13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था आज जलियांवाला बाग हत्याकांड के 104 साल पूरे हो गए हैं लेकिन आज भी अंग्रेजों की इस खौफनाक हरकत को याद कर रूह कांप उठती है.
14 अप्रैल को हल साल बैसाखी के त्योहार को पंजाब में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, यह पर्व मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है. बैशाखी के दिन लोग ढोल – नगाडों पर नाचते गाते है गुरूदारा को सजाया जाता. भजन – कीर्तन कराए जाते है बैसाखी का पर्व पीछे धार्मिक व ऐतहासिक कारण जुडा है इसे रबी की फसल पकने के मौके पर मनाते है इस दिन किसान अपने फसलों की कटाई कर शाम के समय में आग जलाकर उसके चारों ओर इकट्ठे होते है बैसाखी के दिन ही सिखों के 10 वें गोविंद सिंह जी ने 1699 को खालसा पंथ की स्थापना की थी.
बैसाखी(bashakhi) के दिन सें ही देश के कई हिस्से में फसलों की कटाई शुरू होती है. बैसाखी से एक दिन पहले 13 अप्रैल 1919 में ऐसी दर्दनाक घटना घटी थी जो आज भी इतिहास के काले पन्नों में कैद है पंजाब के अमृतसर (Amritsar) में स्वर्ण मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) में 13 अप्रैल को अंग्रेजों ने निहत्थे मासूमों को गोलियों से भून दिया था। इन मासूमों का बस इतना दोष था कि उन्होंने ब्रिटिश(british) हकूमत के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की थी
दरअसल, वर्ष 1919 में जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh )कांड हुआ था और भारत और खासकर पंजाब में आजादी की आवाज तेज होती देख अंग्रेजों ने इस दमनकारी रास्ते को अपनाया था. इस नरसंहार से एक महीने पूर्व 8 मार्च को ब्रिटिश हकूमत ने इंडिया में रोलेट एक्ट(rolet act) पारित किया था. रोलेट एक्ट (rolet act0 के तहत ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों की आवाज दबाने की कोशिश में थी.
रोलेट एक्ट(Rolet act) के तहत ब्रिटिश सरकार किसी भी भारतीय को कभी भी पकड़कर बिना केस किए जेल में डाल सकती थी. इस फैसले के खिलाफ 9 अप्रैल को पंजाब(Punjab) के बड़े नेताओं डॉ. सत्यपाल (dr. satyapal) और किचलू ने धरना प्रदर्शन किया था जिन्हें प्रशासन ने गिरफ्तार कर कालापानी की सजा सुना दी. 10 अप्रैल को नेताओं की गिरफ्तारी का पंजाब (Punjab)में बड़े स्तर पर विरोध हुआ था प्रदर्शन को खत्म कराने के लिए ब्रिटिश सरकार ( british govt) ने मार्शल लॉ(marshal law) लगा दिया. इस कानून के जरिए लोगों को इक्ट्ठा होने से रोका गया था.
पंजाब में मार्शल लॉ लग चुका था, लेकिन 13 अप्रैल को हर साल जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh )में बैसाखी के दिन मेला लगता था और हजारों लोग यहां जमा होते थे. इस दिन भी ऐसा ही हुआ था, हाजारों लोग बच्चों के साथ मेला देखने पहुंचे थे. इस बीच, कुछ नेताओं ने रोलेट एक्ट(rolet act) और दूसरे नेताओं की गिरफ्तारी का विरोध जताने के लिए वहां एक सभा का भी आयोजन किया था.
जलियांवाला कांड (Jallianwala Bagh )को लेकर आजतक ब्रिटेन की ओर से कोई माफी या दुख नहीं जताया गया। हालांकि, 1997 में भारत दौरे पर आईं महारानी एलिजाबेथ(aligabath) द्वितीय ने इस कांड को विचलित करने वाला बताते हुए दुख जताया था. दरअसल, महारानी खुद जलियांवाला बाग स्मारक पुहंची थी और उन्होंने पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी थी.