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कब है ओणम का त्योहार, जानें क्यों और कैसे मनाया जाता है यह त्योहार

Onam Festival: ओणम का पर्व आने वाला हैं और ओणम का पर्व 12 दिनों तक मनाया जाता है लेकिन मुख्य रूप से यह त्योहार 10 दिन का होता है। इसके पहले दिन को अथम और 10वें दिन को थिरुवोणम कहा जाता है। आइए जानते हैं आखिर क्यों मनाया जाता है यह पर्व…

Onam Festival

आपको बता दें 20 अगस्त यानि रविवार से दक्षिण भारत के मुख्य त्योहारों में से एक ओणम त्योहार (Onam festival) शुरू होने जा रहा हैं और यह त्योहार 31 अगस्त दिन गुरुवार तक चलेगा। 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को मलयालम कैलेंडर के मुताबिक, चिंगम महीने में मनाया जाता है। चिंगम का महीना वर्ष का पहला महीना माना जाता है, जो अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक, अगस्त और सितंबर के बीच में आता है। यह त्योहार भगवान वामन की जयंती और राजा बलि के स्वागत में मनाया जाता है। इस त्योहार का 10वां और आखिरी दिन बेहद खास माना जाता है, जिसे थिरुवोणम कहते हैं। आइए इस लेख के जरिए जानते हैं आखिर ओणम का पर्व क्यों और कैसे मनाते हैं…

ओणम कब है ? – Onam Festival Kab hai?

how celebrate Onam Festival

10 दिन तक निरंतर चलने वाले ओणम का हर दिन बेहद खास होता है। इस पर्व की शुरुआत 20 अगस्त से हो रही है और 31 अगस्त को इस पर्व का समापन होगा। हालांकि यह पर्व 12 दिनों तक मनाया जाता है लेकिन इसके शुरुआती 10 दिन मुख्य होते हैं। मलयालम में सावन नक्षत्र को थिरुवोणम नक्षत्र कहा जाता है। चिंगम माह में सावन या थिरुवोणम नक्षत्र के प्रबल होने की स्थिति थिरु ओणम (Onam festival) का पूजन किया जाता है। ओणम पर्व दक्षिण भारत में मुख्यतः केरल का सबसे प्राचीन और पारंपरिक उत्सव माना जाता है, जिसे दस दिनों तक बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ओणम पर्व के दौरान अपने घरों को 12 दिनों तक फूलों और रंगोली से सजाते हैं और इन दिनों भगवान विष्णु और महाबली की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। साथ ही यह पर्व नई फसल की अच्छी उपज की खुशी में भी मनाया जाता है।

क्यों मनाया जाता है Onam Festival

Onam Festival

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आपको बता दें थिरुवोणम 2 शब्दों से मिलकर बना है, थिरु और ओणम। थिरु का मतलब है पवित्र और ओणम त्योहार (Onam festival) का नाम है। कहा जाता है इस दिन राजा महाबली पाताल लोक से पृथ्वी पर अपनी प्रजा को आशीर्वाद देने के लिए आते हैं, जिसकी खुशी में यह त्योहार मनाया जाता है। उनके ही स्वागत करने के लिए लोग घरों में साफ-सफाई करते है और घरों को सजाते है। यह भी माना जाता है कि इस दिन विष्णु भगवान ने वामन अवतार लिया था। जानकारी के मुताबिक बता दें ओणम के त्योहार पर केरल में 4 दिन का अवकाश रहता है। इन 4 दिनों को प्रथम ओणम, द्वितीय ओणम, तृतीय ओणम और चतुर्थ ओणम कहा जाता है।

यह त्योहार 12 दिन तक मनाया जाता है – Onam Festival Celebration

ओणम पर्व में लोग सुबह उठकर ईश्वर की पूजा अर्चना करते हैं और सुबह केला और तले हुए पापड़ खाते हैं। अधिकतर लोग 10 दिनों तक यही नाश्ता करते हैं। इसके बाद घरों की साफ-सफाई और खरीदारी करते हैं। इसके साथ ही हर दिन रंगोली और फूलों से घरों को सजाया जाता है। महिलाएं ओणम के चौथे दिन आलू के चिप्स और अचार बनाती हैं। वहीं हर दिन महिलाएं घर में कुछ खास व्यंजन बनाती हैं और इस पर्व के दौरान नौका दौड़ प्रतियोगिता भी कराई जाती है, जिसे वल्लमकली कहा जाता हैं।

इस प्रकार होता है ओणम का समापन

onam

ओणम का 9वां दिन बहुत खास होता है क्योंकि सुबह ही सारी तैयारी कर ली जाती हैं और राजा महाबली का इंतजार किया जाता है। इसे ओणम का पहला दिन कहा जाता है। ओणम के 10वें दिन जैसे ही राजा बलि का आगमन होता है, लोग एक दूसरे को बधाई देते हैं और पकवानों से थालियों को सजाया जाता है। इस दिन को दूसरा ओणम कहा जाता है। ओणम के 11वें दिन को तीसरा ओणम कहा जाता है, इस दिन राजा बलि को वापस भेजने की तैयारी की जाती है। आपको बता दें ओणम के 12वें दिन को चौथा ओणम माना जाता है, इस दिन नृत्य कार्यक्रम के साथ समारोह का समापन किया जाता है।

Prachi Chaudhary

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