The Kerela Story: कई अड़चनों के बाद आखिर में द केरला स्टोरी 5 मई को सभी सिनेमाघरों में रिलीज हो जाएगी. फिल्म को बनते समय से लेकर फिल्म के रिलीज होने तक इस फिल्म का कई संगठनों ने विरोध किया. यहां तक कि फिल्म की रिलीजिंग को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लोग गए लेकिन आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने इस फिल्म को 5 मई को रिलीज करने की हरी झंडी दे दी. साफ है कि यह फिल्म कुछ ना कुछ अलग है जो इस फिल्म में विषय दिखाए गए हैं, वह शायद आज से पहले किसी पिक्चर में नहीं दिखाया गया है. यही कारण है कि भारत के कई संगठन इसका विरोध कर रहे थे तो वहीं कई संगठन इस फिल्म के पक्ष में थे.
यह फिल्म इतनी खास है इसका पता इसी बात से लगता है इस फिल्म का स्क्रीनिंग जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में छात्रों के बीच में किया गया. इस कैंपस को ही क्यों स्क्रीनिंग के लिए चुना गया इसका पता फिल्म मे काम करने वाले कलाकार डायरेक्टर और प्रोड्यूसर को फिल्म के स्क्रीनिंग के दौरान ही पता लग गया.
JNU campus शुरू से हीं कम्युनिस्ट विचारधारा के छात्रों का गढ़ रहा है, लेकिन आज के दौर में right-wing के छात्र यानी एबीवीपी लेफ्ट छात्रों के वर्चस्व में सेंध लगाकर अब अपनी दावेदारी कैंपस में दिखाने लगी है.शायद यही कारण है जिस कैंपस में हर बात पर लाल सलाम के नारे लगते थे आज इस कैंपस में जय श्री राम और वंदे मातरम के नारे लगते हैं. फिल्म की स्क्रीनिंग के शुरू होने से पहले और आखिर में इस तरह के नारे खूब लगे. यहां पहुंचे फिल्म से जुड़े सभी लोग छात्रों के उत्साह को देखकर यह कहा के युवाओं में इस फिल्म को लेकर इतनी जोश को देखकर लगता है कि उनका फिल्म बनाना सफल हो गया.
लगभग 2 घंटे की फिल्म दिखाने के बाद द केरला स्टोरी के डायरेक्टर सुदीप्तो सेन, प्रोड्यूसर विपुल अमृतलाल शाह और फिल्म की लीड एक्ट्रेस Adah sharma इन छात्रों के बीच में आए और इन से कुछ सवाल जवाब लिए. आखिर में पूरी टीम ने ऑडिटोरियो में मौजूद छात्रों से अपील की कि वह इस फिल्म को ज्यादा से ज्यादा लोगों को देखने के लिए अपील करें और इसका सोशल मीडिया पर खूब प्रचार करें.
अब बात करते हैं द केरला स्टोरी फिल्म के बारे में इस फिल्म में दरअसल दिखाया गया है कि जैसे केरला में ISISI अकेली संगठन है जो आयोजित तरीके से मुस्लिम धर्म में लड़कियों का धर्मांतरण कराती आ रही है.इस फिल्म की कहानी को नकारा इसलिए नहीं जा सकता क्योंकि इस फिल्म में तीन लड़कियों की कहानी को दिखाया गया है. जिस लड़की की कहानी को मेन लीड रोल में दिखाया गया है वह लड़की आज भी अफगानिस्तान के जेल में अपनी बच्ची के साथ कैद है.इस फिल्म में तीन लड़कियों की कहानी दिखाई गई हैं.एक लड़की हिंदू धर्म की है औऱ उसका परिवार केरल का हिन्दू धर्म मानने वाला है दूसरी लड़की भी हिन्दू है लेकिन उसका और उसके परिवार का विचारधारा कम्युनिस्ट वादी है वहीं तीसरी लड़की क्रिश्चन है.
तीन लड़कियों की कहानी जो केरला के एक नर्सिंग कॉलेज में पढ़ने के लिए जाती है,जहां पर हॉस्टल में हीं इन लड़कियों को इस्लाम धर्म के लिए बहलाना फुसलाने का काम शुरू हो जाता है.इस फिल्म में दिखाया गया है कि इस पूरे ऑर्गेनाइजेशन को बिल्कुल सेटअप तरीके से चलाया जा रहा है. इस पूरे षड्यंत्र में नासिर इस्लाम धर्म के छात्र छात्रा बल्कि दिखाया यह भी गया है कि इस्लाम धर्म के धर्मगुरु कैसे हिंदू या अन्य मुस्लिम लड़कियों को बरगला कर उनका धर्म परिवर्तन करा रहे हैं.फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि लड़कियों को बहलाने फुशलाने के लिए उनके साथ शारीरिक संबंध बनाना उनका बलात्कार करना उनसे बहला कर निकाह करना बच्चे पैदा करवाना उनकी बगैर कपड़ों के वीडियो और फोटो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करना. लड़कियों को इस्लाम धर्म के बारे में बंधन अच्छाई बताना और अन्य सभी धर्मों के खिलाफ लोगों को भड़काना. इतना ही नहीं इस फिल्म में एक ऐसा सीन है जिसमें जब लड़कियों का दिमाग पूरी तरीके से यह लोग डायवर्ट कर देते हैं,ऐसे में वह लड़कियां अपना धर्म तो दूर अपने मां बाप की भी नहीं सुनती और आखिर में वह अनजाने षड्यंत्र का शिकार होकर आईएसआईएस संगठन के लिए काम करने लगती हैं.
फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि जो लड़कियां इस्लाम धर्म कबूल करने के बाद भी उन्हें आतंकी षड्यंत्र का आभास हो जाता है और वह जब अपना कदम पीछे खींचती है ऐसे में उन्हें इस कदर बदनाम किया जाता है कि कुछ तो आत्महत्या कर लेती है और कुछ गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर हो जाती हैं.लेकिन लेकिन इस फिल्म में जो मुख्य किरदार जिस लड़की का दिखाया गया है वह आप बीती है उसने हिंदू धर्म से धर्म परिवर्तन कर इस्लाम भी कुबूल है उसे झूठे प्यार में फंसा कर पहले गर्भवती किया गया उसके बाद गैर मर्द के साथ उसकी निकाह की गई और अल्लाह के राह पर नेक काम करने के लिए उसे अलग-अलग देशों से घूमते हुए आईएसआईएस के ठिकाने तक ले जाया गया, इसकी यह पूरी कहानी शत प्रतिशत सही है. क्योंकि फिल्म के आखिरी में पीड़ित लड़की के माता पिता का एक छोटा सा इंटरव्यू और बाकी लड़कियों के बारे में भी बताया गया है.
इस फिल्म में एक विवाद शुरू से ही चल रहा है इस फिल्म के एक सीन में कहा गया है कि केरला की 32000 लड़कियां मिसिंग है. फिल्म खत्म होने के बाद फिल्म के डायरेक्टर से जब इसके बारे में पूछा गया कि यह आंकड़े उनके पास कहां से आए तो जवाब में उन्होंने कहा वह इस फिल्म को बनाने के लिए 7 साल से स्टडी कर रहे थे.उन्होंने इस आंकड़े की सत्यता को जानने के लिए तमाम डिपार्टमेंट से आरटीआई लगाकर केरला में मिसिंग लड़कियों के रिकॉर्ड को जानने की कोशिश की लेकिन फिल्म के डायरेक्टर का कहना है कि किसी भी विभाग के तरफ से इस आंकड़े को नहीं दिया गया. या एक तरफ से कहा जाए तो इस आंकड़े को उजागर नहीं होने की पूरी कोशिश की गई.लिहाजा डायरेक्टर ने अपने 7 साल के रिसर्च के आधार पर इस आंकड़े को दिया है और यह कहा कि जब सरकार मिसिंग लड़कियों के आंकड़े नहीं दे सकती तो इस आंकड़े को गलत कैसे कह सकती है.
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एक तरफ इस फिल्म को जेएनयू में राइट विंग छात्रों के बीच में जम के समर्थन मिला तो वहीं दूसरी तरफ कैंपस में ही लेफ्ट समर्थक छात्रों ने इस फिल्म का विरोध भी किया.जाहिर है तस्वीर अभी आगे और देखने को मिलेगी.फिल्म के डायरेक्टर का कहना है कि फिल्म के इस स्टोरी में किसी के भी धर्म को गलत नहीं दिखाया गया है. किसी के भी आस्था पर ठेस पहुंचे ऐसा कुछ भी नहीं दिखाया गया है. इस फिल्म का मकसद है कि विश्व में फैले आईएसआईएस (ISI) आतंकवादी संगठन के इस प्रायोजित षड्यंत्र के ऊपर से पर्दा हटाकर सच्चाई को दुनिया के सामने लाना. क्योंकि धर्म परिवर्तन की समस्या यह अकेले केरला या भारत की नहीं है अन्य कई देश ने भी इस बात को माना है या नहीं इस फिल्म का मकसद आईएसआईएस के इस षड्यंत्र को दुनिया के सामने बेनकाब करना है और रही बात धर्म की तो यह फिल्म आतंकवाद के खिलाफ है लव-जेहाद के खिलाफ है और आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता