बांग्लादेश में 27 हिन्दू पूजा स्थलों से जुडी मूर्तियों के तोड़े जाने की खबर सामने आ रही है है। इस खबर के बाद पडोसी देश बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय हिन्दू काफी नाराज है और भयभीत भी। हालांकि बांग्लादेश सरकार ने इस मामले पर संज्ञान लेकर इसकी जांच शुरू कर दी है और पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर मामले की तहकीकात कर रही है।
जानकारी के मुताबिक़ 14 हिन्दू मंदिरो पर हमले की खबर सामने आयी है। इन मंदिरो से 27 मूर्तियों को तोड़ा गया है। यह घटना बलियाडागी उपजिला के ठाकुर गांव की है। पुलिस के मुताबिक 14 मूर्तियां सिंदुरपिंडी , और 4 मूर्तियां कॉलेजपारा इलाके में टूटी पायी गई है। पिछले पांच महीने में यह दूसरा ऐसा मामला है जब पडोसी देश में इस तरह से अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के पूजास्थलों पर हमला हुआ है। बांग्लादेश के उपजिला निरभाई के अधिकारी विपुल कुमार ने कहा है कि कुछ मंदिर विल्कुल सड़क के किनारे थे जिनकी हालत हमले के बाद ख़राब हो गई है। कुमार के कहा है कि पता चलता है कि मूर्ति तोड़ने की ये घटना बीते शनिवार और रविवार को अंजाम दी गई है। हालांकि हिन्दुओं से कहा गया है कि वे डरे नहीं। पुलिस की सख्ती बढ़ा दी गई है और सुरक्षा बढ़ाने की बात कही जा रही है।
उधर उत्सव परिषद् के महासचिव का कहना है कि उपद्रवियों ने मूर्तियों के हाथ, पैर और सिर तोड़ दिए हैं। जबकि कुछ मूर्तियों को खंडित कर पास के तालाब में फेंक दिया गया है। उन्होंने मांग की है कि जिन्होंने यह सब किया है उसकी तत्काल गिरफ्तारी की जाए और मामले की जांच गहराई से कराई जाए। उधर ठाकुरगांव के एसपी मोहम्मद जागीर हुसैन ने कि हम घटना में शामिल उपद्रवियों की पहचान करने में जुटे हैं। हालांकि इस घटना के बाद अल्पसंख्यक हिन्दू काफी डरे हुए हैं।
सिंदुरपिंडी में रहने वाले काशीनाथ सिंह ने मीडिया को कहा है कि हमले से हिन्दुओं में डर का माहौल है आरोपियों को जल्द पकड़ा जाना चाहिए। बता दें कि पिछले साल अक्टूबर महीने में भी कई मूर्तियों को तोड़ा गया था।
बता दे कि बांग्लादेश में लगातार हिन्दुओ की आबादी कम होती जा रही है। 2011 की जनगणना के मुताबिक साढ़े सोलह करोड़ की आबादी में हिन्दुओं की संख्या अब साढ़े आठ फीसदी रह गई है। हालांकि यहाँ हिन्दू और मुस्लिम मिख्यातः बंगाली हैं। यानी भाषा और संस्कृति में समानता है लेकिन धर्म की वजह से कट्टरपंथी इसलका लाभ उठाते रहे हैं। 1980 के दशक में यहाँ हिन्दुओं की आबादी साढ़े तरह फीसदी थी जबकि 1947 में भारत -पाक बंटवारे के समय इस पूर्वी पकिस्तान में हिन्दुओं की आबादी करीब 30 फीसदी थी।