देवबंद (सहारनपुर)। प्रदेश में किये जा रहे मदरसे सर्वे को लेकर जमायत-उलेमा-ए- हिन्द और दारुल उलूम के उलेमाओं और मदरसे को मौलानाओं की रविवार को बैठक हुई। स्थानीय रशीदी मस्जिद में हुई इस बैठक में प्रदेश भर से आये करीब पांच सौ उलेमाओं और मौलानाओं शिरकत की।
डैमेज कंट्रोल की कोशिश
बैठक के बाद जमायत-उलेमा-ए-हिन्द प्रमुख मौलाना अशरद मदनी और मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने पत्रकारों से बात की। इन दोनों नेताओं ने पूर्व में सर्वे के विरोध में दिये गये बयानों को लेकर हुई आलोचना पर मंथन किया। उन्होने डैमेज कंट्रोल करते हुए कहा कि मदरसों का सर्वे कराना सरकार का हक़ है। सभी मदरसा संचालकों को सर्वे के काम में सरकार का सहयोग करने के लिए कहा गया है।
सरकारी जमीन पर बने मदरसे गिराये जाएं
अशरद मदनी ने कहा कि हमारे लिए मदरसे और मस्जिद एक ही बात है। दोनों का संबंध हमारी मजहबी गतिविधि प्रक्रिया से है। इसलिए मजहबी कार्य के लिए हमें सरकारी मद्द नहीं चाहिए। उन्होने कहा कि जो मदरसे अपनी जमीन पर हैं, वे ही असली मदरसे हैं। यदि कोई गैर मान्यता प्राप्त मदरसा सरकारी जमीन पर है, उसके गिराये जाने पर उन्हें कोई एतराज नहीं होना चाहिए।
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बैठक में कहा गया कि सर्वे टीम द्वारा मांगें जाने वाले दस्तावेजों को पहले से ही तैयार रखें। सर्वे टीम के पूछे जाने वाले सवालों का बेवाकी से जबाव दें। सर्वे को लेकर किसी तरह से डरने की जरुरत नहीं है।
बता दें कि इस समय योगी सरकार के आदेश पर उत्तर प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे किये जा रहे हैं। ये सर्वे 15 अक्टूबर तक पूरे कर लिये जाएंगे। यूपी में अधिकृत तौर पर 16,461 पंजीकृत मदरसे हैं। इनमें मात्र 560 मदरसों के सरकार की ओर से आर्थिक सहायता मिलती है।
16,461 पंजीकृत मदरसे
यूपी सरकार की कोशिश है कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में दीनी तालीम के साथ-साथ हिन्दी, अंग्रेजी, गणित आदि की शिक्षा भी दी जानी चाहिए। मदरसों की सच्चाई जानने के लिए ही यूपी सरकार सर्वे करा रही है। इन सर्वो को लेकर मदरसा संचालकों और तमाम मुस्लिम धार्मिक नेताओं में बेचैनी बनी हुई है।