God Will Fulfill All Your Wishes : किसी विद्यार्थी ने परीक्षा की पूरी तैयारी कर ली फिर भी उसे संशय (God Will Fulfill All Your Wishes If You Will) है कि वह पास होगा या नहीं। अगर यह संशय मिटाने के लिए स्टूडेंटस को अपने इष्टदेव की कृपा तथा आशीर्वाद की अनुभूति हो जाए तो वह दोगुने उत्साह एवं पूरे आत्मविष्वास के साथ एग्जाम की तैयारी करेगा और स्वतः रिजल्ट उत्कृष्ट रहेगा। इसलिए कहा जाता है, जीवन में एक गुरु, एक इष्ट बनाना अति अनिवार्य है। आइए जानते हैं, कैसे इष्ट प्रबल होने पर अनिष्ट नहीं होता है।
सृष्टि के सभी मनुष्य कर्म करते हैं, लेकिन जिन मनुष्यों के पास (God Will Fulfill All Your Wishes If You Will) उनके इष्टदेव की शक्ति एवं इष्टदेव का आशीर्वाद होता है, उनके मन में कभी भय, संशय अविश्वास जैसी कोई भी नकारात्मक धारणा का प्रवेश नहीं होता। किसी भी देवी-देवता अथवा महापुरुष को अपना इष्ट बनाकर उनकी आराधना करने से व्यक्ति में निडरता, आत्मीयता तथा उत्साह विद्यमान होता है। धर्मशास्त्रों में वर्णित है कि प्रत्येक मनुष्य को अपने इष्ट को पहचानकर उनकी पूजा-आराधना नित्य करनी चाहिए। ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों के मुताबिक इष्टदेवता का निर्धारण किया जाता है जिसके अन्तर्गत पंचम भाव में जो ग्रह बलवान होकर स्थित होते हैं, उनसे संबंधित देवी-देवता व्यक्ति के इष्ट होते हैं।
कभी-कभी पंचम भाव में (God Will Fulfill All Your Wishes If You Will) कोई भी ग्रह नहीं बैठा होता है, ऐसी स्थिति में पंचम भाव के स्वामी जिसे ज्योतिष शास्त्र में पंचमेश कहा जाता है के आधार (God Will Fulfill All Your Wishes If You Will) पर इष्ट देवी-देवता का निर्धारण किया जाता है। विद्वानों के मुताबिक इष्ट निर्धारण के लिए जन्मकुण्डली के पंचम भाव का अध्ययन कर ग्रहों के बलाबल के आधार पर ही इष्ट का निर्धारण करना चाहिए। इष्टदेव की कृपा एवं आशीर्वाद जीवन में उस प्रकार है, जिस प्रकार साधारण जल में गुलाबजल मिल जाता है। अतः प्रत्येक परिप्रेक्ष्य में इष्ट कृपा होना अत्यंत आवश्यक है। इष्ट कृपा का शाब्दिक अर्थ है, अपने आराध्य देव की कृपा प्राप्त करना। जिस व्यक्ति का इष्ट प्रबल होता है, उसका कभी अनिष्ट नहीं होता। इष्ट प्रबल होने पर जीवन में (God Will Fulfill All Your Wishes If You Will) किसी प्रकार का विघ्न नहीं रहता और सभी वांछित कार्य पूर्ण होते हैं। दिव्य शक्ति द्वारा किसी उद्देश्य तथा कार्य विशेष की पूर्ति हेतु प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहयोग लेना ही इष्ट कृपा है। सफलता हेतु जीवन में किसी भी कार्य-व्यवहार के प्रति कभी भी संशय नहीं होना चाहिए।
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इष्ट कृपा प्राप्त होने पर (God Will Fulfill All Your Wishes If You Will) मिटते हैं सभी भ्रम – यदि किसी स्थान पर एक झुण्ड में पक्षी दाना चुग रहे हों और वहां जाकर कोई ताली बजा दे तो वे पक्षी उड़ जाएंगे जिनको यह संशय होगा कि कोई उन्हें पकड़ने आया है। लेकिन वे पक्षी नहीं उड़ेंगे जिनको कोई संशय नहीं होगा। इस प्रकार संशयरहित पक्षियों को ही दाना चुगने का पूर्ण अवसर प्राप्त होता है। इष्ट कृपा प्राप्त होने पर समस्त प्रकार के भ्रम मिट जाते हैं। प्रभु कृपा या इष्ट कृपा हाथ की सुंदर ताली है जो संदेह रूपी पक्षियों को उड़ा देती है। इसलिए धर्मशास्त्रों में वर्णित है कि इष्ट कृपा की प्राप्ति के लिए कोई संशय न हो तो निष्चित रूप से आपको सभी सुखों की प्राप्ति होगी। जिस पर इष्ट कृपा बनी रहती है, उसका संशय मिट जाता है, रामचरितमानस के बालकाण्ड के दोहा 114, चौपाई एक में गोस्वामी तुलसीदास जी (tulsidas ji) बड़ा ही सुन्दर वर्णर कर कहते हैं,
राम कथा सुंदर कर तारी। संसय बिहग उड़ावनिहारी।।
रामकथा कलि बिटप कुठारी। सादर सुनु गिरिराजकुमारी।।
अर्थात् श्री राम जी की कथा हाथ की सुंदर ताली है, जो संदेहरूपी पक्षियों को उड़ा देती है। फिर रामकथा कलियुगरूपी वृक्ष को काटने के लिए कुल्हाड़ी है। हे गिरिराजकुमारी! तुम इसे आदरपूर्वक सुनो।