आखिर गोरखपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति के खिलाफ क्यों खड़ी है बीजेपी की छात्र इकाई ?
Gorakhpur University: यूनिवर्सिटी में भ्रष्टाचार की कहानी कोई नई नहीं है। भारत में अब तक अधिकतर लोगों की पढ़ाई-लिखाई सरकारी स्कूलों और विश्वविद्यालयों के जरिये ही होती रही है। सरकार का ढांचा कैसा होता है यह सब जानते हैं। फिर सरकारी फंड की लूट अगर अन्य विभागों में हो सकती है तो शिक्षा विभाग में क्यों नहीं ? अब तक पढ़ाई-लिखाई के इस विभाग में जितने घपले घोटाले इस देश में हुए हैं अगर उसकी ही निष्पक्ष जांच कर दी जाए तो इस देश के सारे जेल शिक्षा लुटेरों से भर सकते हैं। लेकिन जाँच करें भी ताे कौन? जाँच करने वाला आदमी भी इंसान है और वह भी तो सरकारी फंड पर ही पलटा है और उसे लूटने में संकोच भी नहीं करता। तो फिर जांच करें कौन?
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देश के हर भाग में शिक्षा के नाम पर बड़े-बड़े घोटाले हुए हैं और आज भी हो रहे हैं। कई जगह के कुलपति और विभाग के प्रमुख जेल भी गए हैं या फिर उनकी नौकरी ख़त्म की गई है। इसके साथ ही पढ़ाई-लिखाई भी अब राजनीति का आखाड़ा है। राज्य सरकार का कुछ कहना होता है आउटर केंद्र सरकार के प्रतिनिधि राज्यपाल जो अक्सर राज्यों के विश्वविद्यालयों के कुलपति होते है उनकी कहानी कुछ और ही होती है कुल मिलाकर शिक्षा का बेड़ा गर्क होता है और शिक्षा विभाग के अधिकतर फंड लूट लिए जाते हैं।
बिहार में मुजफ्फरपुर स्थित भीमराव आंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी के प्रति कुल पति के वेतन को बिहार सरकार ने रोक दिया है। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग का कहना है कि वीसी ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया है और अकादमिक कैलेंडर को ठीक से लागू नहीं कर रहे हैं। जिससे छात्रों का भविष्य अन्धकार में डूबा हुआ है। उधर इस मामले को लेकर सरकार और राज्यपाल में ठन गई है। राज्यपाल चाहते हैं कि वीसी को वेतन मिल जाए। वीसी की नियुक्ति राज्यपाल के जरिए ही होती है। और राज्यपाल अभी बीजेपी के लोग हैं। उनकी अपनी राजनीति है। अपनी नियुक्ति भी है।
लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात गोरखपुर से आ रही है। वहां सरकार भी बीजेपी की है और राज्यपाल भी बीजेपी के ही हैं। फिर भी गोरखपुर यूनिवर्सिटी (Gorakhpur University) के वीसी के खिलाफ एबीवीपी के छात्र ही आंदोलन कर रहे हैं और वीसी पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगा रहे हैं। पढ़ाई ठप है और छात्रों की जिंदगी बेकार होती जा रही है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी (Gorakhpur University) के कुलपति राजेश सिंह के खिलाफ छात्र आंदोलन कर रहे हैं और उन पर कई तरह के आरोप भी लगा रहे हैं। छात्रों का कहना है कि कुलपति राजेश सिंह लम्बे समय से वित्तीय धोखाधड़ी कर रहे है और इसके साथ ही अकादमिक कुप्रबंधन की वजह से शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई है।
छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी के ही कई प्रोफेसर शोध के नाम पर करोड़ों का खेल कर रहे हैं और सीड मनी को लुटा जा रहे है। यह सब लम्बे समय से चल रहा है और अभी राजेश सिंह इस खेल को और भी आगे बढ़ा रहे हैं। शोध के नाम पर लूट की यह कहानी हालांकि नयी नहीं है। इसकी भी जांच की जाएं तो इस देश में शोध के नाम पर कितने अरबों की लूट की गई है सब कुछ लेकिन जांच करेगा कौन?
बता दें कि राजेश सिंह इससे पहले पूर्णिया यूनिवर्सिटी के वीसी थे। काफी राजनीतिक पहुंच वाले हैं। पूर्णिया में चार साल तक वीसी रहे, शिक्षा को बर्बाद किया और कई तरह के घपले घोटाले का आरोप झेलते रहे। बड़े बदनाम भी हुए। उनके खिलाफ लोकायुक्त की जांच भी हुई । जांच में बड़े खुलासे भी हुए। फिर वहां से गोरखपुर यूनिवर्सिटी (Gorakhpur University) पहुंच गए। यहां भी वही सब चल रहा है। लेकिन यहां कोई विपक्षी पार्टी राजेश सिंह को नहीं घेर रही है। सब उनके ही तो है। सरकार भी उनकी है। राज्यपाल भी उनके ही है और एबीवीपी भी उनका ही है। देखिये आगे क्या होता है। लेकिन एक बात यह है कि अमर प्रेम फिल्म के उस गाने को याद कीजिये जिसमें यह कहा गया है कि ”मझधार में नैया डोले तो माझी पार लगाए, माझी जो नाव डुबोये उसे कौन बचाए ”, गोरखपुर यूनिवर्सिटी में सब कुछ चरितार्थ होता दिख रहा है।