Political News: एनसीपी का क्या होगा इसकी चर्चा होने लगी है। शरद पवार क्या करेंगे यह भी राजनीतिक गलयारों में चर्चा चल रही है। और दूसरे नजरिये से भी देखें तो यह भी कहा जा सकता है कि अजित पवार आगे क्या कुछ करेंगे ? क्या सच में अजित पवार अपने चाचा को एनसीपी से बेदखल कर देंगे ? यह सब कल्पना की बात है। राजनीति का यह सच आज सामने आ गया है। इस राजनीति में कोई किसी का नहीं है। शिवसेना में भी साल भर पहले यही सब हुआ था। जिस शिवसेना ने शिंदे का पाला। वही शिंदे ने शिकसेना को को हड़प लिया। चुकी के सारः थी ऐसे में सारे शिवसैनिक भी शिंदे के साथ ही चले गए। जो शिवसैनिक बाला साहब ठाकरे को भगवान् मानते थे वे सब शिंदे के साथ खड़े हो गए। बाला साहेब के बेटे उद्धव सब कुछ अपनी आँखों से देखते रहे। कुछ नहीं कहला। जब सरकार के सभी तंत्र एक हो जाए तो वहां भला कौन जीत सकता है। शिवसेना के बाद अब एनसीपी की बारी है।
Read More: Hindi Samachar Today Live | Hindi Ki Tazza Khabar
एनसीपी में भी वही सब हुआ जो शिवसेना में हुआ था। शिवसेना में उद्धव ठाकरे ने राजनीति को समझा और एनसीपी में शरद पवार बुढ़ापे में भतीजे की चाल को पहचाना 9 अक्टूबर को चुनाव आयोग में चाचा भतीजा आमने सामने हो सकते हैं। चुनाव चिन्ह को लेकर इस दिन सुनवाई होनी है। सुनवाई तो 6 अक्टूबर को भी हुई थी। उस सुनवाई में शरद पवार ने भतीजे के दावों को काल्पनिक बता दिया। हालांकि शरद पवार बोलते -बोलते भावुक भी हो गए। आँखे भी छलक आयी। लेकिन होनी को भला कौन टाल सकता है ? राजनीति कितनी बेदर्द है उसे शरद पवार ने अब जाकर समझने की कोशिश की है। हालांकि शरद पवार कांग्रेस लके साथ भी पहले कुछ यही सब कर चुके हैं। लेकिन फिर भी शरद की दोस्ती आज भी कांग्रेस और उसके नेताओं के साथ है। पहले वे सोनिया के खलाफ थे लेकिन आज वे सोनिया के साथ ही राहुल के भी सहयोगी है। इंडिया गठबंधन में शरद पवार की जो भूमिका है उससे कांग्रेस वाले भी खुश हैं। शरद पवार के साथ छाए जो भी हो जाए लेकिन राहुल उनके साथ खड़े हैं। यह सब देखकर शरद पवार और भी भावुक हुए जा रहे हैं। कुछ लोग तो यह भी कह रहे हैं कि संभव है कि शरद पवार फिर से कांग्रेस में लौट सकते हैं लेकिन अभी यह सब कयास बाजी से ज्यादा कुछ भी नहीं। सबकी निगाहें चुनाव आयोग के फैसले पर है।
Also Read: Latest Bollywood News | Bollywood Samachar Hindi
बता दें कि इसी साल के जुलाई में अजित पवार ने 40 समर्थक विधायकों के साथ एनसीपी से अलग हो गए और दावा कर दिया कि एनसीपी उनकी है। अजित पवार शिंदे सरकार में शामिल हो गए। सरकार में भागिदार भी बन गए। इसके बाद उन्होंने चुनाव आयोग में चुनाव चिन्ह पर दावेदारी भी थोक दी। फिर अजित पवार ने पार्टी का अध्यक्ष भी खुद को घोषित कर दिया। इसके बाद आयोग ने शरद पवार को नोटिस जारी किया और जवाब माँगा।
कह सकते हैं शरद पवार ने जिन लोगों को लेकर एनसीपी की स्थापना की थी उनमे से अधिकतर नेता आज अजित पर के साथ है। अजित पवार ने 30 जून को आयोग के सामने जो पत्र दाखिल किया है उसमे कहा गया है कि एनसीपी के 53 विधायकों में से 42 उनके साथ हैं।
Read More News: Latest Political News | Political Samachar
विधान परिषद् के 9 विधायकों में से 6 उनके साथ हैं। इसके साथ ही नागालैंड में पार्टी के सभी सात विधायकों का भी उन्हें समर्थन मिला हुआ है। इसके साथ ही लोकसभा और राज्य सभा के भी एक सदस्य उनके साथ ही है।
शरद पवार 6 तारीख को दो घंटे तक चुनाव आयोग में बैठे रहे। शरद पवार शायद ही कभी दो घंटे कहीं बैठे हों। अजित गट के वकील ने कहा कि शरद पवार मनमानी तरीके से पार्टी को चलाना चाहते हैं। वे पार्टी को अपनी जागीर समझते हैं। कोई भी सोंच सकता है कि शरद पवार पर क्या कुछ बीत रहा होगा। लेकिन वे सब कुछ सुनते रहे और सहते भी रहे। अब 9 तारीख को क्या होता है इस पर देश की निगाह टिकी हुई है।