AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अब राजस्थान में चुनाव लड़ने की बात कही है। ओवैसी के इस ऐलान के बाद गहलोत सरकार की परेशानी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। सीएम गलहोत को लगता है कि अगर ओवैसी ने सूबे के चुनाव में इंट्री किया तो कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक पर असर हो सकता है। राजस्थान में मुस्लिम वोटो की अच्छी संख्या है जो अभी तक कांग्रेस के पक्ष में वोट डालते रहे हैं। राजस्थान में ओवैसी 40 मुस्लिम बहुल सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। सूबे में 200 विधान सभा की सीटें है और अगर 40 सीटों पर ओवैसी की पार्टी चुनाव लड़ती है तो कांग्रेस को झटका लगने की संभावना बढ़ गई है। माना जा रहा है कि ओवैसी की पार्टी भले ही चुनाव में जैसा भी प्रदर्शन करे लेकिन मुस्लिम वोट को तो उनकी पार्टी विखंडित कर ही सकती है। इसका लाभ बीजेपी को हो सकता है।
ओवैसी बिहार में भी इस तरह का खेल चुके हैं और सीमांचल इलाके में उनको पांच सीटें मिली भी थी। यह बात और कि बाद में ओवैसी के चार विधायक राजद में चले गए थे। ओवैसी अब हर राज्य में चुनाव लड़ने को तैयार है। उनकी नजर भी राष्ट्रीय पार्टी बनने पर लगी है। ओवैसी चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव तक उनकी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाए। इसके लिए इस साल होने वाले विधान सभा चुनाव में वे काफी तैयारी के साथ मैदान में उतरने की रणनीति बना रहे हैं। जानकारी के मुताबिक़ ओवैसी की पार्टी इस साल मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के साथ ही आंध्रा और तेलंगाना में भी चुनाव मजबूती से लड़ेगी। ओवैसी महाराष्ट्र में भी दखल करेंगे।
हालिया अलवर में ओवैसी का बयान बहुत कुछ कहता है। उन्होंने साफ़ कर दिया है कि राजस्थान में 40 सीटों पर उनकी पार्टी उम्मीदवार उतारेगी। अलवर ,भरतपुर ,सवाई माधोपुर और टोंक में बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है। इस इलाके में 40 विधान सभा सीटें है और अभी कांग्रेस के पास इस इलाके की 29 सीटें है। पिछले चुनाव में कांग्रेस को इस इलाके से काफी सीटें मिली थी और सरकार बनाने में इस इलाके की बड़ी भूमिका रही थी। पिछले चुनाव में इसी इलाके से तीन सीटें बसपा को भी मिली थी और एक सीट पर निर्दलीय की जीत हुई थी। सात सीटें बीजेपी के खाते में गई थी।
ओवैसी के ऐलान के बाद अब माना जा रहा है कि कांग्रेस को इससे हानि हो सकती है। अब तक इस इलाके में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही होती रही है लेकिन अब ओवैसी की इंट्री से खेल बिगड़ने की सम्भावना है। कहा जा रहा है कि अगर ओवैसी ने मुस्लिम वोटरों को अपने पक्ष में कर लिया तो कांग्रेस कई सीटों पर हार सकती है और इसका लाभ बीजेपी को मिल सकता है। जाहिर है कि ओवैसी के ऐलान के बाद अब इस इलाके में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। ये समीकरण बीजेपी के पक्ष में ज्यादा दिख रहे हैं। वैसे भी राजस्थान में पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन होते रहे हैं लेकिन इस बार ओवैसी ने कुछ नया खेल कर दिया तो कांग्रेस की परेशानी बढ़ेगी ,इतना तय हो गया है।
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पिछले दिनों जिस तरह से मेवात इलाके में ओवैसी के भाषण हुए हैं उससे साफ़ सन्देश निकलते हैं कि ओवैसी की नजर मुस्लिम वोट पर है और मुस्लिम युवाओं को वे आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं। उन्होंने मेवात में कहा कि मुस्लिम समुदाय को सियासी ताकत बनाने की जरूरत है। हमारी सियासी ताकत बढ़ेगी तभी युवाओं की ताकत बढ़ेगी ,बुजुर्गो का सपना पूरा होगा। जाहिर है ओवैसी की नजर मुस्लिम वोट बैंक पर है।