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सात में से तीन सीटों पर बीजेपी को मिली जीत ,चार सीटों पर इंडिया वाले आगे

By Election result 2023: सारे तंत्र भी अंजाम वही दिखा जिसकी कल्पना की जा रही थी। छह राज्यों के सात सीटों पर उपचुनाव हुए और अभी तक जो परिणाम सामने आये हैं उससे यही लग रहा है कि जहाँ जिस पार्टी की सरकार थी वहां उसकी जीत तय हो गई। बंगाल में एक सीट पर उपचुनाव हुआ। वहां टीएमसी की जीत हुई है। शुरूआती दौर में इस सीट पर बीजेपी को काफी बढ़त मिल गई थी और लग रहा था कि टीएमसी यह सीट खो देगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। टीएमसी को आखिर में यह सीट मिल गई। पश्चिम बंगाल में टीएमसी की जीत के बड़े मायने हैं।
उधर त्रिपुरा में दो सीटों पर उपचुनाव हुए थे। दोनों सीटें बीजेपी के पास गई है। त्रिपुरा में बीजेपी की सरकार है। बता दें कि पिछले दो चुनाव से त्रिपुरा में बीजेपी को जीत मिलती आ रही है। कह सकते हैं कि कई सालों से वाम दलों का गड रहा त्रिपुरा अचानक बीजेपी मय हो गया है। वाम नेताओं का बड़ा झुण्ड अब बीजेपी के साथ खड़ा है। ,त्रिपुरा के लिए यह नयी बात और और नयी राजनीति भी।
उत्तराखंड की बागेश्वर सीट पर हुए उपचुनाव में भी बीजेपी क जीत हासिल हुई है। यह सीट पहले भी बीजेपी के पास ही थी। लेकिन इस बार के चुनाव में कांग्रेस की जीत की अपेक्षा की जा रही थी। कांग्रेस ने काफी बड़ा टक्कर भी लेकिन बीजेपी अंत में जीत ही गई। उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार है और धामी यहाँ के मुख्यमंत्री है। हालांकि जनता के बीच धामी को लेकर कोई बड़ा सकारात्मक रुख नहीं है लेकिन सरकारी तंत्र की वजह से यह सीट भी बीजेपी के पास चली गई है। जानकार कह रहे हैं कि अगर बीजेपी के हाथ से यह सीट निकल जाती तो धामी को बड़ा ही धक्का लगता।
उधर केरल की एक सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली है। यहाँ लड़ाई यूडीसी और एलडीसी के बीच थी। हालांकि यह सीट भी पहले कांग्रेस के पास ही थी। इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चंडी जीते थे लेकिन उनके निधन से यह सीट खाली हो गई थी और कांग्रेस की तरफ से उनके बेटे यहां से मैदान में खड़े थे।

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लेकिन अब घोसी सीट की कहानी विचित्र सी हो गई है। घोसी सीट लगता है बीजेपी के हाथ से निकल गई है। सपा नेता सुधाकर सिंह 29 हजार वोटों से आगे निकल गए हैं। अगर घोसी सीट से बीजेपी की हार होती है तो इसके कई मायने निकाले जा सकते हैं। हालांकि कई उपचुनाव में बीजेपी को अच्छी सफलता मिली है लेकिन इस बात बीजेपी की हार की संभावना बढ़ गई है। और ऐसा हुआ तो इंडिया के सामने एनडीए की हार की कहानी को विपक्ष आगे बढ़ाएगा और फिर आगामी लोकसभा चुनाव में इस हार जीत को लेकर एक मुद्दा भी खड़ा होगा।
अब जानकार बह कह रहे हैं कि जब हर जगह पर सत्तारूढ़ सरकार ही चुनाव जितने में सफल रही है तो फिर यूपी में घोसी सीट पर क्या हो गया /

है और डुमरी सीट पर भी झामुमो उम्मीदवार ही जीते हैं। ऐसे में घोसी को लेकर अब कई कहानी गाढ़ी जा रही है। कहा यह भी जा रहा है कि बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह से बहुत से लोग नाराज चल रहे थे। जिस तरह से उन्होंने तुरंत -तुरंत पार्टियां बदली उससे लोगों ने उन्हें दलबदलू समझ लिया और उनकी राजनीति को सबक सिखाया है। अगर दारा की हार होती है तो सुभासपा नेता राजभर की राजनीति पर बी उंगली उठेगी। उनकी राजनीति और उनके वोट बैंक पर भी सवाल उठ सकते हैं। उन्हे एक शोर मचाने वाला नेता के तौर पर भी देखा जा सकता है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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