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क्या मणिपुर में शांति लौटेगी ?

Manipur Violence News: मणिपुर में शांति कब लौटेगी यह कोई नहीं जानता। मणिपुर की बिरेन सिंह सरकार केवल यही कह रही है कि सरकार शांति लाने का प्रयास कर रही है। लेकिन सच तो यही है कि मणिपुर आज भी जल रहा है। मणिपुर से मिलों दूर बैठे दिल्ली के नेताओं को सिर्फ चुनाव की चिंता है। चुनाव में कैसे सामने वालों को ध्वस्त किया जाए इसकी चिंता है। इस चिंता में सत्तारूढ़ पार्टी भी है और विपक्ष भी। लेकिन मणिपुर की चिंता किसी को नही। लगता तो ऐसा है कि अगर मणिपुर में हिंसा ऐसे ही जारी रही तो मणिपुर की आग पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों तक फैलेगी और फिर किसी भी सरकार के लिए इसे रोकना कठिन हो जाएगा। इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी यही है कि सभी कामों को छोड़कर मणिपुर में शांति लौटने के प्रयास किए जाएं। इस प्रयास में सत्ता पक्षी की भागीदारी ज्यादा हो जाती है लेकिन विपक्ष का सहयोग भी उतना ही जरूरी है।

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खेल बड़ा विचित्र है। सांसद अगले सप्ताह बंद हो जायेगा। मानसून सत्र 11 तारीख तक ही है। बीते दिनों में संसद के भीतर कोई बड़ी चर्चा नही हुई। चर्चा की मांग विपक्ष लगातार कर रहा है लेकिन सरकार चर्चा से दूर भागती नजर आ रही है। अब जानकारी के मुताबिक आठ तारीख को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की बात कही जा रही है। उसमे क्या होगा ? सरकार पर तो कोई असर पड़ेगा नही। एक खबर यही आयेगी कि अविश्वास प्रस्ताव गिर गया और सरकार ने विपक्ष को हरा दिया। यही होना भी है। लेकिन मणिपुर का क्या होगा ? क्या मणिपुर में जारी हिंसा संसद के इस खेल से रुकेगी ?
ताजा हालात ये है कि मणिपुर में हर दिन लोगों की जाने जा रही है। गुरुवार को भी दो लोग मारे गए और बीती रात को भी तीन लोगों की हत्या कर दी गई। कई दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। कई घरों को आग के हवाले भी किया गया है। और यह सब तब हो रहा है जब मणिपुर में बड़ी संख्या में सेना और अर्धसैनिक बल तैनात हैं।
ताजा घटना मैतेई समुदाय पर हमले का है। कुकी लोग काफी आक्रामक दिख रहे है और मैतेई के खिलाफ जंग कर रहे हैं। इस पूरे खेल में महिलाओं की हालत सबसे खराब है बच्चों की हालत क्या होगी इसे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। लेकिन यह सब चल रहा है। केंद्र सरकार आखिर क्या सोच रही है यह किसी को पता नहीं। मणिपुर की सरकार क्या कर रही यह समझ से परे है। उधर राज्यपाल और राष्ट्रपति भी इस मसले पर क्या सोच रहे है किसी को पता नहीं।

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पहले गृहमंत्री शाह मणिपुर गए थे। समझा कर लौटे। फिर राहुल गांधी गए। उन्होंने भी लोगों को समझा बुझाकर शांति की अपील की। फिर विपक्षी दलों के लोग मणिपुर पहुंचे। स्थिति को जाना। दिल्ली लौटकर राष्ट्रपति से पूरे मामले पर चर्चा की।लेकिन अभी तक कुछ होता नहीं दिखा। मणिपुर आज भी जल रहा है। आगे क्या होगा कोई नही जानता। लेकिन एक बात तय है कि मणिपुर को ऐसे हो छोड़ दिया गया तो पूर्वोत्तर जलने लगेगा। दुनिया के अखबार मणिपुर के बारे में जो लिख रहा है तो आंखे खुल जायेगी। इसलिए सरकार को मणिपुर पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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