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Digital Payment In India: UPI पेमेंट्स में भारत का बोलबाला, कुछ सालों में इस शक्तिशाली देश को पछाड़ बन जाएगा No.1

नई दिल्ली: एक रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में डिजिटल क्रांति (Digital Payment In India) की ओर बढ़ता भारत दुनिया भर में राज करने वाला है। इससे सबसे बड़ा नुकसान यूएसए को होगा और यही वजह है कि अमेरिका भारत के यूपीआई सिस्टम पर बौखला गया है।

भारत में डिजिटल क्रांति की शुरूआत कैसे हुई?

साल 2008 में भारत की कुल 10 प्रतिशत आबादी के पास बैंक अकाउंट था क्योंकि उस वक्त अकाउंट खोलने के लिए कम से कम 3 से 4 हजार रुपये बैंक खाते में होने जरूरी थे। यही वजह थी कि देश की आबादी को भारत सरकार की ओर से किसी भी तरह का फाइनेंशियल सपोर्ट भी नहीं मिल पा रहा था।

इसी के समाधान के लिए साल 2008 में RBI ने “स्पेशलाइज़” एजेंसी नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI को मुंबई में सेटअप किया औऱ सभी विषयों पर सर्वें करते हुए 2014 में जनधन योजना के तहत देशभर में जीरो अकाउंट बैलेंस में बैंक खाते खुलवाए गए थे।

समय के साथ जनवरी 2021 तक भारत में बैंक आकाउंट की संख्या 416 मिलियन पहुंच गई थी। इसी के बाद 2016 में NPCI ने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी यूपीआई को लॉन्च किया। डिजिटल ट्रांजेक्शन (Digital Payment In India) की दुनिया में तहलका मचाते हुए 2022 में यूपीआई ट्रांजेक्शन ने वन ट्रिलियन को क्रॉस किया है।

भारत की बढ़ती इंटरनेट इकोनॉमी से अमेरिका क्यों डरा हुआ है?

देश में हर सेकेंड 10 हजार यूपीआई ट्रांजेक्शन किए जाते हैं और ऐसा ही चलता रहा तो 2030 से पहले भारत की इंटरनेट इकोनॉमी 1 ट्रिलियन डॉलर की वैल्यू को टच कर सकती है और इसका असर देश के इकोनॉमिक ग्रोथ के रुप में दिखाई देगा।
भारत की जीडीपी का 2 फीसदी हिस्सा नोट प्रिंटिग में खर्च होता है।

कार्ड पेमेंट सिस्टम में अमेरिका लंबे समय से ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम को रूल करता आ रहा हैं। अमेरिका में ज्यादातर लोग इंसटेंट पेमेंट के लिए क्रेडिट और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं लेकिन मार्केट में कोई कॉम्पेटेटर ना होने की वजह से अमेरिका कार्ड नेटवर्क कंज्यूमर से हाई ट्रांजेक्शन फीस चार्ज करता है। इसे MDR यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट कहते हैं।

अपने दबदबे को कायम रखने के लिए कार्ड नेटवर्क अपने मार्केट में किसी को आसानी से जगह नहीं बनाने देते हैं और इस हाई फीस का भुगतान वहां के लोगों को ही करना पड़ता है। यानी इस सबमें यूएसए के अल्टरनेटिव पेमेंट सिस्टम ग्रोथ के साथ ही इकोनॉमिक ग्रोथ भी हो रही है।

साथ ही वहां की सरकार भी इन कंपनीज़ पर कोई प्राइस रेग्यूलेशन नहीं थोपती है। अगर बात भारत की करें तो यहां सूरत बिल्कुल अलग है और भारत सरकार ने यूपीआई और रुपे के डेबिट कार्ड से होने वाले ट्रांजेक्शन के लिए MDR यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट को खत्म कर दिया है। अब आम लोग इसका इस्तेमाल कहीं ज्यादा आसानी से करने लगे हैं।

डिजीटल पेमेंट में भारत होगा आगे

आपको जानकर हैरानी होगी कि इन पेमेंट्स से होने वाली भरपाई को भरने के लिए भारत सरकार ने 13 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया है। भारत में 70 फीसदी डेबिट कार्ड यूपीआई ट्रांजेक्शन कर रहे हैं। यूपीआई की जीरो कॉस्ट इनोवेटिव और कन्वीनिएंस पेमेंट ऑप्शन के चलते इंडियन फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन मार्केट में कार्ड कंपनीज़ का इन्फ्युएंस तेजी से घट (वीसा-मास्टरकार्ड)रहा है। वीसा-मास्टरकार्ड ने कुछ समय पहले भारत सरकार से शिकायत करते हुए कहा कि रुपे और यूपीआई की वजह से वो इंडिया में अपना बिजनेस सही से नहीं कर पा रहे हैं।

यहां तक की मास्टरकार्ड ने इसके लिए प्रोटेस्ट भी किया था और आरबीआई ने प्रोटेस्ट के रिस्पांस में मास्टरकार्ड को बैन कर दिया था। आने वाले समय में रुपे और यूपीआई के कार्ड्स के पेमेंट सिस्टम को हर जगह ग्लोबल लेवल पर चेलेंज करेगा और यही कारण है कि अमेरिका में यूपीआई को आसानी से इंटरड्यूस नहीं होने दिया जाएगा। इसके साथ ही यूपीआई अमेरिकन बैंक के ज्वांइंट्स के लिए बड़ा खतरा है।

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दरअसल यूपीआई फाइनेंशियल मार्केट में लेवल प्लेइंग फील्ड स्टैब्लिश करता है यानी जो भी बड़े या छोटे बैंक इस टेक्नालॉजी को अडॉप्ट करते हैं वो एक तरह से सेम लेवल पर आ जाते हैं। इसकी वजह से नए और छोटे बैंकों को भी मार्केट में अपनी जगह बनाने का मौका मिलता है।

इसके बाद से बड़ी बैंकों का प्रॉफिट बटने लगता है। बता दें अमेरिका में बैंक ऑफ अमेरिका और सिटी बैंक इस सेक्टर में मोनॉपोली यानी एकाधिकार प्राप्त करते हैं। ऐसे में ये नहीं चाहेंगे कि यूपीआई के जरिए कोई और बैंक उनके एकाधिकार को चुनौती दें। गूगल ने अमेरिकन गवर्नमेंट को यूपीआई जैसा सिस्टम अडॉप्ट करने की सलाह दी थी जो यूएसए के ईगो को हर्ट करता है। साथ ही दुनियाभर में भारत ही एक ऐसा देश है जो अमेरिका को जल्द ही डिजिटल इकोनॉमी में पीछे सकता है।

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Team News Watch India

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