Haryana Violence News Updates: हरियाणा का मेवात फिर से दंगों में सुलग उठा। इसे सरकार की चाल या खुफिया तंत्र की असफलता कहा जा रहा है। जनता का कहना है कि पुलिस प्रशासन व सरकार इस हिंसा (Haryana Violence) से निपटने में पूरी तरह से नाकाम रही। हिंसा के 5 से 6 घंटे बाद भी सुरक्षा बल और एक्स्ट्रा फोर्स घटनास्थल पर नहीं पहुंच पाई। वहीं सरकार की तरफ से शाम 5 बजे के बाद इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई, लेकिन उसके बावजूद सोशल मीडिया (Social media) पर वीडियो और बयान आते रहे।
आपको बता दें करीब 3 दशक के बाद मेवात फिर दंगों से सुलग उठा। जलाभिषेक यात्रा के दौरान मेवात में 31 जुलाई यानी सोमवार को 2 समुदाय आमने-सामने खड़े हो गए। सुबह करीब 10 बजे हिंदू संगठनों की जलाभिषेक यात्रा नूंह के नलहड़ शिव मंदिर से निकली। यह यात्रा गांव खेड़ला से होती हुई दिल्ली-अलवर रोड से फिरोजपुर झिरका जानी थी। बताया जा रहा है कि मोड़ के पास अचानक काफिले में चल रही कुछ गाड़ियों पर पथराव किया गया, जिससे माहौल बिगड़ गया। दोनों ओर पथराव की स्थिति बन गई। धीरे-धीरे स्थिति बिगड़ती चली गई। अचानक भीड़ ने गाड़ियों में आग लगाना शुरू कर दिया।
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जिस तरह से नूंह में यह स्थिति बनी उससे साफ जाहिर है कि इसकी पहले से योजना बनाई गई थी, क्योंकि जिस तरह से छतों से पत्थर बरसाए गए, वह अचानक नहीं हो सकते। पिछले 2 दिन से सोशल मीडिया पर दोनों पक्षों की तरफ से भड़काऊ बयानबाजी हो रही थी, लेकिन शायद इसे सरकार की खुफिया तंत्र की असफलता कहें या सरकार ने इसे बहुत हल्के में लिया था। स्थानीय लोगों के मुताबिक पुलिस प्रशासन व सरकार इस हिंसा (Haryana Violence) से निपटने में पूरी तरह असफल रहे।
5, 6 घंटे बाद भी मौके पर नहीं पहुंची फोर्स
दंगो के 5 से 6 घंटे बाद भी सुरक्षा बल और एक्स्ट्रा फोर्स मौके पर नहीं पहुंच पाई। यहां तक कि दंगाई शहर में ही डटे रहे और थोड़ी-थोड़ी देर में इधर-उधर से वारदात की खबरें आती रहीं। देर शाम तक बाहर से आए एक समुदाय के लोग शहर में फंसे रहे। पूरा शहर में डर की दहशत में डूबा रहा। सरकार की ओर से शाम 5 बजे के बाद इंटरनेट पर रोक लगाई गई, लेकिन उसके बावजूद सोशल मीडिया पर तरह-तरह के वीडियो और बयान सामने आते रहें। शहर के हालात बताने के लिए सरकार बचती रही और फोन उठाने से बचती रही।
खड़े हुए ये सवाल
- हिंसा (Haryana Violence) सुनियोजित योजना का हिस्सा था तो खुफिया एजेंसी क्या कर रहा था।
- इस जलाभिषेक यात्रा की कुछ महीने पहले ही अनुमति ले ली गई थी तो प्रशासन अलर्ट (alert) क्यों नहीं हुआ।
- प्रशासन का दावा है कि यात्रा की सुरक्षा के लिए 5 DSP, एक अडिशनल SP, 16 इंस्पेक्टर, 800 पुलिसकर्मी और 20 राइडर के साथ ड्यूटी पर तैनात थे, लेकिन जब हिंसा की शुरुआत हुई तो घटनास्थल पर मौजूद कुछ पुलिसकर्मी भाग गए। ऐसा क्यों हुआ?
- नूंह में इतना बड़ा बवाल हुआ लेकिन सभी राजनीतिक पार्टियों के आका शांति बनाने की कोशिशों में कहीं भी नजर नहीं आए।
- उपद्रवियों ने लगभग 5 घंटे तक शहर में उपद्रव रखा। शहर में चारों तरफ अफवाहों का बाजार गर्म रहा, लेकिन प्रशासन कहीं भी नजर नहीं आया।
- यहां तक कि हिंसा के समय लोगों को कहा जा रहा था कि सुरक्षा बल आने वाला हैं, लेकिन शाम 5 बजे तक हालात ज्यों के त्यों बने रहे।