Uttarakhand Higher Education: उत्तराखंड में उच्च शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव, विश्वविद्यालयों को मिली ज्यादा जिम्मेदारी, शासन करेगा निगरानी
उत्तराखंड सरकार ने उच्च शिक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए विश्वविद्यालयों को अधिक स्वायत्तता देने का निर्णय लिया है। अब विश्वविद्यालय खुद समर्थ पोर्टल का संचालन और शैक्षणिक कैलेंडर तैयार करेंगे, जबकि शासन निगरानी की भूमिका में रहेगा। साथ ही प्राचार्य और असिस्टेंट प्रोफेसर के खाली पद जल्द भरने की प्रक्रिया तेज की गई है।
Uttarakhand Higher Education: उत्तराखंड सरकार ने राज्य की उच्च शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रभावी और उत्तरदायी बनाने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। इन फैसलों के तहत अब राजकीय विश्वविद्यालयों को अधिक स्वायत्तता दी जाएगी, जबकि शासन की भूमिका केवल निगरक के रूप में सीमित रहेगी। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब विश्वविद्यालय शैक्षणिक कार्यों से लेकर डिजिटल पोर्टल संचालन तक के मामलों में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेंगे।
अब विश्वविद्यालय करेंगे समर्थ पोर्टल का संचालन
इस बदलाव के तहत समर्थ पोर्टल — जो राज्य में विश्वविद्यालयों की प्रवेश प्रक्रिया और प्रशासनिक कार्यों के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है — का संचालन अब सीधे विश्वविद्यालयों के हाथ में होगा। पहले यह जिम्मेदारी शासन के अधीन थी, लेकिन पिछले वर्ष इस पोर्टल में आई तकनीकी समस्याओं और संचालन में आई दिक्कतों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
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मंत्री धन सिंह रावत ने साफ किया कि शासन अब केवल समर्थ पोर्टल के मॉनिटरिंग की भूमिका में रहेगा और इसे शुरू या बंद करने की तिथियों का निर्धारण करेगा। इससे पोर्टल के कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
शैक्षणिक कैलेंडर भी विश्वविद्यालय करेंगे तय
उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों को अब अपने वार्षिक शैक्षणिक कैलेंडर तैयार करने और जारी करने की जिम्मेदारी भी सौंपी है। इसके लिए कुलपतियों को आपसी समन्वय स्थापित कर कैलेंडर तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इस व्यवस्था से छात्रों के प्रवेश, परीक्षा और परिणाम की प्रक्रिया समयबद्ध हो सकेगी। विश्वविद्यालयों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वे कम से कम 180 दिन की कक्षाएं सुनिश्चित करें और छात्रों के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति को अनिवार्य रूप से लागू करें।
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खाली पदों को भरने की प्रक्रिया में तेजी
उच्च शिक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य के राजकीय महाविद्यालयों में प्राचार्य और असिस्टेंट प्रोफेसर के खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जाएगा। निदेशक उच्च शिक्षा को एक सप्ताह के भीतर डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) की बैठक आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि प्राचार्यों के रिक्त पदों को भरा जा सके। साथ ही, विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि वे विषयवार असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों की रिपोर्ट तीन दिन के भीतर शासन को सौंपें।
इस निर्णय से ना केवल प्रशासनिक ढांचे को मजबूती मिलेगी, बल्कि महाविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता और संचालन क्षमता में भी सुधार होगा।
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जिम्मेदार और स्वायत्त शिक्षा प्रणाली की ओर कदम
राज्य सरकार का यह कदम उत्तराखंड में उच्च शिक्षा व्यवस्था को स्वतंत्र, उत्तरदायी और परिणामोन्मुखी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। इससे विश्वविद्यालयों को अपने कार्यक्षेत्र में स्वायत्तता मिलने से निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज होगी, वहीं शासन की निगरानी से पारदर्शिता भी बनी रहेगी।
मंत्री धन सिंह रावत ने यह भी कहा कि सरकार का उद्देश्य प्रदेश के युवाओं को बेहतर शैक्षिक अवसर और सुविधाएं उपलब्ध कराना है, ताकि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो सकें।
यह सभी बदलाव उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक तकनीक, पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ जोड़ने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। सरकार द्वारा लिए गए ये फैसले निश्चित रूप से राज्य की उच्च शिक्षा को एक नई दिशा और गति देंगे।
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