Up Ghaziabad News: गाजियाबाद में पुलिसिंग पर सवाल! सीयूजी नंबर पर पत्रकारों के कॉल नहीं उठा रहे थाना प्रभारी, योगी सरकार के निर्देशों की अनदेखी
पत्रकारों का आरोप है कि थाना प्रभारी का व्यवहार ऐसा है मानो वह खुद को क्षेत्र का "कमिश्नर" समझते हों। सीयूजी नंबर पर फोन करना अब संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि पत्रकारों के लिए धैर्य की परीक्षा बन चुका है।
Up Ghaziabad News: लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानी पत्रकारिता की आवाज को अनसुना करना एक ऐसा विषय है, जो पुलिसिंग और प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सीयूजी नंबर पर पत्रकारों की कॉल न उठाना अनुशासनहीनता मानी जाएगी, फिर भी थाना कौशांबी के प्रभारी संदीप कुमार इस निर्देश की परवाह किए बिना संवादहीनता का एक नया उदाहरण पेश कर रहे हैं।
पत्रकारों का आरोप है कि थाना प्रभारी का व्यवहार ऐसा है मानो वह खुद को क्षेत्र का “कमिश्नर” समझते हों। सीयूजी नंबर पर फोन करना अब संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि पत्रकारों के लिए धैर्य की परीक्षा बन चुका है।
पढ़ें : अप्रैल 2025 से शुरू होगी 8वीं आर्थिक गणना
ईमानदारी के आवरण में संवादहीनता का सच
थाना प्रभारी संदीप कुमार को उनकी ईमानदारी के लिए शुरुआती दिनों में सराहा गया था। लेकिन यह ईमानदारी क्या संवादहीनता को सही ठहराने का आधार बन सकती है? जब क्षेत्र में चोरी, लूट और अन्य अपराध सिर चढ़कर बोल रहे हैं, तब पत्रकारों को उनकी रिपोर्टिंग के लिए सही जानकारी तक पहुंचने में मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं। पत्रकारों का कहना है कि अगर किसी घटना के संदर्भ में तत्काल जानकारी चाहिए, तो डीसीपी और एसीपी जैसे वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क करना पड़ता है। सवाल यह है कि क्या थाना प्रभारी का संवाद से दूर रहना उनकी हनक का प्रदर्शन है, या जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने की मानसिकता?
Latest ALSO New Update Uttar Pradesh News, उत्तराखंड की ताज़ा ख़बर
थाना प्रभारी का रवैया: लोकतंत्र की बुनियाद पर चोट
पत्रकारों का फोन न उठाना केवल संवादहीनता नहीं, बल्कि लोकतंत्र की पारदर्शिता पर सीधा आघात है। यह रवैया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के उस विजन के विपरीत है, जिसमें पत्रकारों को प्रशासन और जनता के बीच एक सेतु के रूप में देखा जाता है। जब सीयूजी नंबर, जो संवाद के लिए ही आरक्षित है, का उपयोग न हो, तो यह जनता और पत्रकारों दोनों के विश्वास पर गहरी चोट करता है।
कौशांबी क्षेत्र में अपराध नियंत्रण या दिखावटी व्यवस्थाएं?
कौशांबी क्षेत्र में लगातार बढ़ती चोरी, लूट और अन्य आपराधिक घटनाएं पहले से ही पुलिसिंग पर सवाल खड़े कर रही हैं। ऐसे में थाना प्रभारी का संवाद से कतराना क्षेत्र में कानून व्यवस्था को और अधिक कमजोर करने जैसा है। यह भी चर्चा का विषय है कि थाना स्तर पर अधिक ध्यान वीआईपी व्यवस्थाओं और जजों की सुविधाओं पर दिया जा रहा है, जबकि जनता की सुरक्षा प्राथमिकता से दूर होती जा रही है।
पढ़ें : सीबीएसई बोर्ड 10वीं,12वीं के Admit Card जारी , दिए गए लिंक से करें डाउनलोड
पत्रकारों की मांग: जवाबदेही तय हो
पत्रकारों ने गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर से मांग की है कि थाना प्रभारी संदीप कुमार की इस कार्यशैली की समीक्षा की जाए। पत्रकारों का कहना है कि अगर संवादहीनता और आदेशों की अनदेखी को अनदेखा किया गया, तो यह शासन-प्रशासन दोनों की साख पर असर डालेगा।
पढ़े ताजा अपडेट: Newswatchindia.com: Hindi News, Today Hindi News, Breaking
क्या थाना प्रभारी को मिलेगा संरक्षण?
यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या संदीप कुमार की इस कार्यशैली पर कोई कार्रवाई होगी, या फिर यह मामला भी पुलिसिया तंत्र के भीतर दफन हो जाएगा? क्योंकि ईमानदारी का दावा करने वाले अधिकारी जब संवाद तक से दूरी बनाने लगें, तो जनता का विश्वास टूटना स्वाभाविक है।
Follow Us: हिंदी समाचार, Breaking Hindi News Live में सबसे पहले पढ़ें News watch indiaपर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट न्यूज वॉच इंडिया न्यूज़ लाइवपर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, न्यूज़ और Latest sport Hindi News, से जुड़ी तमाम ख़बरें हमारा App डाउनलोड करें। YOUTUBE National। WhatsApp Channels। FACEBOOK । INSTAGRAM। WhatsApp Channel। Twitter।NEWSWATCHINDIA 24×7 Live