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Draupadi Murmu बनी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार, चौंके विपक्षी दलों के नेता

नई दिल्ली: देश में आगामी 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने आदिवासी वर्ग से संबंध रखने वालीं द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर विपक्षी दलों ही नहीं, बल्कि तमाम राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंका दिया है। भाजपा पहले भी गहन रणनीति अपनाकर संवैधानिक पदों के लिए ऐसे नये चेहरे लाये हैं, जिनके नामों की पहले चर्चा कभी नहीं हुई लेकिन एकाएक उनके नामों पर चर्चा होती है और उन्हें उम्मीदवार घोषित कर दिया जाता है।

दरअसल राष्ट्रपति चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवार की सूची में जो दस नाम थे, उनमें टॉप-5 में द्रौपदी मुर्मू का नाम नहीं था, लेकिन भाजपा ने रणनीतिकार पहले ही तय कर चुके थे, कि इस बार देश के प्रथम नागरिक के पद पर अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को आसीन कराया जाए, और यदि वह महिला हो तो फिर यह सोने पर सुहागा होगा। इसके लिए रणनीतिकारों की नजर में झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू पहले से ही सर्वथा उपयुक्त उम्मीदवार थीं। यहीं कारण है कि सही समय पर द्रौपदी मुर्मू के नाम को लाया गया और उन्हें सर्वाधिक उपयुक्त उम्मीदवार बनाये जाने के लिए जो तर्क और तथ्य पेश किये, उस पर गठबंधन में शामिल दलों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।

भाजपा ने एक दूरदर्शी सोच और देश की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है, उनके मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (84) से होगा। ओडिशा की रहने वाली 64 वर्षीया द्रौपदी मुर्मू देश में सबसे बड़े आदिवासी वर्ग संथाल समुदाय से हैं। स्नातक करने के बाद द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा शिक्षा विभाग में सेवा की। उन्होने राजनैतिक करियर की शुरुआत पार्षद से की थी। इसके बाद वे विधायक बनीं और 2015 में झारखंड की राज्यपाल भी रहीं। व्यक्तिगत तौर पर वह बहुत जीवट रहीं है। जवानी के दिनों में ही उन्होने अपने पति और दो बेटों को खो दिया था, इसके बावजूद उन्होने हिम्मत नहीं हारी और अपनी इकलौती बेटी इतिश्री के साथ पूरी जीवंतता के साथ रहती हैं।

भाजपा ने उन्हें राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर जहां देश के मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, ओडिशा आदि राज्यों में रहने वाले आदिवासियों में पैठ बनेगी। इसके साथ ही राष्ट्रपति चुनाव में ही ओडिशा सत्तारुढ दल बीजू जनता दल (बीजद) का भी सहयोग मिलना तय है। वर्तमान में राष्ट्रपति चुनाव के लिए जो आंकड़े हैं, उन्हें देखकर द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना तय है।

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विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा आईएएस अधिकारी रहे हैं। बिहार के पटना में 1937 में जन्में यशवंत 1960 में आईएएस बने और करीब 24 साल तक भारतीय प्रशासनिक सेवा में काम किया। वर्ष 1884 में नौकरी से इस्तीफा देने के बाद वे जनता दल में शामिल होकर राजनीति में आये थे। वे एक बार राज्यसभा सदस्य रहे, जबकि भाजपा के टिकट पर झारखंड की हजारीबाग लोकसभा से तीन बार सांसद भी रहे। केन्द्र में अटल वाजपेयी सरकार में वे वित्त मंत्री भी रहे। भाजपा ने 75 वर्ष की आयु होने पर उन्हें 2014 में टिकट न देकर उनके बेटे जयन्त सिन्हा को टिकट दिया था। वर्तमान में जयन्त सिन्हा भाजपा से सांसद है, ये अलग बात है कि यशवंत सिन्हा ने वर्ष 2018 में भाजपा छोड़ दी थी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की पार्टी में शामिल हो गये थे। विपक्ष के पास मौजूदा मतों के आंकडे यशवंत सिन्हा के पक्ष में बहुत मजबूत नहीं हैं।

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Team News Watch India

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