Women Reservation Bill : आखिर वही हुआ जिसकी ज्यादा सम्भावना थी। पांच दिनों के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया गया। पहले काफी सस्पेंस रखा गया और सत्र से कुछ दिन पहले यह कहा गया कि आजादी के 75 वीं उपलब्धि पर बातचीत होगी और चार नए बिल सदन में लाये जाएंगे। लेकिन उस बिल में महिला आरक्षण (women reservation) की बात भी नहीं थी। लेकिन खेल बड़ा था। चार बिल जो पास होने वाले थे उसका क्या हुआ उसकी तो चर्चा भी नहीं हुई। उसमें से एक बिल सोशल मीडिया से भी जुड़ा हुआ था। लेकिन महिला आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला हो गया। सच तो यही है कि जो बीजेपी अभी तक महिला आरक्षण (women reservation) का विरोध कर रही थी वही अचानक इसके सपोर्ट में क्यों खड़ी हो गई? और फिर इसे पास भी करा लिया गया। सच तो यही है कि मौजूदा सरकार कि अभी इतनी ताकत है कि वह जो चाहे, कर सकती है, बहुमत की सरकार को भला कौन चुनौती देगा? और यही वजह है कि मौजूदा मोदी की सरकार ने कई बिलों को पास कराया भी है और विपक्ष कुछ करने सूरत में नहीं रही।
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लेकिन बड़ा सवाल तो यही है कि जो बीजेपी अभी तक महिला आरक्षण के खिलाफ खड़ी थी वह अचानक इसके सपोर्ट में क्यों आ गई? दूसरा सवाल ये भी है कि अगर वाकई में बीजेपी महिलाओं को आरक्षण देने को राजी थी तो दस साल क्यों लग गए? यह आरक्षण तो वह 2014 वाली सरकार में भी दे सकती थी और फिर 2019 की सरकार में भी दे सकती थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। साढ़े नौ साल सरकार के गुजर जाने के बाद पार्टी को ऐसा लगा कि अगर इस मुद्दे को नहीं भुनाया गया तो खेल खराब हो सकता है। पार्टी की चुनाव में भारी हार हो सकती है और जिस तरह से देश की महिलाये महंगाई को लेकर देश के कोने-कोने में बातें कर रही है वह बीजेपी का बैंड बजा सकती है। उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक के भारत का यही हाल है। सरकार के कई फैसले अब देश को अच्छे नहीं लग रहे हैं और खासकर महिलाएं अब इस सरकार के खिलाफ लामबंद हो चुकी है। महिलाओं की इसी लामबंदी को बीजेपी समझ रही है और ख़तरा भी मान रही है। फिर जिस तरह के फीड बैक संघ की तरफ से भी बीजेपी को दिए गए हैं वे भी बीजेपी के लिए खतरनाक ही हैं। संघ ने साफ़ तौर से बीजेपी को चेताया है कि कोई बड़ा हितकारी मुद्दा अगर सामने नहीं दिखा तो चुनाव में मुश्किलें बढ़ सकती है। बीजेपी के लोग भी अब इस बात को समझ गए हैं।
बीजेपी को अब यह भी लग गया है कि जिस तरह से नए रूप में कांग्रेस का उभार हो रहा है और इंडिया गठबंधन के साथ कांग्रेस आगे बढ़ती दिख रही है अगर समय रहते जनता के हितों से जुड़ मसलों पर काम नहीं किया गया तो बड़ा खेल हो सकता है। कह सकते हैं कि बीजेपी अभी डरी हुई है। और महिला आरक्षण की जो कहानी है वह उसी डर की परिणति है। लेकिन अब इसके अंजाम क्या होंगे यह कोई नहीं जानता। देश की महिलाएं आगामी चुनाव में किधर जाएंगी, किसको वोट देंगी यह कोई नहीं जानता। क्योंकि अब देश की महिलाएं पहले वाली नहीं रही जब पुरुष के इशारे पर वह किसी पार्टी या उम्मीदवार को वोट डाल देती थी। अब महिलाएं पढ़ी लिखी है और निर्णय भी खुद लेती है।
बीजेपी को लग रहा है कि महिला आरक्षण बिल (women reservation bill) को पास कराकर उसने बड़ी कहानी का प्लाट तैयार किया है। लेकिन इसका लाभ अभी महिलाओं को नहीं मिलेगा। कहा जा रहा है कि 2029 में महिलाओं को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। महिलाओं को आरक्षण का लाभ तब ही मिलेगा जब देश में नई जनगणना हो और फिर परिसीमन भी हो। जब तक परिसीमन नहीं होगा तब तक महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित नहीं की जा सकती।