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Congress: कांग्रेस का महाधिवेशन : क्या चुनाव जीतने के फॉर्मूले निकलेंगे ?

Congress: रायपुर में 20 तारीख से तीन दिनों तक कांग्रेस का महाधिवेशन शुरू होने जा रहा है। यह अधिवेशन कई मायने में काफी अहम है। सामने कई राज्यों में चुनाव है और फिर लोकसभा चुनाव। ऐसे में सवाल यही है कि पार्टी के इस अधिवेशन से कोई जीत के फॉर्मूले निकलेंगे ?    

रायपुर में अधिवेशन की तैयारी जोरो पर है

रायपुर में अधिवेशन की तैयारी जोरो पर है। अधिवेशन के लिए एक शहर ही बसाया गया है। बड़े स्तर पर खर्च भी हुए हैं। कहा जा रहा है कि इस अधिवेशन में 15 हजार से ज्यादा कांग्रेस के अधिकारी जुटेंगे। पार्टी की अगली नीतियों पर बात होगी और यह भी तय होगा कि बीजेपी से मिल रही चुनौती से कैसे पार पाया जाए। लेकिन क्या यह सब इतना आसान है ? कई कोंग्रेसी Congress भी मान रहे हैं कि पार्टी अभी काफी कमजोर है। कई राज्यों में पार्टी के संगठन ख़त्म से हो गए हैं और जिन राज्यों में संगठन बचे हुए हैं उसकी हालत ऐसी नहीं है कि वह चुनावी मैदान में बीजेपी को पानी पीला सके। हालांकि कई नेता यह भी मान रहे हैं कि इधर कुछ महीनो में पार्टी की स्थिति ठीक हुई है लेकिन चुनौती भी बरकरार है।

बीजेपी के पास वे सारे तंत्र हैं जिनसे मुकाबला करना अभी कांग्रेस के बुते की बात नहीं। तो क्या रायपुर अधिवेशन से कोई रास्ता निकलेगा ? कहा जा रहा है कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद भले ही राहुल गांधी की छवि सुधरी है। कांग्रेस के प्रति लोगो का विश्वास भी बढ़ा है। कई राज्यों में कांग्रेस मजबूत भी हुई है। लेकिन इस बात के दावे नहीं किये जा सकते कि अभी इसी साल मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ राजस्थान में जो चुनाव होने हैं वहाँ कांग्रेस की फिर वापसी होगी। इसकी वजह भी है। राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता बदलने का रिवाज रहा है। गहलोत को अभी उम्मीद है है कि कांग्रेस सत्ता में फिर से वापसी करेगी लेकिन इस पर यकीं कौन कर रहा है। पांच साल पहले कांग्रेस की स्थिति दूसरी थी लेकिन अब पार्टी के भीतर ही गहलोत और पायलट के बीच तलवारे खींची हुई है। कोई नहीं जानता कि पायलट का मिजाज कब बदलेगा और वे कब पार्टी से निकलकर बीजेपी का दामन थाम लेंगे। राजस्थान में बीजेपी के कई लोग पायलट के संपर्क में हैं और कहा जा रहा है कि अगर पायलट तैयार होंगे तो उन्हें बीजेपी का सीएम उम्मीदवार भी बनाया जा सकता है। गहलोत की यही बड़ी परेशानी है।      उधर छत्तीसगढ़ में सीएम बघेल की स्थिति अभी काफी मजबूत तो है लेकिन जीत के दावे नहीं किये जा सकते। बीजेपी बड़े स्तर पर छत्तीसगढ़ में नए सिरे से काम कर रही है। कई नेताओं को नई जिम्मेदारी दी गई है। बड़ी संख्या में नए युवाओं को मैदान में उतारने की तैयारी है ऐसे में बघेल के सामने भी बड़ी चुनौती है।  

मध्यप्रदेश में तो अभी बीजेपी की सरकार है। यह बात और है कि वहाँ मुख्यमंत्री शिवराज के सहारे अब बीजेपी आगे की राजनीति नहीं करेगी। राज्य में बीजेपी के कई दावेदार नेतृत्व पाने के लिए दौर भाग कर रहे हैं लेकिन बीजेपी की निगाह सिंधिया पर टिकी है। अगर सिंधिया के सहारे बीजेपी मैदान में जाती है तो संघ के समर्थन से बीजेपी को फिर से लाभ मिलने की सम्भावना बढ़ गई है। ऐसे में कमलनाथ क्या कुछ करेंगे कहना मुश्किल है।  

कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती कर्नाटक की है। अभी भले ही वहाँ बीजेपी की सरकार है लेकिन बीजेपी की बोमई सरकार काफी बदनाम भी है। कांग्रेस को लगता है कि कर्नाटक में उसकी सरकार बन सकती है लेकिन जातीय खेल में अभी भी वहाँ बीजेपी सबसे आगे है। कर्नाटक चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए जरुरी तो है लेकिन इसके लिए कोई रोड मैप अभी भी पार्टी के पास नहीं है। अगर कर्नाटक चुनाव कांग्रेस नहीं जीत पाती है तो आगे की राह और भी दुश्कर होंगे और इसका असर आगामी लोकसभ चुनाव पर भी पड़ेंगे।    

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कांग्रेस Congress की सबसे बड़ी कमजोरी यूपी और बिहार में है। कहने के लिए बिहार में चल रही सरकार में उसकी भागीदारी जरूर है लेकिन लोकसभा चुनाव में उसे कितनी सीटें मिलेगी कहा नहीं जा सकता। यही हाल यूपी में भी है। कोई भी दल अभी कांग्रेस के साथ समझता नहीं करना चाहता। ऐसे में रायपुर अधिवेशन में कांग्रेस जीत का क्या फार्मूला निकलती है इस पर सबकी निगाहें हैं।

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