GPS Toll System: फास्टैग की विदाई, देश में जल्द लागू होगा नया जीपीएस आधारित टोल सिस्टम , नितिन गडकरी का ऐलान
भारत में FASTag सिस्टम की जगह अब GPS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम आने जा रहा है। अगले 15 दिनों में इसकी शुरुआत कुछ हाईवे पर परीक्षण के तौर पर होगी। यह तकनीक टोल वसूली को पारदर्शी, तेज़ और स्मार्ट बनाएगी।
GPS Toll System: देशभर में टोल टैक्स वसूली के मौजूदा फास्टैग सिस्टम को जल्द ही एक नई तकनीक से बदला जाने वाला है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की है कि अगले 15 दिनों के भीतर देश में GPS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम लागू किया जाएगा। इसके साथ ही FASTag सिस्टम को धीरे-धीरे बंद किया जाएगा और भारत के राजमार्गों पर टोल वसूली पूरी तरह डिजिटल और सटीक तकनीक पर आधारित होगी।
क्या है नया GPS Toll System?
GPS आधारित टोल वसूली प्रणाली में वाहनों पर लगे जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस के ज़रिए यह ट्रैक किया जाएगा कि वाहन ने कितनी दूरी हाईवे पर तय की है और उसी के आधार पर टोल शुल्क लिया जाएगा। इससे फिक्स टोल प्लाजा की आवश्यकता खत्म हो जाएगी और टोल टैक्स की गणना ‘पे-पर-यूज़’ मॉडल के अनुसार होगी, यानी जितना रास्ता तय किया गया, उतना ही टोल देना होगा।
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गडकरी का बड़ा बयान
नितिन गडकरी ने कहा, “हम अगले 15 दिनों के भीतर नई टोल वसूली प्रणाली का परीक्षण शुरू कर रहे हैं। GPS आधारित टोल सिस्टम से टोल वसूली में पारदर्शिता आएगी, जाम की समस्या घटेगी और समय की भी बचत होगी।” उन्होंने आगे बताया कि यह प्रणाली शुरुआती चरण में कुछ चुनिंदा हाइवे पर लागू की जाएगी और परीक्षण सफल रहने पर इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।
कैसे काम करेगा नया सिस्टम?
वाहनों में लगेगा GPS ट्रैकर: सभी वाणिज्यिक और निजी वाहनों में सरकार द्वारा मान्य GPS ट्रैकर अनिवार्य रूप से लगवाया जाएगा।
सड़क पर दूरी की गणना: वाहन जैसे ही टोल वाले हाईवे पर प्रवेश करेगा, उसका लोकेशन डेटा ट्रैक किया जाएगा।
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टोल अपने आप कटेगा: जितनी दूरी वाहन तय करेगा, उतनी राशि सीधे वाहन मालिक के लिंक किए गए बैंक खाते या डिजिटल वॉलेट से कट जाएगी।
फास्टैग की आवश्यकता नहीं रहेगी: GPS आधारित प्रणाली पूरी तरह से फास्टैग से अलग और अधिक उन्नत है।
FASTag की विदाई का समय तय
गडकरी ने साफ संकेत दिए हैं कि भविष्य में फास्टैग की उपयोगिता समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा, “फास्टैग ने देश की टोल प्रणाली में क्रांति जरूर लाई है, लेकिन अब वक्त है अगली पीढ़ी की तकनीक अपनाने का। GPS आधारित प्रणाली में न तो लंबी कतारें होंगी और न ही गलत टोल वसूली की शिकायतें।”
जनता को कैसे मिलेगा फायदा?
समय और ईंधन की बचत: टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी।
सटीक भुगतान: जितना सफर उतना भुगतान – ओवरचार्जिंग की कोई संभावना नहीं।
डिजिटल इंडिया की दिशा में कदम: यह प्रणाली पूरी तरह डिजिटल होगी, जिससे लेन-देन पारदर्शी रहेगा।
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कुछ चुनौतियाँ भी सामने
हालांकि GPS आधारित टोल प्रणाली कई फायदे लाएगी, लेकिन इसके लिए देशभर के वाहनों को GPS ट्रैकर से लैस करना एक बड़ा कार्य है। इसके अलावा नेटवर्क कनेक्टिविटी, डेटा सिक्योरिटी और तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी मज़बूत करना होगा।
भारत सरकार की यह पहल देश की सड़क परिवहन व्यवस्था को एक नई दिशा देने जा रही है। GPS आधारित टोल प्रणाली से टोल टैक्स वसूली अधिक पारदर्शी, तेज़ और सुविधाजनक हो जाएगी। यदि यह योजना सफल रही, तो आने वाले वर्षों में भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल हो जाएगा, जहां इतनी उन्नत टोल प्रणाली लागू है।
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