Mahakumbh 2025: महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े में आधी रात को क्यों होती है पूजा?
इस बार महाकुंभ में कई साधकों को किन्नर अखाड़े में दीक्षा दी गई। बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी इस अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किन्नर अखाड़े में पूजा आधी रात को ही क्यों की जाती है? आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे।
Mahakumbh 2025: फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने आध्यात्मिक जीवन का मार्ग अपना लिया है। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान शुक्रवार को उन्होंने किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपाधि ग्रहण की। अखाड़े के आचार्यों ने उन्हें दीक्षा दी। 53 वर्षीय ममता कुलकर्णी अब यमई ममता नंद गिरि के नाम से जानी जाएंगी। किन्नर अखाड़े में जब साधकों को दीक्षा दी जाती है तो आधी रात को पूजा की जाती है। इसके पीछे एक खास वजह है।
महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े में कई साधकों को तंत्र विधान की दीक्षा दी गई है. महाकुंभ हो या कुंभ, किन्नर अखाड़े में अघोरी काली पूजा हमेशा आधी रात को की जाती है। यह पूजा तंत्र विधान के अनुसार की जाती है। इस पूजा में डमरू की ध्वनि और मंत्रों का जाप किया जाता है।
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यह पूजा किन्नर अखाड़े की तांत्रिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक बड़े हवन कुंड के चारों ओर दीपों से सजी मानव खोपड़ियाँ, गूंजता डमरू और मंत्रोच्चार की कांपती ध्वनियाँ वातावरण को रहस्यमय और आध्यात्मिक बनाती हैं। यह साधना तांत्रिक ज्ञान, आध्यात्मिक शक्ति और आस्था का एक अनूठा संगम है।
इस बार महाकुंभ में शामिल होने तमिलनाडु से आए महामंडलेश्वर मणि कंतन ने यह पूजा कराई। अपने शिष्यों को दीक्षा देते हुए उन्होंने अघोर साधना और उसकी परंपराओं का महत्व समझाया। मणि कंतन कहते हैं कि यह पूजा अघोर तंत्र की सात्विक पूजा है, जिसमें आस्था और साधना का अनूठा संगम है।
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तंत्र विद्या का दिया जाता है ज्ञान
यह पूजा लोगों के कल्याण और समृद्धि के लिए की जाती है। यह तंत्र और धर्म का ऐसा संगम है जो आध्यात्मिक उन्नति के द्वार खोलता है। यह विशेष साधना आमतौर पर काशी के मणिकर्णिका घाट और कामाख्या देवी मंदिर में की जाती है, लेकिन पूर्ण महाकुंभ के दौरान इसका महत्व बढ़ जाता है। इस दौरान नए साधकों को दीक्षा दी जाती है और तंत्र विद्या का ज्ञान दिया जाता है। पूजा के बाद भक्तों को आशीर्वाद भी दिया जाता है।
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तंत्र साधना के लिए सबसे अच्छा समय
इस पूजा के बाद विश्व के कल्याण की कामना की जाती है। मान्यता है कि महाकुंभ का पावन समय सभी देवी-देवताओं की उपस्थिति से पूर्ण होता है। यही कारण है कि तंत्र साधना के लिए भी यह समय सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि मध्य रात्रि में तंत्र साधना अधिक फलदायी होती है। इसीलिए किन्नर अखाड़े में मध्य रात्रि में पूजा की जाती है।
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