भगवद गीता : श्रीकृष्ण की कही ये 5 बातें दिमाग में बैठा लें, जिंदगी में कभी नहीं उलझेंगे रिश्ते
Bhagavad Gita : महाभारत के समय भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश भगवद् गीता के रूप में आज भी उपलब्ध है। यह जीवन के विभिन्न पहलुओं पर ज्ञान और मार्गदर्शन (How To Maintain A Good Relationship) प्रदान करता है, जिसमें रिश्ते भी शामिल हैं। ऐसे में संबंधों को सुधारने के लिए इसके यहां बताए गए उपदेश आपके बहुत काम आ सकते हैं।
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जीवन में रिश्तों का महत्व वक्त रहते समझना बेहद जरूरी है। क्योंकि इसके बिना धन-दौलत और सब सुख-सुविधाओं के बाद भी मनुष्य हमेशा अकेला और अभागा ही रहता है। अक्सर व्यक्ति उन लोगों की कद्र करना भूल जाता है, जो लोग उसे रिश्तों के रूप में मुफ्त में मिल जाते हैं। जिसका परिणाम जीवन के आखिरी पलों में दिखता है, जब मनुष्य इस पर रोने के अलावा कुछ नहीं कर पाता है।
अगर आप इस प्रकार के दुर्भाग्यपूर्ण अनुभव से बचना चाहते हैं, तो समझदारी इसमें ही है कि वक्त रहते अपने रिश्तों को मजबूत करने पर ध्यान दें। इसमें भगवद् गीता (Bhagavad Gita ) में भगवान श्रीकृष्ण के दिए गए ये 5 उपदेश आपका मार्गदर्शन कर सकते हैं।
आत्मबोध
भगवद् गीता (Bhagavad Gita ) में कहा गया है कि सच्चा ज्ञान आत्म-साक्षात्कार से शुरू होता है। इसलिए आवश्यक है कि हर मनुष्य सबसे पहले खुद को गहरे स्तर पर समझे। क्योंकि किसी के साथ व्यक्ति एक स्वस्थ संबंध तभी बना सकता है, जब वह खुद की इच्छाओं, भय, शक्तियों और कमजोरियों की समझता हो।
आसक्ति और वैराग्य
गीता में वैराग्य को समझाते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं, कि व्यक्ति सुख तभी भोग सकता है जब वह वैरागी हो जाए। इसका मतलब यह नहीं है कि वह अपने सारे रिश्ते नाते छोड़कर चला जाए, बल्कि सबसे जुड़कर भी किसी का मोह ना रखें। वहीं, अनासक्ति का अभ्यास करके रिश्तों पर निराशाओं और अपेक्षाओं के प्रभाव को कम किया जा सकता है, जो (Bhagavad Gita) अलगाव के लिए जिम्मेदार होते हैं।
धर्म और कर्तव्य
गीता (Bhagavad Gita) व्यक्ति के कर्तव्य को पूरा करने के महत्व पर जोर देती है। रिश्तों के विषय में इसका मतलब माता,पिता,भाई,बहन, दोस्त जैसे विभिन्न भूमिकाओं में अपनी जिम्मेदारी को समझना और उन्हें पूरा करना है। जब व्यक्ति अपने धर्म के अनुसार कार्य (How To Maintain A Good Relationship) करता है, तभी वह अपने रिश्तों में सकारात्मक योगदान देने में सफल होता है और तालमेल बनाए रख पाता है।
कर्म योग
गीता (Bhagavad Gita) में कर्मयोग को सबसे महत्वपूर्ण कहा गया है। इसके मुताबिक मनुष्य को फल की चिंता किए बिना निस्वार्थ भाव से अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। रिश्ते में इस सिद्धांत का अर्थ है बदले में कुछ भी पाने की उम्मीद किए बिना सिर्फ देने की भावना रखना। ख्याल रखें जब हम प्रेम और निस्वार्थ भाव से कार्य करते (How To Maintain A Good Relationship) हैं, तो हमारे रिश्ते ज्यादा वास्तविक और कम लेने देने वाले होते हैं।
दूसरों का सम्मान देना जरूरी
गीता (Bhagavad Gita ) में प्रभु श्रीकृष्ण कहते हैं कि जिस तरह आप अपने लिए दूसरों से सम्मान के अपेक्षा रखते हैं, ठीक उसी तरह आपको भी सभी (पशु-पक्षी समेत) का सम्मान करना चाहिए। इसमें छोटे-बड़े का भेद (How To Maintain A Good Relationship) नहीं करना चाहिए। यह समझ ही रिश्तों में सहानुभूति, करुणा और सहनशीलता को जन्म देती है, जो इसे मजबूत रखने के लिए जरूरी है।