Latest Lok Sabha Election Update: सीएए को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस को घेरा तो कांग्रेस ने शुरू की नई राजनीति !
Latest Lok Sabha Election Update: सामने लोकसभा चुनाव है और देश की राजनीति चरम पर है। बीजेपी और कांग्रेस के बीच की लड़ाई कुछ ज्यादा ही बढ़ती दिख रही है और चुनावी लड़ाई में एक तरफ एनडीए तो दुसरती तरफ इंडिया गठबंधन के बीच का जो खेल है वह सबको आकर्षित भी कर रहा है और भ्रमित भी कर रहा है। दोनों गठबंधन के समर्थक अपने -अपने दावे करने से नहीं चूक रहे हैं। लेकिन सच यही है कि इन सब के बीच मौन लोकतंत्र बहुत कुछ देख रहा है और समझ भी रहा है।
सोमवार को मोदी सरकार ने देश भर में सीएए को लघु करने के लिए अधिसूचित किया तो देश के कई महिलाओं में मानो आग लग गई हो। हालांकि केरल और बंगाल में अभी यह लागू नहीं होगा लेकिन जिस तरह से सीएए को लेकर अचानक गर्मागर्म बहस शुरू हुई है उससे साफ़ है कि सरकार के इस फैसले का बड़ा असारर चुनाव पर पड़ने जा रहा है।
हालांकि जानकार यह भी कह रहे हैकि यह फैसला वोटो के ध्रुवीकरण के लिहाज से किया गया है लेकिन कुछ जानकार यह भी मान रहे हैं कि इससे देश के भीतर कई और तरह की तबाही आ सकती है। कांग्रेस जहाँ इस कानून का विरोध कर रही है वही बीजेपी कहना है कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति को आगे बढ़ा रही है। आज अमित शाह ने भी कांग्रेस पर वार किया है।
सिकंदराबाद में एक सभा को सम्बोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि सीएए देश भर में लागू हो जाने से सभी नागरिक एक समान हो जाएंगे। इस कानून के लागू होने से एक आम आदमी और एक शरणार्थी में कोई भेद नहीं रह जाएगा। यह देश को आगे बढ़ाने वाल और सबको समानता देने वाला कानून है। कांग्रेस तो केवल तुष्टिकरण की राजनीति को आगे बढ़ा रही है लेकिन देश अब समझ गया है कि बीजेपी और कांग्रेस में क्या अंतर है ?
उधर कांग्रेस ने अपने ऊपर होते हमले को देखते हुए आज आदिवासी समाज के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले कॉंग्रेस्सस ने आदिवासी समाज के लिए छह संकल्प लेकर सामने आयी है। पार्टी अधयक्ष खड़गे ने आज इन सभ ी संकल्पों की घोषणा की है। कांग्रेस ने कहा कि आदिवासियों की रक्षा के लिए जल ,जंगल और जमीन की रक्षा करने के लिउए कांग्रेस प्रतिबद्ध है।
आदिवासियों के लिए जो छह संकल्प को कांग्रेस ने दोहराया है उनमे पहला संकल्प तो यही है। वन अधिकार अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक राष्ट्रीय मिशन स्थापित किय जाएगा। एक स्पेशल बजट भी रखा जाएगा इसके साथ ही एक ख़ास कार्य योजना भी तैयार की जाएगी ,एक वर्ष के भीतर सभी लंबित वन अधिकार अधिनियम का निपटान सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही छः महीने के भीतर सभी अस्वीकृत क्लेम्स की समीक्षा के लिए एक प्रक्रिया स्थापित किया जायेगा। इस संकल्प को कांग्रेस ने प्रशासन की कैटेगरी में रखा है।
कांग्रेस का दूसरा संकल्प सुधार को लेकर है। कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार द्वारा वन संरक्षण और भूमि अधिग्रहण कानूनों में किये गए सभी संशोधनों को कांग्रेस वापस लेगी। जिससे आदिवासियों को बड़े पैमाने पर परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
कांग्रेस ने अपने संकल्प में आदिवासियों को सुरक्षा देने की भी बात कही है। कांग्रेस ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उन सभी शक्तियों और बास्टियन के समूहों को अनुसूचित क्षेत्रों के रूप में चिन्हित करने को प्रतिबद्ध है जहाँ एसटी सबसे ज्यादा है।
कांग्रेस का चौथा संकल्प स्वशासन है। कांग्रेस पेसा के अनुसार कानून बनाने को तैयार है ताकि ग्राम सरकार और स्वायत्त जिला सरकार की स्थापना हो सके। कांग्रेस पर पांचवां संकल्प स्वाभिमान बचाने का है। कांग्रेस द्वारा लाया जाने वाला एमएसपी का अधिकार जो एमएसपी को क़ानूनी दर्जा देगा वह छोटे वन उपज को भी कवर करेगा और फिर छठा संकल्प सब प्लान का है। अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए बजटीय संसाधनों में संतुलित और पर्याप्त हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए 70 के दशक के अंत में इंदिरा गाँधी के सब प्लान योजना को 2014 मोदी सरकार ने समाप्त कर दिया था। कॉंग्रेस फिर से इस कानून को आगे लाएगी ताकि जनजातीय समाज को मजबूती किया जा सके।
कांग्रेस और बीजेपी के बीच चल रही इस लड़ाई का अंत कहाँ होगा यह भी किसी को पता नहीं है। लेकिन सच यही है कि इस बार की रोचक लड़ाई में जनता दो गुटों में बांटती दिख रही है। इस खेल का चुनावी परिणाम पर क्या असर होता है इसे देखना होगा।