Diwali 2023: दीपावली (Diwali ) का पर्व पूरे 5 दिन का होता है और इसकी शुरूआत धनतेरस से होती है और भाई दूज (Bhai Dooj) पर जाकर समाप्त होती है। लोग अपने घरों को सजाते हैं और साफ-सफाई करते हैं। धन की देवी मां लक्ष्मी और गणेशजी की पूजा होती है। आइए जानते हैं इन पांचों दिनों के पर्व के बारे में और देखें सभी का शुभ मुहूर्त।
दीपावली हर साल कार्तिक मास की अमावस्यां को मनाई जाती है और इस साल यह त्योहार 12 नवंबर को मनाया जाएगा। दीपावली का शुभारंभ धनतेरस के दिन से ही हो जाता है और भाई दूज तक यह 5 दिवसीय उत्सुव मनाया जाता है। सबसे पहले धनतेरस (Dhanteras) फिर नरक चतुर्दशी, उसके बाद बड़ी दिवाली, फिर गोवर्द्धन पूजा (Goverdhan Puja) और सबसे आखिर में भाई दूज पर इस पर्व की समाप्ति होती है। आइए आपको बताते हैं पांचों दिनों के इन त्योहारों के बारे में विस्तार से और जानते हैं सभी का शुभ मुहूर्त।
कब हैं धनतेरस ?
धनतेरस (Dhanteras) इस बार 10 नवंबर को मनाई जाएगी। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाई है। पौराणिक मान्य ताओं में यह बताया गया है कि कार्तिक मास के कृष्णृ पक्ष की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन से भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे और उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था। उन्हें विष्णु भगवान का अवतार माना जाता है। धनतेरस को उनके प्राकट्योत्साव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेरजी और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है और सोने-चांदी के अलावा बर्तनों की खरीद करते हैं। धनतेरस को लेकर ऐसी मान्याता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुओं में 13 गुना वृद्धि होती है और आपको धन की कमी नहीं होती। त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर होगा और अगले दिन 11 नवंबर को दोपहर में 1 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। धनतेरस का त्योहार प्रदोष काल में मनाया जाता है, इसलिए यह शु्क्रवार को 10 नवंबर को होगा।
कब है नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली
दीपावली से एक दिन पहले और धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली मनाई जाती है। यह कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी होती है और इसे रूप चौदस, नरक चौदस और काली चौदस भी कहते हैं। चतुर्दशी तिथि का आरंभ 11 नवंबर को दोपहर में 1 बजकर 57 मिनट से होगा और समापन अगले दिन 12 नवंबर को दोपहर में 2 बजकर 44 मिनट पर होगा। इसलिए उदया तिथि के मुताबिक नरक चतुर्दशी 12 नवंबर को ही मनाएंगे। इसी दिन दीपावली भी मनाई जाएगी। जो लोग इस दिन काली मां की पूजा करते हैं और यमदीप जलाते हैं वे 11 नवंबर को नरक चतुर्दशी मना सकते हैं।
दीपावली कार्तिक अमावस्या को होती है और इस दिन भगवान राम लंका को जीतकर अयोध्या लौटे थे और उनका स्वागत नगरवासियों ने घी के दीपक जलाकर किया था। इस उपलक्ष्य में हर साल हम लोग चारों तरफ दीए जलाकर खुशियां मनाते हैं। इस दिन गणेश भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। गणेशजी हमें सभी अच्छे कार्यों में शुभ लाभ प्रदान करते हैं और मां लक्ष्मी हमें धनवान बनाती हैं। कार्तिक अमावस्या। तिथि का आरंभ 12 नवंबर को 2 बजकर 44 मिनट पर होगा और समापन 13 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर होगा। दीपावली की पूजा भी धनतेरस की तरह प्रदोष काल में करना शुभ माना जाता है। इसलिए दीपावली 12 नवंबर को मनाई जाएगी।
दीपावली के अगले दिन 13 नवंबर को कार्तिक शु्क्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्द्धन पूजा (Goverdhan Puja) की जाती है। इंद्र भगवान ने क्रोध में आकर जब भीषण वर्षा करवाई थी तो भगवान कृष्ण ने सभी गोकुल वासियों की रक्षा करने के लिए गोवर्द्धन पर्वत (Goverdhan Puja) को अपनी उंगली पर उठा लिया था पर्वत के नीचे खड़े होने से सभी लोगों की जान बच पाई थी। इस उपलक्ष्य में हर वर्ष कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्द्धन पूजा (Goverdhan Puja) का त्योहार मनाया जाता है।
भाई दूज यानी के यम द्वितीया का पर्व बुधवार 15 नवंबर को मनाया जाएगा। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्तेग को समर्पित है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक करके और उनकी आरती करके लंबी उम्र की कामना करती हैं। मान्यता है कि इस दिन यमराज भी अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर आए थे।