New Delhi: अगर आप को खाना ना खानें दिया जाय तो क्या होगा. अच्छा चलिये अगर हम आप से ये कहें की एक आदमी पूरी जिन्दगी बिना खाना खाए जीवित रहा तो क्या आपको यकीन होगा? ये मज़ाक नहीं है, ये सच है.
बिना खाए कैसे जीवित रहते थे देवरहा बाबा ?
एक इंसान कितने साल तक जीवित रह सकता है, और अगर वो खाना भी ना खाए फिर क्या वो जीवित रह पाएगा. अब आप सोच रहें होगें की मैं क्या बकवास कर रहा हूं. लेकिन ये कहानी उत्तरप्रदेश के देवरिया में देवरहा बाबा नाम के एक योगी की है. कहा जाता है की बाबा जब 250 सालों तक जीवित रहे. कुछ लोग तो ये भी कहते हैं की ये 500 साल तो कुछ लोग 900 साल तक बताते हैं. क्योंकि किसी को बाबा के जन्म के बारे में नहीं पता है. बाबा पर लिखी कुछ किताबों और लेखों में दावा किया गया है कि बाबा ने जीवन भर अन्न नहीं खाया.
तो आप सोच रहें होगें की आखिर देवरहा बाबा खाते क्या थे. वे यमुना का पानी पीते थे और दूध, शहद ,श्रीफल के रस का सेवन करते थे. इतना ही नहीं बाबा एक साथ दो अलग-अलग जगहों पर उपस्थित होने का दावा भी करते थे. कहा जाता है इसके पीछे पतंजलि योग सूत्र में वर्णित सिद्धी थी.
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बाबा के पास इस तरह की कई और सिद्धियां भी थी. इनमें से एक और सिद्धी थी पानी के अंदर बिना सांस लिए आधे घंटे तक रहने की. इतना ही नहीं बाबा जंगली जानवरों की भाषा भी समझ लेते थे. कहा जाता है कि वह खतरनाक जंगली जानवरों को पल भर में काबू कर लेते थे.
आम नागरिक ही नहीं कई हस्तियां भी थे बाबा के भक्त
देवरहा बाबा के भक्त केवल आम नागरिक ही नहीं बल्कि दिग्गज राजनीतिक हस्तियां भी थीं. इनमें से प्रमुख पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पूर्व गृह मंत्री नेता भूटा सिंह, मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद हैं.
ये कई बार देवरहा बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए उनके पास जाते थे. हालांकि ज्यादातर समय ये नेता चुनावों के दौरान बाबा के दर्शनों के लिए गए. शायद इसके पीछे बाबा से जीत का आशीर्वाद लेना ही प्रमुख वजह रही हो. देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने बाबा की लम्बी आयु होने का दावा किया था.
उन्होंने बाबा की उम्र करीब 150 साल होने की बात कही. वो भी तब जब वो खुद 73 साल के थे. उन्होने कहा था की वो बचपन में देवरहा बाबा के पास आया करते थे. हालांकि डॉ राजेन्द्र प्रसाद के इस बयान का कोई विश्वसनीय स्त्रोत नहीं मिल पाया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक वकील ने दावा किया था कि उसके परिवार की सात पीढिय़ों ने देवहरा बाबा को देखा है. बाबा ने अपनी देह त्यागने के 5 साल पहले ही मृत्यु का समय बता दिया था. अंत 19 मई, 1990 को बाबा ने अपने देंह का त्याग कर दिया.