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Budget 2023: हालिया बजट से आखिर नीतीश कुमार इतने निराश क्यों है ?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में बजट पेश किए जाने के बाद नीतीश कुमार ने एक के बाद लगातार सात ट्वीट किए. इनमें सीएम नीतीश ने कहा कि बिहार को इस बजट से निराशा हाथ लगी है. इसके अलावा युवाओं को रोजगार देने का खाका भी बजट में नहीं दिख रहा है. 

हालिया बजट को बीजेपी आजादी के बाद अबतक का सबसे सुनहरा बजट बता रही है लेकिन विपक्ष को इसमें कुछ भी नहीं दिखता। विपक्ष इसे रंग रोगन वाला बजट कह रहा है। वैसे बीजेपी मोदी सरकार के हर बजट को बेहतर ही मानती रही है। हर बजट उसे सुनहरा ही दिखा है। उसकी तुलना कभी नहीं हुई। कोई उनसे नहीं पूछता कि पिछले तमाम बजट में जो घोषणाएं की गई थी ,क्या कभी पूरी भी हुई ? इसका जबाब बीजेपी के पास नहीं है। भीतर का सच उसे पता है लेकिन चुकि बीजेपी आदेश पर चलने वाली पार्टी है इसलिए जो आदेश पारित हो गया उसकी जाप से भला कौन पीछे हटेगा ? यही जाप ,यही भक्ति बीजेपी को अन्य दलों से आगे बढ़ाती है और चुनावी राजनीति को अमरता प्रदान करती है।

लेकिन नीतीश कुमार अभी खास निराश हैं। जबतक बीजेपी के साथ रहे वे भी बजट के गीत गाते रहे लेकिन अब वे बजट पर सवाल उठाने लगे हैं। आखिर विपक्ष में जो आ गए हैं। नितीश कुमार ने बजट को निराशाजनक बताया है। बजट के दिन नीतीश कुमार ने कई ट्वीट किये। एक से बढ़कर एक। उन्होंने ट्वीट में कहा कि यह निराशाजनक वाला बजट है और इसमें दृष्टि का अभाव है। हर साल बजट की प्राथमिकताएं बदल जाती है जो फोकस और निधि के अभाव में पूरी नहीं हो पाती। कुछ समय के बाद कुमार का दूसरा ट्वीट सामने आया। उन्होंने लिखा कि बिहार को इस बजट में निराशा हाथ लगी है। एक बार फिर से विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की अनदेखी की गई। समावेशी विकास का सपना बिहार जैसे राज्यों को आगे बढाए बिना संभव नहीं। अगले ट्वीट में कुमार ने और भी बाते कही है। उन्होंने कहा है कि समावेशी विकास के तहत बिहार सरकार ने केंद्रीय बजट में वित्त मंत्रियों की बैठक में राज्य के लिए 20 हजार करोड़ के पॅकेज की मांग की थी जिसे बजट में नहीं दिया गया। युवाओं के लिए रोजगार सृजन को लेकर बजट में कोई खाका नहीं है। यह बेहद निराशाजनक बजट है।

नीतीश कुमार इतने पर भी शांत नहीं हुए। उन्होंने आगे कहा है कि बजट में भारत सरकार ने सात प्राथमिकताओं यानी सप्तऋषि का निर्धारण किया है। यह योजना केंद्र सरकार से पूर्व चल रही है और सब केवल रिपैकेजिंग हैं। बिहार सरकार 2016 से ही साथ निश्चय योजना चला रही है। इसमें नया कुछ भी तो नहीं है। उन्होंने आगे लिखा है कि राज्यों की वित्तीय स्थिति को नजर अंदाज किया गया है। राज्य सरकार की ऋण सीमा में वर्ष 2023 -24 में कोई छूट नहीं दी गई। बिहार सरकार ने अपने ज्ञापन में इसे साढ़े चार फीसदी तक रखने का आग्रह किया था जो पिछड़े राज्यों के विकास में और नए रोजगार सृजन में लाभप्रद होता।

यह भी पढ़ें: By-election: विपक्ष की नजर बजट पर, उधर बंगाल और अरुणाचल उपचुनाव को लेकर बीजेपी हुई तैयार

नीतीश कुमार के इन सवालों से बीजेपी असहज तो है। बिहार बीजेपी भी इस मामले में मौन है। केंद्र का कोई भी मंत्री अभी इस मामले में कुछ भी नहीं बोल रहा है। मोदी भी चुप है और वित्त मंत्री भी मौन हैं। बिहार के मंत्री भी चुप है। अब कह सकते हैं कि नीतीश कुमार इन्ही सवालों को लेकर आगे की राजनीति करेंगे। खबर है कि जदयू मोदी सरकार के पिछले सभी बजट की घोषणाओं को जनता के सामने रखेंगे।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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