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Kartik Maas 2023 Rules for Food: कार्तिक मास में इन चीजों को भूलकर भी न खाएं…. जानें यहां खानपान के नियम

Kartik Maas 2023 Rules for Food: कार्तिक मास का आरंभ हो चुका है और इस महीने से सर्दी के मौसम का आरंभ माना जाता है, इसलिए शास्त्रों में इस महीने के खानपान को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करने से हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। आइए जानते हैं कार्तिक मास में खानपान को लेकर शास्त्रों में क्याे नियम बताए गए हैं।

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कार्तिक मास (Kartik Maas) 29 अक्टूबर 2023 रविवार से आरंभ हो चुका है। कार्तिक मास (Kartik Maas) धार्मिक दृष्टि से बहुत खास माना जाता है और इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा का सबसे ज्यादा महत्व होता है। कार्तिक मास (Kartik Maas) में खानपान को लेकर शास्त्रों में कुछ विशेष नियम बताए गए हैं। कार्तिक मास में जप, तप, व्रत और मौन आदि का विशेष महत्व होता है। इस महीने में भूमि पर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन, दीपदान, तुलसी पूजन करने से मनुष्य को इसी जन्म, में मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज हम आपको बता रहे हैं कार्तिक मास (Kartik Maas) में खानपान के नियम को लेकर विस्तार से।

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कार्तिक मास (Kartik Maas) में बैंगन, गाजर, लौकी और बासी अन्न नहीं खाना चाहिए, जिन फलों में बहुत सारे बीज हों उन फल का भी त्याग करना चाहिए।

कार्तिक (Kartik Maas) में बैंगन और करेला खाना मना बताया गया है। कार्तिक (Kartik Maas) में गुड़ का दान करने से मधुर भोजन की प्राप्ति होती है।

कार्तिक मास (Kartik Maas) में चना, मटर, उड़द, मूंग, मसूर, राई खाने को मना किया जाता है और इस महीने में दोपहर में सोने से भी मना किया जाता है।

कार्तिक मास (Kartik Maas) में प्रतिदिन गुड़ का सेवन करना चाहिए। गुड़ भोजन को पचाने में सहायता करने के साथ ही रक्तचाप पर भी नियंत्रण करता है और गुड़ के सेवन से सर्दी जुकाम और खांसी की समस्या भी दूर रहती है।

कार्तिक मास (Kartik Maas) के पवित्र महीने में भूलकर भी मांसाहार का सेवन न करें। मान्यता है कि ऐसा करने वाले को नरक में स्थान मिलता है।

कार्तिक मास (Kartik Maas) से ठंडी के महीने की शुरुआत मानी जाती है। इसलिए हमें इस महीने से ठंडी वस्तुओं और ठंडी तासीर वाली वस्तुओं का सेवन एकदम बंद कर देना चाहिए।

इस महीने में शरीर में तेल लगाने को भी मना किया जाता है। कार्तिक के महीने में सिर्फ नरक नतुर्दशी के दिन शरीर पर तेल लगाने की बात शास्त्रों में बताई गई है।

कार्तिक मास (Kartik Maas) में प्रतिदिन तुलसी के वृक्ष पर दीपक जलाना चाहिए और रात्रि में प्रतिदिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का ध्यान जरूर करें। ऐसा करने से आपके घर में धन समृद्धि बढ़ती है और मां लक्ष्मी का आगमन होता है।

कार्तिक मास (Kartik Maas) में तुलसी की सेवा करने का विशेष महत्व होता है। इस महीने में तुलसी का रोपण करें और तुलसी विवाह करने से आपके दांपत्य जीवन में खुशहाली बढ़ती है।

कार्तिक मास (Kartik Maas) में जो सूर्योदय के बाद स्नान करता है वह अपने पुण्य का क्षय करता है और जो सूर्योदय के पहले स्नान करता है वह अपने रोग और पापों को नष्ट करने वाला हो जाता है। पूरे कार्तिक मास के स्नान से पापशमन होता है तथा प्रभुप्रीति और सुख की प्राप्ति होती है। दुःख दूर होते हैं और जीवन में अनुकूलता बढ़ती है।

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कार्तिक मास (Kartik Maas) में यदि कोई व्यक्ति प्रात: स्नान न कर पाए तो उसे कार्तिक मास के अंतिम 3 दिन – त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को ऊंकार का जप करते हुए सुबह सूर्योदय से पहले स्नान कर लेने से महीनेभर के कार्तिक मास के स्नान के पुण्यों की प्राप्ति होती है।

Prachi Chaudhary

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