NCP News: जातीय राजनीति के लिए बदनाम रहे यूपी और बिहार में तो अभी तक सब कुछ ठीक चल रहा है लेकिन पार्टी तोड़ने का खेल अभी भी महाराष्ट्र में जारी है। हालांकि किसी भी राज्य में पार्टी टूटने और नेताओं का एक पार्टी से निकल कर दूसरी पार्टी में जाने का खेल कोई नया नहीं है। यह सब तभी से चल रहा है जब से देश को आजादी मिली।
आजादी के समय मुख्य तौर पर तो तीन-चार ही पार्टियां थी। कांग्रेस, वाम दल, जनसंघ और सोशलिस्ट। सभी की अपनी भूमिका थी और सबके अपने नेता भी थे। सभी पार्टियों में टूट हुई और नेताओं ने पाला भी बदलने का काम किया। जिसको जहां लाभ दिखा और उनके लोभ को पूरा किया गया, वे उसी पार्टी के साथ जाते रहे। यह आज भी जारी है। इस खेल में कोई वैचारिक सिद्धांत तो है नहीं। कोई भी पार्टी न पाक साफ़ है और न ही पूरी तरह से खराब। समय के साथ इनके चरित्र भी बदलते हैं। भला एक दागी दूसरी पार्टी में जाकर दाग रहित कैसे हो सकता है? इसका जवाब कोई दे सकता है? कोई नहीं देगा। किसी के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं। लेकिन राजनीति चल रही है। जिस तरह से हर पांच साल पर चुनाव अपनी गति से होते रहते हैं, ठीक उसी गति से लोभी और ठग नेता भी पाला बदलते हैं।
आम लोक समझते हैं कि नेता बड़े आदमी है। वे जनता के हितैषी हैं लेकिन ऐसा है नहीं। सच तो यही है कि राजनीति भी एक व्यापार है। व्यापार लाभ-हानि पर आधारित होता है। जिस तरह से किसी व्यापर का मूल सिद्धांत केवल लाभ कमाना होता है ठीक उसी तरह से राजनीति का भी सिद्धांत यही है कैसे सत्ता मिले और फिर लाभ कमाया जाए। लाभ नहीं तो राजनीति कैसी? फिर चुनाव लड़ने के लिए पैसे कहां से आते हैं? राजनीति करने के लिए पैसे की जरूरत होती है और पैसे कमाने के लिये नेताओं की गिद्ध दृष्टि सरकारी योजनाओं पर टिकी होती है। योजनाएं लूट ली जाती है योजना अपने लोगों को दिला दी जाती है। फिर मालामाल सब हो जाते हैं। असली खेल यही है।
ये तमाम बाते इसलिए कही जा रही है क्योंकि पिछले साल भर से महाराष्ट्र में जो तोड़फोड़ जारी है उसका सच यही है कि कैसे सत्ता बची रहे। बीजेपी ने पहले शिवसेना तोड़ी और अब एनसीपी (NCP News) को बांट दिया। तब शिंदे के नेतृत्व में खेल किया गया था और अब अजित पवार के जरिये एनसीपी को कमजोर किया गया। शिंदे मुख्यमंत्री बने और अब अजित पवार उपमुख्यमंत्री बने हैं।
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महाराष्ट्र सरकार का अगला भविष्य ठीक नहीं है। यह सरकार चल नहीं रही है, खींची जा रही है। इस सरकार के पास लगभग 200 विधायकों का समर्थन है लेकिन सरकार पर तलवार लटकी हुई है। कब शिंदे की टीम हट जाए कौन जानता है ? कब अजित पवार के साथ आये लोग फिर से लौट जाए यह कौन जानता है ?
ताजा खबर ये है कि एनसीपी (NCP News) में हुई टूट की कहानी अभी भी जारी है। आज एक और विधायक ने पाला बदल लिया। पहले अजित पवार के साथ चले गए थे। आज वे फिर से शरद पवार के साथ आ गए। बंद कमरे में शरद पवार से मिले। क्षमा भी मांगी और शरद के जयकारे भी लगाए। इस विधायक का नाम है मरकन्द जाधव। जाधव तीसरे ऐसे विधायक है जो अजित पवार को छोड़कर शरद पवार की टीम में लौटे हैं। कहा जा रहा है कि अभी चार और विधायक लौटने को तैयार हैं। उधर शरद पवार गुट से भी एक विधायक कल अजित पवार के साथ चले गए।
इन आया राम गया राम नेताओं को जनता अगर पहचान ले तो इनकी राजनीति ही खत्म हो जाएगी। लेकिन जनता भी तो लोभी है। वह जाति, धर्म, जान-पहचान और पैसे के लोभ में वोट डालती है। इसका ही लाभ नेता उठाते हैं। यह सब जनता भी जानती है लेकिन कुछ कहती नहीं। लोकतंत्र का यही खेल भ्रष्टाचार को बढ़ाता है।