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Atif-Ashraf Murder: माफिया अतीक और अशरफ की हत्या की जांच भले ही हो लेकिन पुलिस और सरकार पर उठते रहेंगे सवाल !

Atif-Ashraf Murder: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई की ह्त्या देर रात कर दी गई। यह सारा खेल पुलिस की सुरक्षा में हुआ। कथित पत्रकार बने तीन अपराधी सामने आये और दोनों भाइयों को ढेर कर दिया। यह बात और है कि मौके पर ही तीनो अपराधी पकडे गए। योगी सरकार ने तत्काल ही एक तीन सदायीय न्यायिक जांच आयोग की घोषणा की। राज्य को हाई अलर्ट पर रखा गया है। अतीक की सुरक्षा में रहे सभी 17 पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है। यह सब तत्काल प्रभाव से कर दिया गया है। इस घटना के ठीक दो दिन पहले अतीक के बेटे असद की पुलिस इनकाउंटर में मार गिराया गया था। उधर अपराधी बेटे की लाश को दफनाया गया और इधर अतीक और और उसके भाई की ह्त्या कर दी गई।

उधर यूपी के कई इलाकों से पटाखे छोड़ने की खबर भी आ रही है लेकिन माहौल ऐसा है  कि कोई कुछ भी बोल नहीं रहा है। अब सवाल;यह है कि यह हत्या राज्य प्रायोजित है या फिर अचानक ही सब कुछ हो गया है।  वैसे अतीक परिवार का आपराधिक इतिहास रहा है। उस पर सौ से भी ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज थे लेकिन  जिस तरीके से पुलिस कस्टडी में इस हत्या कांड को अंजाम दिया गया है इससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

कई राजनीतिक दलों ने इस प्रतिक्रिया दी। बसपा प्रमुख मायावती ने  कहा कि गुजरात जेल से अतीक अहमद को लाया गया और बरेली जेल से अशरफ को लाया गया था और प्रयागराज  कर दी गई। इससे राज्य की कानून व्यवस्था  सवाल खड़े होते हैं।यह एक जघन्य हत्या कांड है। इस घटना पर माननीय सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान  लेना चाहिए और उचित कार्रवाई करनी चाहिए। अब यह  इनकाउंटर प्रदेश  बन गया है। क्या यह उचित है ? इस हत्या कांड पर प्रियंका गाँधी का भी बयां आया है।  प्रियंका ने कहा है कि किसी भी अपराधी को कानून के मुताबिक सजा मिलनी चाहिए। हमारे देश में कानून सर्वोपरि है। किसी भी सियासी मकसद से कानून के राज से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। देश में कानून का राज और इकबाल बुलंद हो यह होना चाहिए। हमें इस पर गौर करना होगा।

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समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि  प्रदेश में अपराध की पराकाष्ठा है और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। जब पुलिस के घेरे में किसी की हत्या की जा सकती है तो आम लोगो के साथ क्या हो सकता है इसकी कल्पना ही की जा सकती है। इससे  भय बन रहा है और लगता है यह सब जानबुझ कर किया जा रहा है। राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल का बयान आया है। काउंसिल ने कहा कि जब दर्जनों कैमरे और पत्रकारों के सामने अपराधी बेखौफ होकर एक पूर्व सांसद और विधायक को आधा दर्जन गोलियां मारने के बाद नारेबाजी करते हैं तो क्या ये लॉ एंड ऑर्डर को चुनौती नहीं है?

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