महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरीः हर हर महादेव और सतश्री अकाल के जयघोष से गूंजा शिवशक्ति धाम डासना
सिख प्रतिनिधिमंडल में बाबा बलदेव सिंह वला मुखी निहंग जत्थेबंधी तरना दल, नानकशाही संसार फाउंडेशन के अध्यक्ष सरदार सिंह माटा और सरदार रवि रंजन सिंह चेयरमैन झटका सर्टिफिकेशन अथॉरिटी ने भाग लिया। निहंग सतनाम सिंह अटारी वाला और जत्थेबंदी के अन्य सिंह भी शामिल हुए। धर्म रक्षा हेतु सिक्ख और सनातनी की सांझी रणनीति पर विचार हुआ व धरातल पर उतारने की योजना बनाई गयी। सिखों ने यति जी महाराज को पंजाब आने का निमंत्रण भी दिया। जिसे महाराज जी ने सहर्ष स्वीकार किया।
गाजियाबाद। मंगलवार को शिवशक्ति धाम डासना हर हर महादेव और सतश्री अकाल के जयघोष से गूंज उठा। महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने कहा कि सनातन और खालसा का अलगाव दोनों के लिए विनाशकारी होगा।
सिखों का एक प्रतिनिधिमंडल शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर यति नरसिंहानंद गिरि जी महाराज को मिलने आया। यह सिख प्रतिनिधिमंडल मानवता की रक्षा हेतु उनके प्रयासों का समर्थन करने शिव शक्ति धाम डासना आया था। सिखों के प्रतिनिधिमंडल से महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी ने कहा कि सनातनी और सिख बिल्कुल सगे भाई हैं। इनमें कभी आपस में लड़ाई भी हो सकती है और मतभेद भी, परन्तु हमारा भविष्य और हमारे शत्रु एक ही हैं।
यदि हमारे मतभेदों के कारण हमारे शत्रु मजबूत हुए तो हमारी आनी वाली पीढ़ियों को सर्वनाश का सामना करना पड़ेगा।अगर ऐसा हुआ तो हमारे देवी देवताओं सहित सिखों के दस गुरुओ का नाम इतिहास से मिट जाएगा ।जिसके दोषी हिन्दू और सिख दोनों होंगे। शिव शक्ति धाम में औपचारिक बातचीत के बाद लंगर हुआ और सिख सनातन परंपरा पर बातचीत हुई।
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सिख प्रतिनिधिमंडल में बाबा बलदेव सिंह वला मुखी निहंग जत्थेबंधी तरना दल, नानकशाही संसार फाउंडेशन के अध्यक्ष सरदार सिंह माटा और सरदार रवि रंजन सिंह चेयरमैन झटका सर्टिफिकेशन अथॉरिटी ने भाग लिया। निहंग सतनाम सिंह अटारी वाला और जत्थेबंदी के अन्य सिंह भी शामिल हुए। धर्म रक्षा हेतु सिक्ख और सनातनी की सांझी रणनीति पर विचार हुआ व धरातल पर उतारने की योजना बनाई गयी। सिखों ने यति जी महाराज को पंजाब आने का निमंत्रण भी दिया। जिसे महाराज जी ने सहर्ष स्वीकार किया।
तरना दल ने यति महाराज की सुरक्षा पर चिंता जताई और यति महाराज जी की रक्षा के लिए निहंग गार्ड और डासना पर महाराज जी के लिए एक निहंग छावनी बनाने का प्रस्ताव दिया।निहंगों ने युवा युवतियों को तलवार बाजी, तीरंदाजी, घुड़सवारी इत्यादि सिखाने के लिए अपनी छावनी पर आमंत्रित भी किया। महाराज जी से अनुरोध किया कि यदि कुछ युवक-युवतियों को प्रशिक्षण हेतु भेजेंगे तो यह तरना दल का सौभाग्य होगा।