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यज्ञ वह आहूति नहीं है जो यज्ञ कुंड में दी जाती है, बल्कि हमारा जीवन ही एक यज्ञ है-दुर्गा शंकर मिश्र

नई दिल्ली: सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने चारबाग स्थित रेलवे स्टेडियम में 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में शामिल होकर पूजा-अर्चना की तथा महायज्ञ में आहूति दी।

मुख्य सचिव ने दिया संबोधन

अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि यज्ञ वह आहूति नहीं है जो यज्ञ कुंड में दी जाती है, बल्कि हमारा जीवन ही एक यज्ञ है। मानव जीवन बड़े सौभाग्य से मिलता है, जीवन को सफल करने के लिए यज्ञ कर्म में पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से कार्य करें, इससे बड़ा और कोई योगदान नहीं हो सकता है।(दुर्गा शंकर मिश्र)

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उन्होंने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि एक आध्यात्मिक विभूति, एक संत तथा हरिद्वार के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या जी के विचारों को सुनने का मौका मिला। इस दिव्य आयोजन के लिये उन्होंने सभी का साधुवाद किया।(दुर्गा शंकर मिश्र)

व्यक्ति मानव जीवन की बजाए पशु जीवन की ओर अग्रसर

इससे पूर्व, अखिल विश्व गायत्री परिवार व देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या ने बताया कि व्यक्ति के जीवन में उत्थान और पतन दोनों की संभावनाएं होती हैं यदि व्यक्ति के जीवन में अच्छे संस्कारों का वातावरण हो तो व्यक्ति श्रेष्ठ मार्ग को प्राप्त करता है और उसके जीवन में कुसंस्कार नफरत, अशांति का माहौल हो तो फिर व्यक्ति मानव जीवन की बजाए पशु जीवन की ओर अग्रसर होता है।(दुर्गा शंकर मिश्र)

उन्होंने कहा कि युग ऋषि वेद मूर्ति तपोनिष्ठ पंडित राम शर्मा आचार्य जी की ओर से युग निर्माण योजना का लक्ष्य रखा गया है, उस उद्देश्य की पूर्ति होने का यह समय है क्योंकि कलिकाल अपने चरम की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि गायत्री महामंत्र का जाप करने से हम अपने श्रेष्ठ कर्म को श्रेष्ठ प्रतिफल में परिवर्तित कर सकते हैं। इस महायज्ञ का उद्देश्य अगली पीढ़ी को संस्कारवान बनाना है।

इस अवसर पर निदेशक पंचायतीराज अनुज कुमार झा, अन्य विशिष्ट अतिथिगण, बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण आदि उपस्थित थे।

Shubham Pandey। Uttar Pradesh Bureau

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