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Google Alternative Billing System: गूगल बिलिंग सिस्टम में सरकार को क्यों देना पड़ा दखल, जाने क्या है पूरा मामला?

Google Alternative Billing System | Android Billing Library

Google Alternative Billing System: ऐप बनाने वाले स्टार्टअप्स और गूगल के बीच सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा है। दरअसल, Google ने कुछ भारतीय ऐप्स को Google Play Store से हटा दिया था, जिसे लेकर काफी हंगामा हुआ था। साथ ही इसे भारतीय स्टार्टअप सिस्टम के खिलाफ भी बताया जा रहा था.

गूगल का दायरा सिर्फ गूगल सर्च तक ही सीमित नहीं है. गूगल का अपना पूरा इकोसिस्टम (ecosystem)  है। यदि आप एंड्रॉइड स्मार्टफोन (android smartphone) यूजर हैं तो इसका मतलब है कि आप हर तरह से गूगल पर निर्भर हैं। Android Google का ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसका उपयोग Apple को छोड़कर सभी स्मार्टफोन कंपनियां करती हैं। यही कारण है कि आपको हर एंड्रॉइड स्मार्टफोन में Google Play Store ऐप देखने को मिल जाएगा। मतलब अगर आप किसी भी फोन में कोई ऐप डाउनलोड करना चाहते हैं तो आपको Google Play Store की मदद लेनी होगी। गूगल एक तरह से स्मार्टफोन (Google Alternative Billing System) यूजर और ऐप के बीच का गेटवे है। इसके अलावा जी-मेल, गूगल मैप समेत कई गूगल ऐप्स हैं, जिनसे गूगल को फायदा होता है।

क्या है विवाद?

आसान शब्दों में समझें तो Google किसी ऐप को अपने Google Play Store पर लिस्ट करने के लिए पैसे लेता है। मतलब अगर आपने कोई मोबाइल ऐप बनाया है तो उसे Google Play Store पर लिस्ट करना होगा, जहां से हर स्मार्टफोन यूजर उस ऐप को डाउनलोड कर सकेगा। गूगल इसके (Google Alternative Billing System) लिए ऐप से पैसे चार्ज करता है। यह चार्ज अलग-अलग होता है. इसे लेकर विवाद चल रहा है. यह चार्ज 15 से 30 फीसदी तक होता है.

सरकार को देना पड़ा दखल

1 मार्च को Google ने कई ऐप्स को Google Play Store से हटा दिया था। इसकी वजह गूगल बिलिंग सिस्टम (Google Alternative Billing System) बताया गया। हालांकि गागुल की कार्रवाई पर सरकार सख्त हो गई है. इसके बाद ऐप्स वापस आ गए हैं. सरकार का कहना है कि वह पूरी तरह से भारतीय स्टार्टअप्स के साथ है।

क्या है गूगल बिलिंग सिस्टम

Google  द्वारा एक नया बिलिंग सिस्टम (Google Alternative Billing System) पेश किया गया था, जिसे कमाई वाले ऐप्स पर लागू किया गया है। मान लीजिए, एक ऐप है Shaadi.com यह ऐप सब्सक्रिप्शन आधारित है. मतलब, अगर आप Shaadi.com का पेड सब्सक्रिप्शन लेते हैं तो इसका फायदा शादी.कॉम के मालिक को होगा, लेकिन इस फायदे का करीब 15 से 30 फीसदी हिस्सा Google को चार्ज करना होगा।

क्या नहीं है दूसरा विकल्प सवाल खडे होते है कि क्या Google  के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है? ऐसा नहीं है, बाजार में सैमसंग (Samsung)  के साथ-साथ फोन पे का इंडस ऐप स्टोर भी मौजूद है, जहां आप अपने APP को फ्री में लिस्ट कर सकते हैं। हालाँकि Google काफी लोकप्रिय है. आजकल हर स्मार्टफोन में Google Play Store पहले से इंस्टॉल होता है। ऐसे में ऐप बनाने वाले स्टार्टअप लोकप्रिय प्लेटफॉर्म की ओर ही रुख करते हैं। साथ ही, Google का अपना इकोसिस्टम है, जिससे ऐप निर्माताओं को फायदा होता है।

Prachi Chaudhary

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