समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता है। समय बदला तो राजनीति भी बदल गई। और गिर गुजरात देंगे की स्मृतियां भी धूमिल पड़ती गई। 20 साल पुराने गुजरात दंगे की याद अब बस उन लोगों को है जिन्होंने 20 साल पहले की राजनीति को देखा था और समझा था। आज की नई पीढ़ी को न तो गुजरात देंगे की जानकारी है और न ही गुजरात देंगे से जुड़े कई मामलों की ही जानकारी है। गुजरात दंगे (Gujrat Riots) 2002 में हुए थे। इसी देंगे की कड़ी में नरोदा ग्राम दंगा भी शामिल है ।गुजरात दंगों के दौरान ही नरोदा ग्राम में मुस्लिम (Muslims) समुदाय के 11 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। इस कांड में तब बीजेपी नेता माया कोडनानी ,बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत 86 लोग आरोपित किए गए थे। तब से ही यह मामला गुजरात के विशेष अदालत में चल रहा है ।माना जा रहा है कि विशेष अदालत आज सोना फैसला सुना सकती है।
नरोदा ग्राम का मामला तब काफी सुर्खियों में आया था। हत्या करने के आरोप जिन 86 लोगों पर लगे थे उनमें से 18 लोगों की मौत सुनवाई के दौरान ही हो गई है। बाकी बचे लोग आज भी जीवित है लेकिन 20 साल के बाद भी उन्हें सजा नही मिल है। उन पर दोष सिद्ध नहीं हुआ है। कानून का ऐसा खेल किसी उदाहरण से कम नहीं है ।उम्मीद की जा रही है अदालत आज आरोपियों पर कोई फैसला करेगी।
गुजरात दंगे (Gujrat Riots) की शुरुआत 27 फरवरी 2002 को तब हुई थी जब अयोध्या से लौट रहे साबरमती एक्सप्रेस में आग लगा दी गई थी । इस कांड में 58 यात्रियों की मौत हो गई और फिर गुजरात में दंगे भड़क गए ।सुनियोजित टटके से गुजरात देंगे की पटकथा लिखी गई और पूरे गुजरात में हत्या ,बलात्कार और लूट को अंजाम दिया गया ।कहा जाता है कि इस देंगे में दो हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी ।तब राज्य में बीजेपी की सरकार थी और नरेंद्र मोदी सीएम थे । 28 फरवरी को नरोदा ग्राम में दंगे किए गए और 11 लोगों को जाने के ली गई। बता दें कि नरोदा ग्राम दंगा मामले में आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302,143 ,147,148,और 120 बी के तहत मुकदमा चल रहा है । लेकिन सच यही है कि अभी तक इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं आया है। आज विशेष अदालत इस पर क्या कुछ फैसला सुनाती है इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई है।