Jharkhand BJP Politic’s: बीजेपी की राजनीति कई राज्यों में बदल रही है। बीजेपी कई आदिवासी बहुल राज्यों में बहुत कुछ परिवर्तन करती जा रही है। अभी उसकी नजर झारखंड पर है। बीजेपी की समझ बन रही है कि झारखंड पर फोकस करके आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में सब कुछ कर लिया जाए। यही वजह है कि बीजेपी की नजर से अधिक से अधिक आदिवासी नेताओं पर टिकी है। और सबसे बड़ी बात है कि इस समय आदिवासी नेताओं को ही बीजेपी आगे बढ़ा रही है।
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संगठन से लेकर विधान सभा तक में उन नेताओं को आगे बढ़ा रही है बीजेपी जो प्रदेश की राजनीति में कभी काफी सक्रिय हुआ करते थे लेकिन बीच में उन्हें हाशिये पर कर दिया गया था। सच तो यही है कि बीजेपी सभी सवर्ण नेताओं को अभी तरजीह नहीं दे रही है। उसका फोकर आदिवासी ,दलित और पिछड़ी जातियों के नेताओं पर है।
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बीजेपी के लोग ही कहते हैं कि झारखंड के सवर्ण लोग अधिक से अधिक बीजेपी के साथ ही। अधिकतर सवर्ण बीजेपी को ही वोट डालते हैं और जब झामुमो की सरकार होती है तब अधिकतर सवर्ण झामुमो के साथ हो जाते हैं। लेकिन बड़ा सच यही है कि झारखंड के सवर्ण बीजेपी के साथ ही खड़े रहे हैं। ऐसे में बीजेपी को लग रहा है कि झारखंड के सवर्ण उनके वोट तो है ही। वे कही नहीं जा सकते। हालांकि झारखंड में एक बड़ा बदलाव आता दिख रहा है। इधर कुछ सालों में बड़ी संख्या में असवर्ण कांग्रेस के साथ ही झामुमो के साथ भी सहज हुए हैं। बिहार और यूपी से आने वाले अधिकतर सवर्णो की कहानी बदली है। वे बीजेपी से अलग भी भी हुए हैं। वे झामुमो को भी वोट देते हैं और कांग्रेस के साथ भी चले जाते हैं। कह सकते हैं कि वे फ्लोटिंग वोट हैं। लेकिन फिर भी अधिकतर सवर्ण बीजेपी के साथ आज भी खड़े हैं।
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अब बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी को बनाकर बड़ा दाव खेला है। बीजेपी सभी पिछड़े और दलित नेताओं को कोई न कोई पद पर बैठा रही है। इसके पीछी की कहानी यही है कि जिस तरह से रघुबर दास पिछड़ी जाती के बड़े नेता थे ,किसी और नेता को आगे बढ़ाने की बात चल रही है। माना जा रहा है कि बीजेपी अभी झारखण्ड में कई पिछड़े और और दलित नेताओं के साथ ही आदिवासी नेताओं को आगे बढ़ाएगी ताकि आगामी चुनाव में उसे लाभ मिल सके। लेकिन बजे के इस खेल को झामुमो और कांग्रेस भी समझ रही है। आगे इंडिया गठबंधन के लोग क्या खेल करेंगे इसे देखना बाकी है।