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जानिए मायावती ने बीजेपी और कांग्रेस पर क्यों किया बड़ा हमला

बसपा सुप्रीमो मायावती ने बाजौर कांग्रेस पर बड़ा राजनीतिक हमला किया है। उन्होंने कहा है कि ये दोनों पार्टियां महिला आरक्षण ,जातीय जनगणना को भुनाने में जुटी है ताकि अपनी सभी विफलताओं पर पर्दा दाल सके। मायावती ने आगे बढ़ते हुए इन दोनों पार्टियों को घेरते हुए कहा कि आज चुनाव के समय दोनों पार्टियां कई तरह के वादे करते फिर रही है। ये लुभावने वादे जनता को छलने के लिए है ताकि चुनावी माहौल को प्रभवित किया जा सके। कोई भी इनसे यह नहीं पूछ रहा है कि जो वादे वे कर रहे हैं ,पहले क्यों नहीं किये ?जाहिर है यह सब छलावा है और जनता को बेवकूफ बनाने का खेल भर है।

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मायावती ने कहा कि आज देश कई समस्यायों से जूझ रहा है। लेकिन इन दोनों दलों के पास उन समस्याओं को ख़त्म करने का कोई जुगाड़ नहीं है। देश गरीबी ,महंगाई ,बेरोजगारी से परेशान है। लेकिन बीजेपी और कांग्रेस को आरक्षण और जातीय गणना को आगे बढाने में लाभ मिलता दिख रहा है। इस देश की जनता सब समझ रही है।
मायावती ने कांग्रेस पर जोरदार वार करते हुए कहा कि आज कांग्रेस कह रही है कि जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी भागीदारी। बड़ी अच्छी बात है। लेकिन इनसे सवाल कर के देखिए कि जब उनकी सरकार थी तब उन्होंने यही फार्मूला अपनाया ? आजादी के बाद से उनकी ही सरकार ज्यादा समय तक रही है। कांग्रेस जानती भी थी कि आबादी किसकी ज्यादा है। फिर उसमे यही फार्मूला क्यों नहीं अपनाया ? जाहिर है यह सब नया शिगूफा है और लोगों को बेवकूफ बहाने का खेल है। इस नए खेल को जनता समझ भी रही है। आने वाले चुनाव में जनता इसका जवाब देगी। यह बसपा ही है आबादी वॉर भागीदारी के फॉर्मूले को लागू करके दिखाया है।

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मायावती का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बीजेपी और कांग्रेस के बीच चुनाव जितने की होड़ लगी हुई है। खासकर पांच राज्यों के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला है और यह मुकाबला ऐसा है कि इसमें जिसकी जीत -हार होगी इसका बड़ा सर लोकसभा चुनाव पर भी पडेगा।
वैसे बता दें कि मायावती की पार्टी बसपा अभी किसी भी गठबंधन के साथ नहीं है। उन्होंने ऐलान भी किया है कि आगामी लोकसभ चुनाव वह अपने दम पर अकेले लड़ेगी। हालांकि जानकार कह रहे हैं कि पांच राज्यों के चुनावी परिणाम के बाद बसपा का यह स्टैंड बदल भी सकता है। क्योंकि मायावती जानती है कि उनके वोट बैंक में लगातार गिरावट आ रही है और अगर वह अकेले चुनाव लड़ती है तो उसे लोकसभा में काफी मिश्किलों का सामना भी करना पड़ सकता है।

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जानकार यह भी कह रहे हैं कि अभी मायावती इसलिए अपने पत्ते नहीं खोल रही है कि अगर वह इंडिया गठबंदःन के साथ जाती है तो बीजेपी उन पर नकेल कास सकती है और और अगर वह बीजेपी के साथ जाती है तो उनके साथ के बहुत से वोटर फिर से गैर बीजेपी दलों की तरफ जा सकते हैं। वैसे भी पिछले कुछ सालों में बसपा का वोट बैंक काफी कम हुआ है और इनके अधिकतर वोट बैंक सपा और कांग्रेस की तरफ चले गए हैं। फिर इतना कहा ही जा सकता है कि यूपी में बसपा आज भी एक बड़ी पार्टी है और उनका जाटव वोट बैंक आज भी उनके साथ खड़ा है। लेकिन क्या केवल जाटव वोट बैंक के सहारे ही बसपा चुनावी नैया पार लगा सकती है ? यह बड़ा सवाल है।

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