देवबंद(सहारनपुर): जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के दो दिवसीय सम्मलेन में मुस्लिम धर्मगुरुओं का काशी-मथुरा मस्जिद मसलों और देश भर में तमाम प्राचीन मस्जिदों और संरक्षित स्मारकों पर किये जा रहे नये दावों और विवादों के बीच मुस्लिमों का क्या रुख रहेगा, यह आज स्पष्ट हो सकता है। मुस्लिम धर्मगुरु उत्तर प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू किये जाने की संभावित स्थिति के मद्देनजर भी मुस्लिमों की भूमिका और इसके लागू होने पर सामने आने वाली संभावित परेशानियों पर मंथन करेंगे।
जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष महमूद मदनी की अध्यक्षता में मंदिर-मस्जिद विवादों और देश के वर्तमान हालात पर मंथन करने के लिए शनिवार और रविवार को इदलास मैदान में हो इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसमें जमीयत उलेमा-ए-हिन्द से जुड़े देश भर से पांच हजार से अधिक मुस्लिम धर्मगुरुओं के भाग लेने का दावा किया जा रहा है। इन दिनों जिस तरह से वाराणसी ज्ञानवापी मामले के बाद से लगभग हर रोज अदालतों में नई-नई अर्जियां डालकर मुस्लिमों की मस्जिदों पर सवाल उठाये जा रहे हैं, उससे मुस्लिम धर्मगुरुओं की नींद उड़ी हुई है।
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देश की कई महत्वपूर्ण मस्जिदों को मंदिरों के अवशेषों से बने होने की बातों का पता चलने पर मुस्लिमों में बहुत बेचैनी है। इस संबंध में अब तक जो भी सर्वे हुए हैं, उनमें किये जा रहे दावों के पक्के सबूत मिलने से धार्मिक तनाव बढने की आशंका है। इसलिए देश में सदभाव और भाईचारा कायम रहे, इसी को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं को मंथन चल रहा है।