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बृहदेश्वर मंदिर एक पहेली, क्यों धरती पर नहीं पड़ती इसकी छाया?

नई दिल्ली: धूप में निकलने पर हमें अपनी छाया ज़मीन पर दिखती है. ये एक वैज्ञानिक तथ्य हैं. लेकिन आज हम आप को दिखाएगें एक ऐसा मंदिर जिसकी छाया जमीन पर पड़ती ही नहीं है.

भारत में तरह-तरह के अजूबें

दुनिया में भारत एक ऐसा देश है जहां प्राचीन काल से ही ऐसे अजूबे मिलते हैं जो हमें चौंका देते हैं. बृहदेश्वर मंदिर ऐसा ही एक रहस्य है, यह मंदिर अपनी भव्यता और वास्तुशिल्प के लिए जाना जाता है. राजा चोला प्रथम ने इसे बनवाया था.

बृहदेश्वर मंदिर की उंचाई 216 फीट है. इसे puzzle टेकनिक से बनाया गया था (gfx in)  यानी दो पत्थरों को बिना प्लास्टर के आपस में जोड़ना और इसमें 130000 टन के ग्रेनाइट पत्थर लगे हैं.

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मंदिर का गुंबद की छाया का रहस्य

बृहदेश्वर मंदिर में धूप मे खड़ी किसी भी वस्तु की छाया सूर्य की स्थिति के अनुसार दिखती है, और दिन के 12 बजे एक समय होता है. जब छाया नहीं दिखती लेकिन यहां सबसे हैरानी की बात ये है की इस मंदिर के गुंबद की छाया जमीन पर किसी भी समय नहीं पड़ती है. यह एक रहस्य बना हुआ है और इसका जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है.

जिन पत्थरों से ये मंदिर बना है उसका यहां से सौ-सौ किलोमीटर दूर तक कोई खान नहीं है. कहा जाता है की ये पत्थर मीलों दूर से मगवायें गये थे. मंदिर सन 1010 में पूरी तरह बन कर तैयार हुआ था, और इसे 1996 मे World Heritage मे शामिल किया गया.

बृहदेश्वर मंदिर के इसके शिखर पर एक स्वर्णकलश है जो एक पत्थर पर रखा गया है और इस पत्थर का वजन 80 टन है. आखिर इसे 216 फीट उपर कैसे पहुंचाया गया. यह किसी को नहीं पता ऐसे कई सवाल हैं. जिसकी गुथ्थी अब तक सुलझ नही पाई हैं.

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