Today’s News! T14 फरवरी सामने आने को है। इस तारीख को पहले दुनिया भर में वेलेंटाइन डे मनाने का रिवाज था फिर भारत में भी यह चला शुरू हो गया। आधुनिकता से लैश इस डे को युवक और युवतियां धूमधाम से मनाते हैं। दोस्ती और प्रेम का इजहार करते हैं। आखिर प्रेम के सिवा इस दुनिया में है भी क्या ? सभी धर्मो में प्रेम और भाईचारे को सबसे ऊपर माना गया है। ईश्वर खुद प्रेम के उपासक है। फिर इंसान के लिए तो प्रेम बरदान ही है। लेकिन जब प्रेम का रूप जब गंदगी पर उतर आये ,समाज को मुँह छुपाने के लिए बाध्य करे तो फिर उस प्रेम में रस नहीं रह जाता। प्रेम तो आत्मा का मिलन है और प्रेम त्याग से शुरू होता है और त्याग पर ही ख़त्म भी। प्रेम में फ़ुहडपन बर्जित है।
भारत में चल रहे सालो से वेलेंटाइन डे चर्चा के विषय रहे हैं। देश के कई इलाको से अकसर ऐसी खबरे आती रही है कि समाज के कुछ लोगो ने प्रेम को बाधित किया ,युवा -युवतियों को प्रताड़ित किया गया। यह सब कतई ठीक नहीं। लेकिन प्रेमी युगलो को भी यह देखना चाहिए कि उनकी हरकते समाज को अपमानित न करे। जहां अपमान हो वहाँ प्रेम कैसा। वह तो वासना बन जाता है। और वासना में प्रेम नहीं हो सकता।
अब एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने 14 फरवरी को काउ हग डे मनाने की अपील की है। 6 फरवरी को जारी अपील पत्र में बोर्ड ने लिखा कि हम सब जानते हैं कि गाय भारतीय संस्कृति, हमारी लाइफ और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है। हम गाय को मां की तरह व्यवहार के कारण कामधेनु और गौमाता कहते हैं।बोर्ड ने कहा है कि पश्चमी संस्कृति और चकाचौध के कारन वैदिक परम्पराये ख़त्म होती जा रही है। गाय के लाभ को देखते हुए उसे गले लगाने से ख़ुशी मिलती है। इससे भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा और जीवन में पाजिटिविटी भी आएगी। बोर्ड के इस अपील पात्र के आखिर में सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी और पशुपालन एवं डेयरी विभाग ,मतस्य ,पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के निर्देश के बाद ही इसे जारी किया गया है।
इस अपील में कोई कमी नहीं है। इसमें कोई बुराई भी नहीं। युवाओं को इस पर गौर करना चाहिए। इससे ऊर्जा की बढ़ेगी। लेकिन सवाल है है कि क्या देश की युवा पीढ़ी इसे अपनाएगी ? अगर अपना पाती है तो देश की संस्कृति मजबूत होगी। प्रेम में बढ़ावा होगा और इंसानियत की पहचान होगी। गाय तो हमारी माता है। उसकी सेवा सर्वोपरि है। लेकिन ऐसा संभव कहाँ दिखता !