वसुंधरा राजे के बेटे ने विधायकों को किया गोलबंद, तो विपक्ष ने छोड़ सियासी तीर!
Rajasthan Assembly Election: भला वो कौन होगा, जो मुख्यमंत्री बनने की चाहत ना रखता हो, हर नेता के मन में यही चाहत होती है कि वो उसे भी मुख्यमंत्री बना दिया जाए, जिसके लिए वो साम, दाम दंड भेद सब कुछ लगा देते हैं। यानी की बस कैसे भी मुख्यमंत्री की गद्दी मिल जाए। कुछ ऐसा ही हो रहा है राजस्थान में जहां पर सियासी पारा हाई है। हर ओर ये चर्चाएं हो रही हैं कि आखिर राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा। दरअसल आपको बता दें कि राजस्थान में वसुंधरा राजे का नाम मुख्यमंत्री पद की रेस में पहले नहीं आ रहा था, लेकिन अब वसुंधरा राजे हर वो सियासी दांव खेल रहीं हैं, जिससे वो मुख्यमंत्री बन पाएं। वसुंधरा राजे को दिल्ली बुलाया गया गया है, जहां पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने देर रात केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की और सीएम के नामों को लेकर चर्चा की ।
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बता दें कि वसुंधरा अपने बेटे के साथ पार्टी अध्यक्ष से मिलने आई हैं, वसुंधरा राजे एक तरफ पार्टी आलाकमान की तरीफ कर रही हैं तो दूसरी तरफ पावर पॉलिटिक्स भी करना शुरू कर दिया है। वसुंधरा राजे के बेटे पर विधायकों की गोलबंदी का आरोप लगा है। लेकिन बीजेपी नेताओं ने इसे खारिज कर दिया है। लेकिन एक बात तो साफ है कि वसुंधरा राजे पार्टी आलाकमान पर पूरा दबाब बनाने की कोशिश कर रही हैं। तो वहीं दूसरी तरफ वसुंधरा राजे के समर्थक विधायक भी इस कोशिश में हैं सीएम उन्हीं को बनाया जाए। लेकिन जब उनसे सवाल किया विधायकों ने गोलमोल जवाब देते नजर आए।
जिस तरह से पार्टी में बैठकों का दौर जारी है, गुटबाजियों का दौर चल रहा है, उसके बाद बीजेपी नेता भी गोलमोल जवाब देकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। वहीं राजस्थान के प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद विधायक दल की बैठक में सीएम के नाम पर फैसला होगा। तीन राज्यों में मिली बंपर जीत के बाद सीएम के नाम को लेकर हो रही देरी पर विपक्षी दल तंज भी कसने लगे हैं।
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अगर बात वसुंधरा राजे की ताकत की करें तो उन्हें सरकार चलाने का लंबा अनुभव है। कई विधायकों का समर्थन है और सभी जातियों को साधने में सक्षम हैं। उनकी कमजोरी की बात करें तो कार्यकर्ताओं से संवादहीनता, PM मोदी-शाह से तल्खी और बढ़ती उम्र उनको सीएम पद से दूर रख सकती है।
तो वहीं बाबा बालकनाथ के इस्तीफे ने वसुंधरा राजे की चुनौतियों को बढ़ा दिया है। पार्टी में बालकनाथ युवा चेहरा हैं और हिंदुत्ववादी फायरब्रांड नेता उनको मजबूत बनाता है। और उनकी हिंदूवादी छवि का बीजेपी लोकसभा में भी फायदा उठाना चाहेगी। ऐसे में आलाकमान वसुंधरा राजे की जगह बाबा बालकनाथ को मौका दे सकता है।
जाहिर है, सीएम के नाम की घोषणा में हो रही देरी से कयासों का दौर जारी है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को लेकर बीजेपी में बैठक पर बैठक चल रही है।तमाम नेता भागदौड़ कर रहे हैं लेकिन किसी के नाम पर अंतिम मुहर अब तक नहीं लग पाई है।