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क्या बीजेपी कराएगी जातीय गणना ?

Caste Census in India! सामने पांच राज्यों के चुनाव हैं और फिर लोकसभा चुनाव। पांच राज्यों में एक राज्य एमपी में बीजेपी की सरकार है और मिजोरम में बीजेपी गठबंधन की सरकार। दो रह्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है। वैसे पिछले चुनाव में एमपी में भी कांग्रेस की ही जीत हुई थी लेकिन खेल हो गया और बीजेपी ने कमलनाथ की सरकार को गिरा दिया। तेलंगाना में बीआरएस की सरकार है और मुख्यमंत्री केसीआर काफी मजबूती से पार्ट्री को भी आगे बढ़ा रहे हैं और चुनावी खेल को भी समझ रहे हैं। तेलंगाना में कांग्रेस मजबूती से लड़ाई लड़ रही है और कहा नहीं जा सकता कि परिणाम क्या होंगे ? लेकिन एक बात तय है कि इस बार के चुनाव में केसीआर की मुश्किलें बढ़ी हुई है। पहले उसकी लड़ाई कांग्रेस से ही होती थी लेकिन इस बार बीजेपी भी दम ख़म के साथ मैदान में है। बीजेपी को लग रहा है कि कांग्रेस और केसीआर की लड़ाई में उसे लाभ हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो बीजेपी भी कोई बड़ा गेम कर सकती है लेकिन यह सब चुनावी सम्भावनानों पर ही निर्भर करता है। मौजूदा सच तो यही है तेलंगाना में त्रिकोणीय लड़ाई है और कांग्रेस ने चुनावी प्रचार में बढ़त बना लिया है।

लेकिन सबसे बड़ा सवाल जातिगत गणना का है। जातीय गणना का मामला अब देश भर में तूल पकड़ रहा है। उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिंमी तक के राज्य इस जातीय गणना वाले गणित को समझ रहे हैं और जाति के खेल वाले भविष्य को भी देख रहे हैं। सभी दलों को अब लगने लगा है कि अगर इसे नहीं स्वीकार किया गया तो राजनीति में वह दल पीछे रह जाएगा। जो जातिगत गणना का समर्थन नहीं करेगा वह राजनीति में टिक नहीं सकेगा।

बिहार के मुख्यमंत्री इस खेल को जानते थे। नीतीश कुमार जानते थे कि देश के भीतर चाहे राजनीति जिस तरह की हो लेकिन जातिगत खेल को कोई भी पार्टी दरकिनार नहीं कर सकती। जब जाति के आधार पर ही उम्मीदवारों के चयन होते हैं तब जाति की राजनीति को कोई रोक नहीं सकता। यह काम सभी जातियां करती रही है। जाति के आधार पर ही नेता और उम्मीदवार तय किये जाते रहे हैं। बीजेपी तो जाति के साथ ही धर्म की राजनीति को भी आगे बढ़ाने की कोशिश की। हिंदुत्व के नाम पर उसमे राजनीति की और उसका लाभ भी लिया लेकिन अब जातिगत गणना उसके लिए मुसीबत हो गई है। अगर वह यह सब नहीं कराती है तो आने वाले समय में बीजेपी को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। बीजेपी के सामने अब कोई विकल्प ही नहीं। जिस तरह से महिला आरक्षण का सबसे ज्यादा विरोध करने वाली बीजेपी अचानक ही इसे समर्थन ही नहीं किया बल्कि इस पर कानून भी बना दिया। इसे कब से लागू होना है यह बहस का विषय हो सकता है लेकिन जब बीजेपी को लगा कि विपक्ष की जातिगत गणना की काट में महिलाओं के आरक्षण को लेकर महिला वोटरों को पाने पाले में लाया जा सकता है तब उसने यह किया।

पांच राज्यों के चुनाव में भी जातिगत गणना की मांग की जा रही है। आज जो लोग बीजेपी से निकल रहे हैं भले ही वे टिकता नहीं मिलने का बहाना भीतर बीजेपी के भीतर जो जातीय लोग हैं वे जानते हैं कि जातीय गणना जरुरी है और अगर बीजेपी इसे स्वीकार नहीं करती है तो उसकी परेशानी बढ़ने वाली है। ऐसे में कई जानकार मान रहे हैं कि भले ही बीजेपी आज जातिगत गणना का विरोध कर रही है लेकिन एक समय ऐसा आएगा कि यह गणना बीजेपी को करानी होगी। संभव है कि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद बीजेपी को इस तरह की बातें करनी भी पड़े।

उधर सपा के नेता अखिलेश यादव ने भी साफ़ किया है कि जो भी पार्टी जातिगत गणना का विरोध करेगी वह राजनीति नहीं कास पायेगी। हम लोग तो इसकी मांग कर ही रहे हैं बीजेपी के भीतर के सहयोगी भी इसकी मांग कर। बीजेपी कब यह मांग करती है इसे देखना होगा। अखिलेश यादव ने साफ़ शब्दों में कहा है कि जब जाती को पूछकर ही राजनीति की जाती है तो उसकी गणना क्यों नहीं की जा सकती। जाहिर है जिस जाति की जितनी आबादी होगी उसके मुताबिक़ ही उसके लिए आगे की रणनीति और नीति बनेगी। इसमें बुराई क्या है।

सपा नेता ने यह भी कहा है कि बीजेपी भले ही आज इस मसले का विरोध कर रही है लेकिन इन्तजार कीजिये .वह जल्द ही इस खेल को आगे बढ़ाएगी। वह जातिगत गणना को भी कराएगी और तो देश की राजनीति से बीजेपी कट जाएगी।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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