Rajasthan Cabinet Expansion: राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल की सरकार तो बन गई है लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाने से सूबे की सियासत में कई तरह की बाते चल रही है। बीजेपी के भीतर तो नाराजगी है ही विपक्षी कांग्रेस भी भजनलाल की सरकार पर कई तरह के आरोप लगा रही है। कांग्रेस कह रही है कि यह कैसी व्यवस्था है जिसमें सरकार तो बन गई लेकिन सरकार किधर है ,दिखाई ही नहीं देती। कांग्रेस के साथ ही बीजेपी के बीच भी इस बात को लेकर हलचल है कि आखिर दोनों उप मुख्यमंत्रियों को भी अभी तक कोई विभाग क्यों नहीं दिए गए ?
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यह सच है कि बीजेपी को हालिया चुनाव में बड़ी जीत हासिल हुई। उसे मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ़ के साथ ही राजस्थान में भी सरकार बनाने का मौका मिला। संभव है कि यह सरकार पांच साल तक मजबूती से चले। लेकिन सवाल है कि अगर मजबूत सरकार बनी है तो मंत्रिमंडल का विस्तार अभी तक क्यों नहीं हो रहा है। मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार हो चुके हैं लेकिन राजस्थान में अभी तक संभव नहीं हुए हैं। बीजेपी के लोग ही कह रहे हैं कि यह सब दिल्ली के आदेश पर होना है। राजस्थान के कई बीजेपी विधायक कहते हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दिल्ली सूची पहु्ंच गई है लेकिन दिल्ली से अभी कोई आदेश नहीं आया है। जाहिर है यह सब दिल्ली को तय करना है। लेकिन दिल्ली की परेशानी यह है कि मंत्रिमंडल में किसे शामिल किया जाए और किसे नहीं। चुकी बीजेपी को राजस्थान में जो जीत मिली है उसमें बड़ी संख्या में पुराने नेता भी जीत कर आये हैं। उनमें भी बहुत से नेता वसुंधरा टीम की है।
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केंद्रीय बीजेपी की समस्या यह है कि किसे सरकार में शामिल किया जाए और किसे नहीं। बीजेपी को यह भी लग रहा है कि चार महीने के बाद लोक सभा चुनाव होने हैं। अगर गलत लोगों को मौका दे दिया गया तो लोकसभा चुनाव पर इसके असर पड़ सकते हैं। पिछले दिनों बीजेपी के एक बड़े नेता ने कहा कि बीजेपी मध्यप्रदेश की तर्ज पर ही युवाओंऔर नए लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहती है लेकिन राजस्थान का जो मिजाज रहा है उसमे नए लोगों पर दाव लगाना बीजेपी के लिए घातक हो सकता है। बीजेपी को इस बात का भय है कि अगर नए लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया तो लोकसभा चुनाव में पुराने दिग्गज नेता पार्टी के खिलाफ जा सकते हैं और ऐसा हुआ तो खेल खराब होगा। बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व यह भी चाहता है कि आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए जातियों का समीकरण भी बैठे ताकि हर समाज का वोट लोकसभा चुनाव में मिले लेकिन वसुंधरा राजे टीम की देखते को बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व कोई बड़ा फैसला नहीं ले रहा है। आगे कबतक यह टलेगा यह भी कोई नहीं जानता।
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सबसे बड़ी परेशानी तो दोनों उप मुख्यमंत्रियों की है। दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को उप मुख्यमंत्री तो बना दिया गया है लेकिन उनके पास अभी तक कोई विभाग नहीं है ऐसे में ये दोनों मंत्री भी कुछ भी करने के लायक नहीं। जनता भी जब इनसे सवाल करती है तो उनके पास कोई जवाब नहीं होता। उधर वसुंधरा राजे पूरी तरह से अभी मौन है। कहा जा रहा है कि जिस समय मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तब ही वसुंधरा आगे की राजनीति शुरू कर सकती है। अगर उनके मुताबिक उनके लोगों को शामिल नहीं किया गया तो राज्य बीजेपी में कोई बड़ा बवाल भी हो सकता है। वैसे वसुंधरा की राजनीति अब राजस्थान से ख़त्म हो गई है लेकिन वसुंधरा के लोग कहते हैं कि जब तक वह राजनीति में है तब तक राजस्थान से उन्हें कोई अलग नहीं कर सकता। अब देखने की बात तो यह है कि राजस्थान मंत्रिमंडल क विस्तार कब होता है और वसुंधरा की अगली राजनीति क्या होती है।