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एक तरफ हिंदुत्व का शोर ,दूसरी तरफ महाकाल लोक में मूर्तियों के विखंडन और मणिपुर की हिंसा पर मौनव्रत!

Political news: बीते 28 तारीख की दुदुम्भी अब धीरे -धीरे शांत हो रही है। तीन दिनों तक देश -दुनिया में खूब जयकारे लगे थे नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर। अब यह मसला बीजेपी की उपलब्धियों में शुमार होगा। होना भी चाहिए। अगर कांग्रेस कहती है कि आजादी के बाद अधिकतर कल कारखाने ,शैक्षणिक ,मेडिकल ,वैज्ञानिक संस्थान उनकी देन है तो बीजेपी भी कह सकती है आजादी के स्वर्णकाल में उसने देश को शानदार संसद भवन दिया है। इतिहास में पीएम मोदी का नाम इस विशाल निर्माण के लिए सदा याद रखा जायेगा। यही हमारे देश और दुनिया की परंपरा रही है। लेकिन जिस दिन दिल्ली में संसद भवन का उद्घाटन बिना विपक्ष की उपस्थिति में हो रहा था और कथित राजदंड सिंगोल को स्थापित किया जा रहा था ठीक उसी दिन दिल्ली में पहलवानो को जमीन पर रगड़ा जा रहा था। महिला खिलाडियों के साथ वह सब किया जा रहा था जिसकी अनुमति कोई भी सभ्य समाज नहीं देता। महिलाओं को धूल धूसरित तो किया ही गया उनपर कई केस भी दर्ज कर दिए गए। इन महिलाओं का दोष सिर्फ यही था कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ इन्होने आवाज उठाई थी। उन पर यौन शोषण का केस दर्ज किया था। मांग कर रही थी बीजेपी सांसद सिंह पर करवाई की जाए और उसे गिरफ्तार किया जाए। लेकिन ऐसा करने के बदले सरकार के नुमाइंदों ने पहलवानो के साथ वही वर्ताव किया जो वर्ताव पहलवानो ने सांसद पर केस दर्ज करके के किया था। यह भी आजाद भारत का ऐसा सच है कि जब भी नए संसद भवन की चर्चा होगी उसके बगल में इस जानकारी को भी दर्ज किया जाएगा।


लेकिन मामला केवल पहलवानो तक ही सिमित नहीं रहा। सुदूर पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में भी हिंसा खूब भड़की। महीनो से चले आ रहे मणिपुर की हिंसा गति पकड़ ली और देखते देखते कई लोग मारे गए। मणिपुर फिर से आग की लपटों में जलने लगा। सरकार की तरफ से एक बयान आया कि 40 उग्रवादी मारे गए। फिर दूसरे दिन भी पांच लोगों की मौत हुई। तब जाकर चार दिनों की यात्रा पर गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर पहुंचे। यह घटना भी 28 तारीख की ही है। यहाँ दिल्ली में संसद भवन का समारोह चल रहा था और लोकतंत्र के नारे लगाए जा रहे थे लेकिन मणिपुर जल रहा था। इधर समारोह से शाह को फुर्सत मिली तब मणिपुर पहुँच गए। अगर यह सब पहले ही किया जाता तो शायद कुछ लोगों की जान बच जाती।
उधर मध्यप्रदेश में बड़ा काण्ड हो गया। एमपी में बीजेपी की चुराई गई सरकार है। 2018 में कांग्रेस चुनाव जीतकर सरकार बनाई थी लेकिन बीजेपी ने ऑपरेशन कमल शुरू कर कांग्रेस सरकार को गिरा दिया। कांग्रेस के बड़े नेता रहे सिंधिया बीजेपी में चले गए। बीजेपी का ऑपरेशन सफल हुआ।
हिन्दुओं की नगरी उज्जैन है। यहाँ बाबा भोलेनाथ का ज्योतिर्लिंग विराजमान है। महाकाल नाम से विख्यात है। शिप्रा नदी के किनारे बसा महाकाल का यह मंदिर हिन्दुओं के लिए बड़ा ही पवित्र मंदिर हैं। कहा जाता है कि यहाँ जो भी अपनी कामना लेकर आता है उसकी सभी कामनाये पूरी हो जाती है। हर साल करोडो लोग यहाँ महाकाल का दर्शन करने आते हैं। जगह छोटी है लेकिन लोगों का जामववाडा ज्यादा होता है। हिन्दुओं को हर तरह की सुविधा मिले इसके लिए मौजूदा शिवराज सरकार ने केंद्र के साथ मिलकर करीब 11 सौ करोड़ की लागत से यहाँ महाकाल लोक का निर्माण कराया। कई संतों की मूर्तियां भी महाकाल लोक में स्थित किया गया। इस परिसर का उद्घाटन भी अभी कुछ महीने पहले ही पीएम मोदी ने ही किया था।
जिस दिन संसद भवन का उद्घाटन हो रहा था कि उसी दिन आंधी -तूफ़ान आये और महाकाल लोक परिसर में स्थित संतों की अधिकतर मूर्तियां खंडित होती चली गई। सभी मूर्तियां टूटती चली गई। धर से सिर अलग होते गए। फिर क्या था बवाल मच गया। बीजेपी मूर्छित हो गई। बाबा के परिसर का यह हाल !
उधर कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया। अब यह एमपी का बड़ा मुदा हो गया है। सामने चुनाव है और कांग्रेस जिस अंदाज में महाकाल लोक के खंडित होने कहानी को आगे बढ़ा रही है उससे बीजेपी के होश उड़ गए हैं। उधर अयोध्या से कुछ साधू संतो की आवाज आयी कि पस्को एक्ट में बदलाव होनी चाहिए। लेकिन वे साधू संत महाकाल लोक में खंडित संतों की मूर्तियों पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। गजब का हिंदुत्व चल रहा है। आखिर संतो को पास्को से क्या लेना देना है ? उनका लेना देना तो हिंदुत्व और धार्मिक जगहों की पवित्रता से होनी चाहिए। हिंदुत्व के खेल अपने आप एक्सपोज हो रहे हैं।
तो एमपी कांग्रेस ने अब महाकाल लोक को रडार पर ले लिया है। प्रदेश के कांग्रेस बड़े नेता गोविन्द सिंह ने अब शिवराज सरकार को घेरा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि भगवान् महाकाल के दरबार में भी घोटाला किया गया। अब कांग्रेस ने इस मामले को विधान सभा में उठाया है। जांच की मांग की है। गोविन्द सिंह ने कहा कि अब इस घोटाले की जांच क्यों नहीं कर रही सरकार ? सरकार ने दावा किया था महाकाल लोक सौ साल तक चमकता रहेगा लेकिन सात महीने के भीतर ही सप्त ऋषियों की मूर्तियां ही खंडित हो गई। इसका टेंडर भी गुजराती भाषा में ही किया गया था।

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बीजेपी के पास कोई जवाब नहीं है। बीजेपी के नेता मुँह छुपाते भाग रहे हैं। शिवराज सिंह मौन हो गए हैं। सामने चुनाव है लेकिन जनता के सामने सरकार के लोग जा नहीं रहे। इस सबके बीच बीजेपी के दावे बड़े हैं। बीजेपी कह रही है कि आगामी चुनाव में उसे 200 सीटें मिलेंगी। लेकिन कैसे मिलेगी इसकी जानकारी बीजेपी के पास नहीं है। सच तो यही है कि इस बार शिवराज की विदाई हो सकती है और मोदी के नाम पर ही यहाँ चुनाव हो सकते हैं।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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