तों को माता सिद्धिदात्री की कृपा से उनके निर्वाण चक्र में उपस्थित शक्ति प्राप्त हो जाती है.

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मां सिद्धिदात्री की कथा

मां सिद्धिदात्री की प्रसिद्ध कथाओं के अनुसार, भगवान शिव मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर रहे थे तब प्रसन्न होकर मां सिद्धिदात्री ने भगवान शिव को आठों सिद्धियों का वरदान दिया था मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने के बाद भगवान शिव का आधा शरीर देवी के शरीर का रूप ले लिया था और इस रूप को अर्धनारीश्वर कहा गया कहा जाता है कि, जब महिषासुर ने अत्याचारों की अति कर दी थी तब सभी देवतागण भगवान शिव और प्रभु विष्णु के पास मदद मांगने गए थे महिषासुर का अंत करने के लिए सभी देवताओं ने तेज उत्पन्न किया जिससे मां सिद्धिदात्री का निर्माण हुआ।

मां सिद्धिदात्री को लगाए भोग

महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा करके उन्हें तिल का भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से मां सिद्धिदात्री अनहोनी से अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।

मां सिद्धिदात्री की स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

मां सिद्धिदात्री की प्रार्थना

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।

मां सिद्धिदात्री के मंत्र

1. अमल कमल संस्था तद्रज:पुंजवर्णा, कर कमल धृतेषट् भीत युग्मामबुजा च।

मणिमुकुट विचित्र अलंकृत कल्प जाले; भवतु भुवन माता संत्ततम सिद्धिदात्री नमो नम:।

2. ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।

मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र:

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम

मां सिद्धिदात्री की आरती:

जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता ।

तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ।।

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि ।

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ।।

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम ।

जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ।।

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है ।

तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है ।।

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो ।

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो ।।

तू सब काज उसके करती है पूरे ।

कभी काम उसके रहे ना अधूरे ।।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया ।

रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया ।।

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली ।

जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली ।।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा ।

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा ।।

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता ।

भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता ।।

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