Waqf Ammendment Act: आज सुप्रीम कोर्ट में क्यों उठेगा यूजर वक्फ का सवाल, क्या है पूरा विवाद?
सुप्रीम कोर्ट में आज दूसरे दिन जब सुनवाई होगी तो कोर्ट में सबसे ज्यादा जो सवाल गूंजेगा वो है 'वक्फ बाय यूजर' का मुद्दा। वक्फ बाय यूजर के सिद्धांत का मतलब ऐसी संपत्ति से है जिसका कोई औपचारिक दस्तावेज न हो। आइए समझते हैं कि इसे लेकर पूरा विवाद क्या है।
Waqf Ammendment Act: कल की तरह आज फिर दोपहर 2 बजे पूरे देश की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर रहेंगी। राजनीति, समाज और अदालती कार्यवाही में छाए वक्फ संशोधन अधिनियम के मुद्दे पर आज दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। कल सुप्रीम कोर्ट ने कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर करीब दो घंटे तक सुनवाई की। कल की सुनवाई का ज्यादातर समय कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने में बीता। कल की सुनवाई के अंत में कोर्ट अंतरिम आदेश जारी करने पर भी विचार कर रहा था।
लेकिन सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील के बाद कि किसी भी तरह का अंतरिम आदेश जारी करने से पहले कानून के रक्षकों की भी पूरी बात सुनी जानी चाहिए, मामले को आज के लिए स्थगित कर दिया गया। कल सुप्रीम कोर्ट ने तीन अंतरिम आदेश जारी करने का फैसला किया था। आज इन आदेशों के अलग-अलग पहलुओं पर सुनवाई होगी। उसके बाद अगर जरूरत पड़ी तो कोर्ट ये आदेश पारित कर सकता है। आज दूसरे दिन जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी तो कोर्ट में सबसे ज्यादा जो सवाल गूंजेगा वो है ‘वक्फ बाय यूजर’ का मुद्दा।
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क्या है ‘वक्फ बाय यूजर’
‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ का अर्थ है ऐसी संपत्ति जिसका कोई औपचारिक दस्तावेज न हो। इसके बावजूद, चूंकि इसका उपयोग लंबे समय से धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है, इसलिए ऐसी संपत्ति को अब तक वक्फ माना जाता था। लेकिन नए कानून के बाद यह व्यवस्था खत्म हो गई है। कल की सुनवाई के अंत में अदालत इस विषय पर अंतरिम आदेश देने पर विचार कर रही थी। अदालत का मानना था कि जब तक वक्फ संशोधन अधिनियम की संवैधानिकता पर अंतिम सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक अदालत द्वारा वक्फ घोषित की गई किसी भी संपत्ति का दर्जा खत्म नहीं किया जाना चाहिए।
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कोर्ट ने कहा कि अगर संपत्ति यूजर द्वारा वक्फ की भी है तो भी सरकार इसे आज की सुनवाई तक टालने में सफल रही। यूजर द्वारा वक्फ के अलावा वक्फ संपत्ति का दूसरा प्रकार ‘डीड द्वारा वक्फ’ है। यानी इस सिद्धांत के तहत केवल वही संपत्ति वक्फ मानी जाती है जिसके कानूनी दस्तावेज उपलब्ध हों। इनके बारे में ज्यादा विवाद नहीं है।
यूजर द्वारा वक्फ के 4 पहलू
उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ के कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं। पहला – इसका उपयोग धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए लंबे समय तक किया जाना चाहिए। दूसरा – ऐसे वक्फ के लिए कोई औपचारिक दस्तावेज नहीं होना चाहिए। तीसरा – सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ घोषित हो जाती है, तो उसे फिर से सार्वजनिक संपत्ति के रूप में अधिग्रहित नहीं किया जा सकता है। चौथा – भारतीय कानून और अदालती फैसलों ने समय-समय पर इस प्रणाली की वैधता को स्वीकार किया है। चाहे वह 1954 का वक्फ अधिनियम हो या 1995 का संशोधन।
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परिवर्तन और विवाद तो है ही!
वक्फ बाय यूजर की इस व्यवस्था को लंबे समय से स्वीकार किया जाता रहा है। लेकिन अभी भी इसको लेकर कई आलोचनाएं हैं। इनमें सबसे बड़ी आलोचना यह है कि दस्तावेजों के अभाव में ऐसी वक्फ संपत्ति अक्सर कानूनी विवादों में उलझ जाती है। ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां एक तरफ संपत्ति को उपयोग के कारण वक्फ घोषित कर दिया गया, वहीं दूसरी तरफ सरकार ने दावा किया कि यह उसकी संपत्ति है। ऐसी दलीलों के आधार पर सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया।
अब नए कानून के लागू होने के बाद किसी संपत्ति को सिर्फ इस आधार पर वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा कि वहां लंबे समय से धार्मिक और दान संबंधी गतिविधियां चल रही हैं। अब से कोई भी नया वक्फ बनाने के लिए उस संपत्ति से जुड़े कानूनी दस्तावेज दिखाने होंगे। नए कानून में एक और दिलचस्प बात यह है कि जिन संपत्तियों को ‘वक्फ बाय यूजर’ के तहत वक्फ घोषित किया गया है, उन पर नए कानून का कोई असर नहीं होगा। लेकिन यह तभी होगा जब वह संपत्ति विवादित न हो या सरकार का उस पर कोई दावा न हो।
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