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उद्धव ठाकरे भी हो सकते हैं इंडिया गठबंधन में पीएम उम्मीदवार !

I.N.D.I.A Alliance News : भला पीएम उम्मीदवार कौन नहीं हो सकता ? इसमें बुराई ही क्या है ? क्या देश के शीर्ष पद पर बैठने में कोई बुराई है ? क्या इसके लिए किसी पढ़ाई -लिखाई और ज्ञान की जरुरत है ? क्या इसके लिए किसी प्रयास की ही जरूरत है ? ऐसा कुछ भी नहीं है। जिसके भाग्य में होना होता है वही होता है। अब तक देश में जितने भी पीएम हुए हैं क्यां उन्होंने प्रयास किया था। नहीं। सच तो यही है कि पीएम बनना उनके भाग्य में था। उनका राज योग था।

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इसी देश में गुजराल साहब भी पीएम बने थे। देवगौड़ा साहब भी प्रधानमंत्री बने। कुआ इन्होने कोई प्रयास किया था ? कभी नहीं। उनका योग बना। पार्टी में एकता बानी और फिर सब कुछ तय हो गया। चंद्रशेखर और वीपी सिंह भी कैसे बने प्रधानमंत्री यह भी सबको पता है। नेहरू के जमाने में ही पीएम के कई उम्मीदवार थे। लेकिन मौका मिला नेहरू को। इसे आप क्या कह सकते हैं ? यह बात और है कि किसके काल में क्या कुछ हुआ ? किसने क्या कुछ देश को दिया ? किसके काल में देश और दुनिया की क्या परिस्थिति रही ? यह सब समझने की जरूरत है। जब तक अटल जी थे बीजेपी के भीतर किसी ने अटल जी के शिवाय पीएम बनने की कोशिश नहीं की लेकिन चाहता कौन नहीं था। अब इंडिया गठबंधन के भीतर प्रधानमंत्री का उम्मीदवार कौन होगा इसको लेकर राजनीति चल रही है।

बीजेपी को चुनावी मात देने के लिए इंडिया गठबंधन की शुरुआत की गई है। यह भी एक कई दलों का मोर्चा ही तो है। जैसे कई दलों का मोर्चा एनडीए है ठीक उसी तरह का मोर्चा पहले यूपीए बना था। यूपीए की भी दस साल तक सरकार चली थी। काफी ताकतवर थी सरकार। ठीक अटल जी ने एनडीए की रचना की थी और करीब आठ साल तक एनडीए की भी सरकार चली। आज भी एनडीए की ही सरकार चल रही है। इसमें केवल ख़ास बात यही है कि पहले एनडीए का नेतृत्व अटल जी कर रहे थे अब मोदी जी कर रहे हैं। पहले बीजेपी के पास बड़ी ताकत नहीं थी अभी बीजेपी के पास बड़ी ताकत है। लोकतंत्र में ताकत आती है और जाती भी है। यह लोकतंत्र सबको मौका देता है और मौका छिनता भी है। इस पर इतने की कौन सी बात है। सत्ता आती है और जाती है। अभी हालिया पांच राज्यों के चुनाव में ही देखिये। कल तक जो सीएम थे अब बाहर हो गए हैं। नए सीएम बनेंगे। कल तक जो सुरक्षा और प्रोटोकॉल के घेरे में थे अब नहीं रहेंगे। यह सब अब नए सीएम को मिलेगा। इसलिए यह लोकतंत्र है। यहाँ कोई राजा नहीं। स्थाई कोई तो नहीं है।

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विपक्ष का इंडिया गठबंधन बीजेपी को हारने के लिए एक होने की कोशिश में है। उधर बीजेपी भी इस कोशिश में है कि मोदी फिर से पीएम बने। तीसरी बार पीएम बने। क्या बीजेपी के लोग भी यही चाहते हैं ?बीजेपी के भीतर भी तमाम ऐसे सांसद और नेता है जो पीएम के बेहतर उम्मीदवार हो सकते हैं। जब वे सांसद हो सकते हैं तो प्रधानमंत्री क्यों नहीं हो सकते। उसे करना ही क्या है ? यह तो देश की जनता के सामने एक वेवकूफी भरा नाटक फैलाया जाता है कि पीएम मोदी के सामने कौन ? क्या यह शरीर की लड़ाई है ? क्या यह पहलवानी है ? क्या यह ज्ञान की प्रतियोगिता है ? ऐसा कुछ भी तो नहीं। देश चलाने के लिए किसी बड़े ज्ञान की जरूरत नहीं होती। जो अंग्रेजी नहीं भी जानते हैं वे देश को चलाते हैं। राज्य को चलाते हैं और समाज को चलाते हैं।
अब उद्धव ठाकरे के बारे में भी यह कहा जाने लगा है कि वे भी प्रधानमंत्री के उम्मीदवार हो सकते हैं। संजय राउत ने ये बाते सहज रूप से कही है। इसमें कोई राजनीति नहीं। जब कोई भी दल अपने नेता को पीएम सीएम बनाने की बात करता है तो उसमे राजनीति कैसी ? उद्धव ठाकरे में आखिर कमी क्या है ? वे प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकते ? कोई बनाकर तो देखे।

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दरअसल बीजेपी बार -बार यह कहती है कि पीएम मोदी के सामने इंडिया गठबंधन का चेहरा कौन होगा ? उधर इंडिया गठबंधन में अभी तक पीएम के नाम पर कोई सहमति नहीं हुई है। इसके वजह भी है। एनडीए में अधिकतर पार्टियां बीजेपी के कही छोटी है। अधिकतर पार्टियां कही सत्ता में नहीं है। लेकिन इंडिया गठबंधन में शामिल अधिकतर पार्टियां कई राज्यों में सत्ता में है और नहीं भी है तो विपक्ष में खड़ी है। ये पार्टियां बड़ी है और इनका जनाधार भी बड़ा है। इंडिया गठबंधन में ये सभी पीएम के उम्मीदवार हो सकते हैं और कोई भू आदमी देश को बेहतर चला सकते हैं। लेकिन ऐसा होता नहीं। उम्मीदवार तो कोई एक ही बनाया जा सकता है ताकि एकता भी बनी रहे और सबकी सहमति से देश भी चले। इस लिहाज से उद्धव ठाकरे भी पीएम के लिए सही उम्मीदवार हो सकते हैं और इसमें कोई खराबी नहीं है।संजय राउत ने भी कहा है कि पीएम उम्मीदवार के लिए एक ही चेहरा होना चाहिए तभी गठबंधन की शान बचेगी और तभी बीजेपी को टक्कर दी जा सकती है। इंडिया गठबंधन की बैठक आज ही होने वाली थी। लेकिन यह टल गई। कुछ नेताओं की अपनी व्यस्तता है और कुछ की परेशानियां भी। 17 या फिर 18 दिसंबर को इंडिया की बैठक होगी जिसमे सीट शेयरिंग से लेकर पीएम उम्मीदवार और संयोजक पर विस्तृत बात होने की उम्मीद है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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