Shimla Mosque Controversy: हिमाचल प्रदेश के शिमला के उपनगर संजौली में स्थित मस्जिद के ‘अवैध’ निर्माण के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। हिंदू संगठन कथित अवैध मस्जिद को गिराने की मांग कर रहे हैं। हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों ने गुरुवार 5 सितंबर को विधानसभा के पास चौड़ा मैदान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने संजौली में ‘अवैध’ मस्जिद को गिराने की मांग की। मस्जिद के ‘अवैध’ निर्माण को लेकर चल रहे विरोध के बीच, वक्फ बोर्ड ने शुक्रवार, 6 सितंबर को विवाद पर कार्रवाई की। वक्फ बोर्ड ने पूरी मस्जिद को अपने कब्जे में ले लिया है। न्यूज 18 के मुताबिक वक्फ बोर्ड ने माना कि मस्जिद की मंजिलें ‘अवैध’ तरीक से बनाई गई थीं।
इसके अलावा शिमला वक्फ बोर्ड के राज्य अधिकारी कुतुबुद्दीन ने चैनल को बताया कि, मस्जिद में तैनात इमाम को भी हटा दिया गया है। बोर्ड की यह कार्रवाई शिमला की संजौली मस्जिद के बाहर हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद आई है। गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP), विभिन्न हिंदू संगठनों और स्थानीय निवासियों ने मस्जिद को ध्वस्त करने की मांग की, जिसे वे ‘अवैध’ मानते हैं।
मुस्लिम निकाय ने राज्य के बाहर से मुस्लिम समुदाय से संबंधित कई लोगों द्वारा किए गए अन्य अवैध अतिक्रमणों को भी हटा दिया। वक्फ बोर्ड ने विवाद को देखते हुए किसी भी बाहर के इंसान को मस्जिद में रहने के लिए पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।
संजौली मस्जिद विवाद कब और कैसे शुरू हुआ?
गुरुवार 5 सितंबर को हिंदू संगठनों ने मस्जिद के अवैध निर्माण के खिलाफ शिमला के कई इलाकों में विरोध मार्च निकाला था। देवभूमि क्षेत्रीय संगठन के अध्यक्ष रुमित सिंह ठाकुर ने सनातनियों से शिमला में जुटने का आह्वान किया था। उन्होंने पीटीआई को बताया कि पूरे राज्य से लोगों ने उनके आह्वान पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सनातन एकता का प्रदर्शन किया।
मीडिया के मुताबिक, विवाद तब शुरू हुआ जब अल्पसंख्यक समुदाय के आधा दर्जन लोगों ने मलाणा इलाके में एक व्यापारी और कुछ अन्य व्यापारियों पर लोहे की रॉड और डंडों से हमला कर दिया। इस हमले में चार व्यापारी घायल हो गए। घटना के समय ये व्यापारी घर लौट रहे थे।
मलाणा क्षेत्र में एक सितंबर को मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों द्वारा एक व्यापारी पर किए गए हमले के विरोध में गुरुवार को प्रदर्शन किया गया। घटना के तुरंत बाद संजौली के बाहर मलाणा क्षेत्र में लोग एकत्र हुए और वहां एक मस्जिद को गिराने की मांग की। ठाकुर ने आरोप लगाया कि बाहरी लोग बड़ी संख्या में हिमाचल प्रदेश में आ रहे हैं। उन्होंने सरकार से ऐसे लोगों की पहचान सत्यापित करने और उनके कारोबार को पंजीकृत करने की मांग की। उन्होंने बताया कि बुधवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उन्हें फोन कर मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया।
सीएम का बयान
सीएम सुखू ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा कि, राज्य के सभी निवासियों के समान अधिकार हैं और वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा, “शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में कोई समस्या नहीं है, लेकिन किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी।”
कांग्रेस के मंत्री ने खुद उठाए सवाल
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि मस्जिद सरकारी जमीन पर बनी थी और यह मामला पिछले 14 साल से अदालत में लंबित है। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि किसी भी अतिक्रमणकारी के खिलाफ कार्रवाई में कोई ढील नहीं बरती जाएगी। उन्होंने कहा, “कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और जो भी कार्रवाई की जाएगी, वह कानून के दायरे में होगी, चाहे वह नगर निगम करे या पुलिस।”
कांग्रेस सरकार के मंत्री अनिरुद्ध ठाकुर ने खुद हिमाचल प्रदेश विधानसभा में इस मामले पर रिपोर्ट पेश की। उन्होंने इस मस्जिद के कुछ निर्माणों को ‘अवैध’ बताया। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बोलते हुए सिंह ने शिमला की संजौली मस्जिद के निर्माण की जांच की मांग की। सिंह ने यह भी कहा कि मस्जिद के कथित अवैध निर्माण से इलाके में तनाव पैदा हो गया है।
शिमला के उपनगर संजौली और चौड़ा मैदान में मस्जिद निर्माण के विरोध में स्थानीय लोगों के साथ-साथ विभिन्न संगठनों के लोग भी सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शनकारी मस्जिद को गिराने की मांग कर रहे हैं। अधिकारियों ने माना कि वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी संरचना का एक हिस्सा अवैध है। उन्होंने कहा कि मामला संवेदनशील है और यह समुदायों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है।