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Nalanda University new campus: बिहार को बड़ी सौगात, पीएम मोदी ने किया नालंदा युनिवर्सिटी के नए कैंपस का उद्घाटन

Nalanda University new campus: दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालय नालंदा को आज एक नई पहचान मिल गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार के राजगीर में स्थित नालंदा युनिवर्सिटी के नए कैंपस का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने नालंदा के नए कैंपस के रूप में देश को ऐतिहासिक तोहफा दिया है। नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में तो आप जानते ही होंगे जिसकी पहचान ही भारत की पहचान हुआ करती थी। देश-विदेश से छात्र यहां ज्ञान की प्राप्ति के लिए आते थे लेकिन जैसे-जैसे समय वैश्वीकरण और आधुनिकीकरण की ओर बढ़ने लगा पाठ्यक्रम में भी बदलाव होने लगे और नालंदा की पढ़ाई मात्र इतिहास भर रह गई। आज पीएम मोदी ने एक बार फिर विश्व को दिखा दिया है कि आज भी भारत ने उस भारत को अपने अंदर जीवित रखा है जिसके लिए हिंदुस्तान जाना जाता है।

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी सुबह के वक्त ही नालंदा यूनिवर्सिटी पहुंचे और नालंदा यूनिवर्सिटी के धरोहर को करीब से देखा। इसके बाद नालंदा के नए कैंपस में पीएम मोदी पहुंचे जहां उन्होंने बौद्धि वृक्ष लगाया और नए कैंपस का उद्घाटन किया।

साल 2016 में नालंदा के हज़ारों साल पुराने इमारत जो समय के साथ खंडहर में तब्दील हो गए थे उनको संयुक्त राष्ट्र विरासत घोषित किया गया। नालंदा फिर से जीवित हो इसके लिए साल 2017 में विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य शुरू किया गया। आपको बता दें कि, नालंदा का नया कैंपस नालंदा के प्राचीन खंडहरों के पास निर्मित है। नालंदा के नए कैंपस की स्थापना नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम 2010 के माध्यम से की गई। इस अधिनियम में स्थापना के लिए 2007 में फिलीपींस में आयोजित दूसरे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णय को लागू करने का प्रावधान किया गया था।

चलिए अब आपको बताते हैं कि नालंदा युनिवर्सिटी के नए कैंपस में छात्रों के लिए क्या-क्या सुविधाएं हैं और नया कैंपस कैसा होने वाला है।

नालंदा के नए कैंपस में 1900 बच्चे बैठकर पढ़ाई कर सकते हैं। नालंदा यूनिवर्सिटी में दो अकेडेमिक ब्लॉक हैं, जिसमें 40 कक्षाएं हैं। कैंपस में छात्रों के एक्स्ट्रा करिकुलम के लिए ऑडिटोरियम का भी निर्माण हुआ है। ऑडिटोरियम में 300 सीटों की क्षमता है। इसके अलावा, कैंपस को बाहरी दुनिया से जोड़े रखने के लिए आधुनिकता का उपयोग किया गया है। कैंपस में इंटरनेशनल थियेटर और एमपिथियेटर भी बनाया गया है। इस एमपिथियेटर में 2 हजार लोगों के एक साथ बैठने की क्षमता है। यहां तक की कैंपस में छात्रों के लिए फैकल्टी क्लब और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स भी तैयार किया गया है जहां छात्र क्लासेज के बाद बैठ सकते हैं।

नालंदा कैंपस की सबसे अचछी बात ये है कि यह नेट जीरो कैंपस है। इसका मतलब यह हुआ कि कैंपस में पर्यावरण अनुकूल के एक्टिविटी और शिक्षा दी जाएगी। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कैंपस में पानी को रिसाइकल करने के लिए प्लांट लगाया गया है। यहां 100 एकड़ की वॉटर बॉडीज बनाई गई है जो पर्यावरण के अनुकूल है।

नालंदा का इतिहास

नालंदा यूनिवर्सिटी की स्थापना लगभग 1600 साल पहले 5वीं सदी में हुई थी। नालंदा का इतिहास काफी पुराना है। नालंदा भारत देश की वो धरोहर है जिसमें शिक्षा लेने दुनिया के कोने-कोने से छात्र आते थे। विशेषज्ञों के अनुसार, 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों ने आक्रमण कर नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया था। बता दें कि 800 सालों में नालंदा ने न जाने कितने छात्रों को शिक्षा प्रदान की और भारत की सुंदरता को देश – विदेश में कायम रखा। 

Written by । Pooja Bharti। Research Desk

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