International Widows Day क्यों मनाया जाता है? जानिए इसका इतिहास और महत्व
International Widows Day: आज़ादी के 7 दशकों बाद भी देश में कुछ वर्ग, जातियां और समुदाय ऐसे हैं जो आज भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन जी रहे हैं. जिन्हें आज भी समाज के मुख्यधारा से कटे हुए हैं. लेकिन एक विधवाएं सभी धर्मों, जातियों और समुदायों में पाई जाती है. दुख इस बात का है कि इस वर्ग को स्वयं समाज ने इनको सभी प्रकार की सुविधाओं दूर कर जीवन जीने पर मजबूर कर दिया है.
क्यों मनाया जाता है International Widows Day?
हर वर्ष 23 जून को विधवाओं के कल्याण के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस (International Widows Day 2023) मनाया जाता है. यह दिवस के रूप में विधवाओं के सामने आने वाली कठिनाईयां उनके अधिकारों और कल्याण के प्रति के प्रति जागरूकता बढ़ाने है. इसके माध्यम से विधवाओं के सामने आने वाली आर्थिक, सामाजिक और कानूनी कठिनाइयों का सामना करना और इन मुद्दों को हल करने के लिए कार्रवाई को बढ़ावा देना है.
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विकासशील देशों में विधवाओं की समस्याएं
बता दें कुछ विधवाएं विरासत के अधिकारों से वंचित हैं तो कुछ यौन शोषण या हिंसा की शिकार होती हैं. भारतीय विधवाएं अभी भी अतीत के परंपराओं (legacy), मानदंडों (norms) और सांस्कृतिक उपेक्षाओं से पीड़ित हैं. विधवाओं को अपने जीवन के दौरान आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है. जिसके कारण वे अपने बच्चों को शिक्षा के लिए स्कूल भेजने के बजाय काम पर भेजने के लिए मजबूर जो जाती है
International Widows Day: भारत में विधवाओं की समस्याएं
राजस्थान की सीता देवी ने बताया कि जब उसके पति की 10 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी, तब उनके बच्चों की उम्र महज 5 से 6 साल के बीच थी. पति की असामयिक मौत के कारण उन्हें अपने पुत्र का स्कूली सें दाखिला करवाकर उसे पैतृक कार्य में लगाना पड़ा.
सीता देवी से सरकार की ओर से विधवाओं (International Widows Day 2023) के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं व उनसे मिलने वाले लाभ के बारे में पूछा तो वह कहती है कि ‘मुझे सरकार की तरफ से विधवा पेंशन के नाम पर मात्र 750 रुपये मिलते हैं. इसके अलावा किसी प्रकार की कोई मदद नहीं दी जाती. 750 रुपये में घर चलाना बेहद मुश्किल है. आर्थिक तंगी के चलते मैनें मजबूर होकर अपने बड़े बेटे का स्कूल छुड़वाकर उसे काम पर लगा दिया और खुद भी मजदूरी करने लगी. अनपढ़ होने के कारण हमें विधवा कल्याण की दिशा में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की कोई सूचना नहीं मिलती और न ही इस बारे में कोई जानकारी देता है.
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विधवाओं की सहायता के लिए सरकारी कार्यक्रम
ई-मित्र संचालक प्रवीण कुमार के मुताबिक ‘देश व राज्य में विधवाओं की आर्थिक सहायता के लिए सरकारी कार्यक्रम और सामाजिक पहल के तौर पर कई योजनाएं संचालित हैं, जैसे कि राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना, स्वाधार गृह योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY), महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम में सहायता योजना, राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना, अन्नपूर्णा योजना (Annapurna Scheme) इत्यादि. विकसित और विकासशील दोनों देशों में विधवाओं को अपनी सामाजिक स्थिति (social status) में कई परिवर्तनों का सामना करना पड़ता हैं.