Vijaya Ekadashi 2025 Date Time: 23 या 24 फरवरी 2025 विजया कब है एकादशी , जानें पूजा मुहूर्त, पारण समय
सबसे शुभ दिनों में से एक है, विजया एकादशी के व्रत को माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। भगवान विष्णु के भक्त इस व्रत को रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं। माह में दो बार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एकादशी आती है। इस साल विजया एकादशी फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि यानी 24 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।
Vijaya Ekadashi 2025 Date Time: हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत और तिथि का विशेष महत्व होता है। सालभर में कुल 24 एकादशी व्रत होते हैं, जिन्हें हर महीने दो बार—कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में रखा जाता है। फाल्गुन मास में आने वाली पहली एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है
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हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत और तिथि का विशेष महत्व होता है। सालभर में कुल 24 एकादशी व्रत होते हैं, जिन्हें हर महीने दो बार—कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। फाल्गुन मास में आने वाली पहली एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है, जिसका व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस वर्ष विजया एकादशी 24 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।
विजया एकादशी का महत्व
विजया एकादशी का अर्थ है विजय दिलाने वाली एकादशी। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को जीवन की सभी बाधाओं पर विजय प्राप्त होती है। यदि आप जीवन में सुख-समृद्धि, शत्रुओं पर विजय या दुखों से मुक्ति चाहते हैं, तो इस एकादशी पर व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा अवश्य करें।
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विजया एकादशी का यह है शुभ मुहूर्त
तिथि प्रारंभ: 23 फरवरी दोपहर 1:55 बजे
तिथि समाप्त: 24 फरवरी दोपहर 1:44 बजे
उदयातिथि के अनुसार, व्रत और पूजा 24 फरवरी को ही की जाएगी।
विजया एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा में पीला चंदन, पीले फूल, पीली मिठाई, लौंग और सुपारी अर्पित करें।
धूप-दीप प्रज्वलित कर भगवान विष्णु का ध्यान करें और एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
कथा के बाद भगवान विष्णु की आरती करें और ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को अपनी सामर्थ्य अनुसार दान दें।
इसके पश्चात ही स्वयं भोजन ग्रहण करें।
विजया एकादशी के उपाय
सुबह जल्दी उठकर जल में केसर मिलाकर स्नान करें।
सूर्यदेव को जल में केसर मिलाकर अर्घ्य अर्पित करें।
पूजा स्थल पर भगवान विष्णु या राम दरबार की प्रतिमा स्थापित करें।
इसके बाद “ॐ क्लीं कृष्णाय नमः” मंत्र का तीन माला जाप करें।
विजया एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम समुद्र पार करके लंका जाने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे, तब उन्होंने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की। लेकिन समुद्र देव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार नहीं की। तब वकदालभ्य मुनि की सलाह पर भगवान श्रीराम ने विधिपूर्वक विजया एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से समुद्र देव ने श्रीराम को मार्ग प्रदान किया और अंततः भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की। तभी से इस एकादशी को “विजया एकादशी” के नाम से जाना जाता है।
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